सऊदी अरब को पीछे छोड़कर अमेरिका अब भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है। कारोबारी सूत्रों के आंकड़ोंं से पता चलता है कि ओपेक प्लस की तेल आपूर्ति में कटौती के बाद पिछले महीने तेल शोधकोंं ने अमेरिका से सस्ते कच्चे तेल की खरीद को तरजीह दी है। आपू्र्ति में यह बदलाव अमेरिका में कच्चे तेल की मांग कम होने और सऊदी अरब द्वारा स्वैच्छिक रूप से 10 लाख बीपीडी उत्पादन कम करने की वजह से हुआ है। तेल निर्यातकों के संगठन और उसके सहयोगी (ओपेक प्लस) की ओर से कम उत्पादन बनाए रखने के समझौते का पालन करते हुए सऊदी अरब ने उत्पादन मेंं कटौती की है।
विश्व के सबसे बड़े उत्पादक अमेरिका से भारत का आयात फरवरी महीने में रिकॉर्ड 48 प्रतिशत बढ़कर 5,45,300 बैरल प्रतिदिन हो गया, जो पिछले महीने भारत के कुल तेल आयात का 14 प्रतिशत है। इसके विपरीत आंकड़ों से पता चलता है कि फरवरी महीने में सऊदी अरब से आयात पहले के महीने से 42 प्रतिशत घटकर एक दशक के निचले स्तर 4,45,300 बीपीडी हो गया है।
सऊदी अरब भारत के प्रमुख 2 आपूर्तिकर्ताओं में बना रहा है, जो कम से कम जनवरी 2006 के बाद से पहली बार आपूर्ति मेंं चौथे स्थान पर पहुंच गया है। 2006 के पहले के भारत के तेल आयात के आंकड़े रॉयटर्स के पास उपलब्ध नहीं हैं।
रीफिनटिव में विश्लेषक एहसान उल हक ने कहा, ‘अमेरिका में मांग कम थी और दरें कम चल रही थीं। इसकी वजह से अमेरिकी कच्च्चा तेल कहीं जाना था और एशिया क्षेत्र में तेल की मांग तेज हुई है।’ उन्होंने कहा कि चीन कारोबारी समस्याओं के कारण अमेरिकी तेल नहीं ले रहा है, ऐसे में भारत स्वाभाविक चयन था।
भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा आयातक और उपभोक्ता है। भारत ने तेल उत्पादक देशों से बार बार आपूर्ति बढ़ाने की अपील की, जिससे वैश्विक आर्थिक सुधार में मदद मिल सके और कहा कि सऊदी अरब की स्वैच्छिक कटौती से वैश्विक दाम में तेजी आ रही है। इराक लगातार भारत का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बना हुआ है, जबकि खरीद 23 प्रतिशत गिरकर 5 महीने के निचले स्तर 8,67,500 बीपीडी रह गई है।