अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें तीन माह के निचले स्तर पर पहुंच गई है। बावजूद इसके घरेलू ईंधन की कीमतों में तत्काल कोई कटौती की कोई संभावना नहीं है।
पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा ने बुधवार को बताया कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट अच्छी बात है, लेकिन इसकी वजह से घरेलू खुदरा कीमतों में कमी नहीं की जा सकती।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में पिछले चार हफ्तों के दौरान 23.5 फीसदी की गिरावट आई है। इससे पहले यह 147 डॉलर प्रति बैरल की ऊंचाई को को छू गई थी, जो इस सप्ताह घटकर 113 डॉलर प्रति बैरल रह गई। तेल की कीमतों में गिरावट अमेरिका और चीन में आई मांग में कमी के चलते हुई है।
भारतीय बास्केट के कच्चे तेल की कीमत में भी तकरीबन 20 फीसदी की गिरावट आई है। हालांकि अभी भी कच्चे तेल की कीमत पिछले साल के मुकाबले 50 फीसदी ज्यादा है। 4 जून को कच्चे तेल की कीमत 119 डॉलर प्रति बैरल थी, तब घरेलू स्तर पर पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस की कीमतों में बढोतरी की गई थी।
देवड़ा ने बताया कि इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम को ईंधन की बिक्री से काफी घाटा उठाना पड़ रहा है। ऐसे में खुदरा कीमतों में कमी करना संभव नहीं होगा। देवड़ा ने बताया कि 19 अगस्त बीके चतुर्वेदी कमेटी के सुझावों पर चर्चा करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों के प्रमुखों की बैठक बुलाई गई है।
दरअसल, कमेटी ने अस्थाई तौर पर शुल्क में बदलाव और ईंधन की खुदरा बिक्री मूल्य के तरीके की भी सिफारिश की है। साथ ही पेट्रोल-डीजल से सब्सिडी को समाप्त करने के लिए मार्च, 2009 तक का समय तय किया है। उन्होंने बताया कि ईंधन कीमतों में मासिक बढ़ोतरी की सलाह को लागू करना उचित नहीं होगा। हालांकि देवड़ा ने यह जरूर कहा कि कमेटी की कुछ सिफारिशों को लागू किया जा सकता है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तकरीबन 23.5 फीसदी गिरावट
बीके चतुर्वेदी समिति की सिफारिशों पर चर्चा के निए 19 अगस्त को होगी तेल कंपनियों की बैठक