प्रतीकात्मक तस्वीर
दूध में मिलावट करने वालों से सख्ती से निपटने के लिए महाराष्ट्र सरकार जल्द ही नया कानून बनाएगी। डेयरी विकास विभाग की बैठक में राज्य सरकार ने माना कि दूध में मिलावट एक बहुत ही गंभीर मामला है। इससे लोगों की जान जोखिम में पड़ जाती है। इसे सहन नहीं किया जाएगा। महाराष्ट्र के दुग्ध विकास मंत्री अतुल सावे ने बताया कि राज्य में दूध में मिलावट रोकने के लिए जल्द ही नया कानून बनाया जाएगा।
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डेयरी विकास विभाग की 150 दिवसीय योजना के तहत मंत्री अतुल सावे की अध्यक्षता में हुई बैठक में डेयरी विकास विभाग के सचिव डॉ. रामास्वामी एन. अनिल हाटेकर, महानंदा के प्रबंध निदेशक सहित राज्य के प्रमुख दूध संघों के प्रतिनिधि और विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। इस बैठक में दुग्ध संघ के प्रतिनिधियों ने कई सुझाव दिए। इनमें प्रतिनिधियों ने राज्य में दूध के लिए एक समान मूल्य , एक राज्य, एक ब्रांड , एक जिला, एक दुग्ध संघ और एक गांव, एक दुग्ध संस्था की मांग की।
अतुल सावे ने कहा कि इस पर सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा। मुंबई में आरे स्टॉल का आधुनिकीकरण किया जाएगा। दिन में दो बार दूध संग्रह की मांग को पूरा करने पर विचार किया जाएगा । दूध संग्रहण के लिए किसान उत्पादक कंपनियों से सहायता लेने का निर्णय लिया जाएगा। मंत्री सावे ने महानंदा के माध्यम से दूध संग्रहण बढ़ाने के प्रयास करने के निर्देश दिए।
दूध में मिलावट को गंभीर मामला बताते हुए कुछ दिन पहले उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा था कि दूध में मिलावट की जांच के लिए प्रत्येक विभाग में तत्काल एक प्रयोगशाला स्थापित की जानी चाहिए तथा दुकान के सामने एनालॉग पनीर की उपस्थिति के बारे में जानकारी प्रदर्शित करने के निर्देश दिए जाने चाहिए। दूध में मिलावट के संबंध में जनजागृति पैदा की जाए, मिलावट के संबंध में शिकायत दर्ज कराने के लिए जनता के लिए एक टोल-फ्री नंबर का उचित क्रियान्वयन किया जाए तथा एक पोर्टल विकसित किया जाए। दूध में मिलावट रोकने के लिए अत्याधुनिक तकनीक और मशीनरी खरीदने के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की अनुपूरक मांगों में अतिरिक्त धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी।