अटलांटिक महासागर में चक्रवात आने की संभावना के खारिज होने और रिफाइंड उत्पादों की कीमत के कम होने से मंगलवार को कच्चे तेल की कीमतों में इस हफ्ते अब तक 6 डॉलर से भी ज्यादा की कमी आ चुकी है।
कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों पर बातचीत करने के लिए दुनिया के ताकतवर देशों के इकट्ठा होने का भी बाजार की धारणा पर असर दिखा है। अमेरिकी लाइट क्रूड की कीमत 2.69 डॉलर कम होकर 138.68 डॉलर प्रति बैरल तक जा पहुंची है। गौरतलब है कि 26 जून के बाद कच्चे तेल की कीमतों का यह सबसे कम स्तर है। अंत में कच्चे तेल का भाव 2.22 डॉलर कम होकर 139.15 डॉलर पर बंद हुआ।
लंदन के ब्रेंट क्रूड ऑयल के भाव में 2.27 डॉलर की कमी आयी और यह 139.60 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुए। ईरान द्वारा यूरेनियम संवर्द्धन मुद्दे पर नरम रुख दिखाने से सोमवार को कच्चे तेल की कीमत में 3.92 डॉलर की गिरावट आ गयी थी और यह 141.37 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था। पिछले हफ्ते कच्चे तेल की कीमतों ने 145.85 डॉलर प्रति बैरल के रेकॉर्ड स्तर को छू लिया था, तब से कच्चे तेल की कीमत में ये कमी आयी है। लंदन में कल ब्रेंट नॉर्थ सी क्रूड तेल की कीमत में 2.55 डॉलर की मजबूती आयी थी और यह 141.87 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ था।
फिलहाल जापान में विकसित राष्ट्रों के समूह जी-8 के प्रतिनिधि इकट्ठा हो चुके हैं और सम्मेलन के दूसरे दिन दुनिया के इन ताकतवर देशों जिनमें ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, रूस और अमेरिका भी शामिल हैं, के प्रतिनिधियों द्वारा तेल और खाद्यान्नों की बढ़ती कीमतों पर चर्चा करने की योजना है। इन समस्याओं के चलते ही पूरी दुनिया में इस समय महंगाई, खाद्यान्नों को लेकर दंगें की स्थिति और आर्थिक विकास की गति सुस्त पड़ने का खतरा रहता है। इन नेताओं के बीच दुनिया की अर्थव्यवस्था के ताजा हाल पर चर्चा होने की संभावना है।
यही नहीं, इन नेताओं द्वारा महंगाई और तेल समेत प्राथमिक जिंसों की कीमत बढ़ने पर भी चर्चा करने की बात कही जा रही है। एक जानकार ने कहा कि आज सुबह लोग इसी बात पर चर्चा करते हुए पाए गए कि नीति निर्माता क्या सोच रहे हैं। पिछले साल भर में कच्चे तेल की कीमतों के दोगुने हो जाने को लेकर चिंतित जी-8 के नेताओं द्वारा इसकी कीमतों को कम करने की कोशिशें की जा सकती है।