हजार रुपये क्विंटल को पार कर सकता है मक्का

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 9:05 AM IST

मक्का निर्यात पर प्रतिबंध के कारण इसके हाजिर और वायदा कारोबार दोनों में गिरावट का रुख है और इनमें जल्द ही सुधार आने की उम्मीद है जहां इनकी कीमतें आपूर्ति संबंधी कठिनाइयों की वजह से एक माह के भीतर 1,000 रुपये प्रति क्विंटल को पार कर सकती हैं।


व्यापारियों ने कहा कि प्रतिबंध के कारण कीमत पर होने वाला प्रभाव तात्कालिक है तथा सितंबर महीने तक आपूर्ति संबंधी दिक्कतों की वजह से इसकी कीमतें दोबारा बढ़ सकती हैं। केन्द्र सरकार ने 15 अक्तूबर, 2008 तक मक्के के निर्यात पर प्रतिबंध घोषित किया है ताकि घरेलू आपूर्ति को बढ़ाया जा सके और साथ ही मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया जा सके।

थोक मूल्य सूचकांक, जिसका इस्तेमाल महंगाई मापने के लिए किया जाता है, में मक्के की हिस्सेदारी 0.185 प्रतिशत की है। अमेरिकी ग्रेन्स काउंसिल के भारत स्थित प्रतिनिधि अमित सचदेवा ने बताया, ‘प्रतिबंध के कारण पाल्ट्री और फीड उद्योग को मदद मिलेगी लेकिन कीमतें सामान्य होंगी या आगे बढ़ेंगी, यह सारा कुछ अगले 10 दिनों में आपूर्ति-मांग की स्थिति पर निर्भर करेगा।’

उन्होंने कहा कि जुलाई-सितंबर में सीमित स्टॉक होने की वजह से इसका असर कीमतों पर पड़ेगा। निजामाबाद के एक अन्य व्यापारी अनिल काबरा ने कहा, ‘कीमतों में गिरावट अगले दो तीन दिनों तक जारी रहेगी तथा एक महीने के भीतर 1,000 रुपये प्रति क्विंटल तक जा सकती है।’ निर्यात पर अचानक प्रतिबंध के साथ मक्के की कीमतों में गिरावट आ रही है। मक्के की हाजिर कीमत 964 रुपये से 957 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। जबकि एनसीडीईएक्स में सर्वाधिक सक्रिय मक्के का जुलाई अनुबंध लगभग आठ प्रतिशत घटकर 894 रूपए प्रति क्विंटल हो गया।

अक्टूबर 2007 से शुरु हुए विपणन वर्ष के बाद से देश से 25 लाख टन मक्के का निर्यात किया जा चुका है, खास तौर से दक्षिण पूर्व और पश्चिम एशियाई देशों को। वैश्विक खरीदारों और घरेलू पॉल्ट्री और फीड उद्योग की भारी मांग  से देश में मक्के की कीमतों में खासी वृध्दि हुई है। जनवरी 2008 से वायदा बाजार में कीमतों में 17 प्रतिशत और हाजिर बाजार में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। आंध्र प्रदेश के निजामाबाद के एक अन्य व्यापारी मोहनलाल वेदान्त ने बताया, ‘मक्के के निर्यात में हुई पांच गुनी वृध्दि से जरुरत की अवधि में मांग पूरी करने वाला पुराना स्टॉक खत्म हो चुका है।

ऐसी परिस्थिति में यह बात तो तय है कि आने वाले दिनों में मक्के की कीमतें 950-1000 रुपये प्रति प्रति क्विंटल तक जाएंगी।’ जबकि कार्वी कॉमट्रेड के विश्लेषक अमांध राजलक्ष्मी ने कहा, ‘इस प्रति बंध के बाद वैसे स्टॉकिस्टों पर बाजार में मक्के की आपूर्ति बढ़ाने का दबाव बढ़ेगा जिन्होंने निर्यात के लिए स्टॉक बना कर रखा हुआ था। बाजार को उपलब्ध कराई जाने वाली इस अतिरिक्त आपूर्ति से अल्पावधि में मूल्यों में नरमी आएगी। हालांकि कीमतों में तेजी रहेगी और यह 900 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर से ऊपर रहेगा।’

बाजार पर निगाह रखने वालों का कहना है कि देश का भौतिक भंडार काफी कम है और घरेलू मांगों या प्रतिबंध के पहले के निर्यात के ऑर्डर को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। कारोबारी सूत्रों के अनुसार अगले तीन महीने के लिए कम से कम 35 लाख टन स्टॉक की जरुरत है।

First Published : July 4, 2008 | 10:25 PM IST