अगले कुछ दिनों में मेंथा कारोबार में तेजी आने का अनुमान है। विशेषज्ञों और कमोडिटी जानकारों का कहना है कि इस फसल की बुनियादी चीजें मजबूती की ओर इशारा कर रही है।
ऐसे में माना जा रहा है कि रक्षाबंधन के बाद मेंथा 700 रुपये प्रति किलो के स्तर को पा सकता है। हालांकि पिछले पखवाड़े मेंथा की कीमतों में काफी गिरावट दर्ज की गयी थी। उत्तर प्रदेश के मुख्य मेंथा उत्पादक क्षेत्रों में बारिश से हुए नुकसान के बाद मेंथा की हार्वेस्टिंग अब लगभग पूरी हो गई है।
अनुमान है कि बारिश के चलते मेंथा की 10 से 15 फीसदी फसल बर्बाद हो गयी है। हालांकि, मेंथा की पत्तियों से तेल निकालना अब चिंता की मुख्य वजह है। मोतीवाल ओसवाल के कमोडिटी जानकार कुणाल शाह के अनुसार, तेल निकालने के लिए की जाने वाली आसवीकरण की प्रक्रिया तेजी नहीं पकड़ पा रही है।
एजेंल कमोडिटी के एक जानकार ने बताया कि इसके चलते मेंथा तेल की रिकवरी में 10 से 15 फीसदी होने का अनुमान है। इससे मेंथा तेल का कुल उत्पादन पहले के अनुमान से कम रहने की संभावना है। इस विशेषज्ञ के मुताबिक, मेंथा की पत्तियों को तोड़े जाने के बाद बेहतर रिकवरी के लिए उसे सुखाना बहुत जरूरी होता है।
लेकिन अनुकूल मौसम न होने से मेंथा की पत्तियों को ठीक से नहीं सुखाया जा सका है। इससे मेंथा तेल के कुल उत्पादन पर असर पड़ने की संभावना है। उत्तर प्रदेश के किसानों ने तय कर लिया है कि 650 रुपये से कम होने के बाद वे मेंथा को बाजार में नहीं लाएंगे।
वहां की स्थिति ऐसी है कि थोक किसानों और थोक कारोबारियों में अब कोई फर्क नहीं रह गया है। इससे मंडी में मेंथा तेल की आवक पर असर पड़ा है। सामान्य स्थिति में जहां रोजाना 180 किलो के 1,000 से 1,100 ड्रम मंडियों में आ पाते थे, वहीं इन दिनों इसकी आवक सिमटकर 500 से 600 ड्रम रोजाना रह गयी है। हालांकि मेंथा के नए सीजन में इसके रकबे में बढ़ोतरी हुई है।