घरेलू लौह अयस्क और पैलेट के दाम में बढ़ोतरी से द्वितीयक स्टील उत्पादकों पर बुरा असर पड़ रहा है। उद्योग ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर स्टील बनाने के काम आने वाले प्रमुख कच्चे माल के निर्यात पर रोक लगाने की मांग की है।
देश में अलॉय के कुल उत्पादन में घरेलू द्वितीयक स्टील उद्योग का योगदान करीब 55 प्रतिशत है। ये कारोबारी स्टील का उत्पादन इलेक्ट्रिकल तरीके से करते हैं, जबकि प्राथमिक स्टील उत्पादक अलॉय बनाने में ब्लास्ट फर्नेस का इस्तेमाल करते है। आल इंडिया इंडक्शन फर्नेस एसोसिएशन की ओर से प्रधानमंत्री को 25 सितंबर 2020 को पत्र भेजा जा चुका है।
देश में 2,000 से ज्यादा द्वितीयक स्टील इकाइयां हैं, जिनमें स्पंज आयरन, इंडक्शन फर्नेस और रोलिंग मिलें शामिल हैं।
ब्रह्मपुत्र मेटलिक्स लिमिटेड के मुख्य वित्त अधिकारी कौशिक अग्रवाल ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘आपूर्ति की कमी की वजह से मार्च से अब तक 6 महीने में लौह अयस्क और पैलेट की कीमतों में 40 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। इसकी वजह से द्वितीयक स्टील उत्पादकों का मुनाफा प्रभावित हुआ है, जो पहले से ही कोरोना के कारण खराब कारोबारी दौर से गुजर रहे हैं।’
पैलेट लौह अयस्क की छोटी गोलियां होती हैं, जिनका इस्तेमाल स्टील के उत्पादन में होता है। स्टील के उत्पादन लागत में कच्च्चे माल की लागत 60 प्रतिशत होती है और इस तरह से दाम बढऩे से इस ङ्क्षजस पर मुनाफा प्रभावित हुआ है। अग्रवाल ने कहा, ‘पिछले 6 सप्ताह में तैयार स्टील की कीमत में 8 से 10 प्रतिशत गिरावट हुई है। कच्चे माल में तेजी बनी हुई है, जिसकी वजह से द्वितीयक उत्पादकों का मुनाफा 10 से 11 प्रतिशत कम हो गया है।’
ओडिशा में हाल में हुई लौह अयस्क खदानों की नीलामी से द्वितीयक कारोबारियों की चिंता और बढ़ गई है क्योंकि नीलाम की गई करीब 50 प्रतिशत खदानें बड़ी कंपनियों के निजी इस्तेमाल के लिए दी गई हैं और शेष खदानें अयस्क की बिक्री करने वालों को मिली हैं, जिन्हें अभी उत्पादन शुरू करना है। इसकी वजह से घरेलू बाजार में कच्चे माल की कमी हो गई है।
एक और उत्पादक ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा, ‘घरेलू भंडारण पर्याप्त नहीं है और एनडीएमसी भी बेहतर दाम के लिए निर्यात कर रही है। हर महीने करीब 10-11 लाख टन अयस्क देश के बाहर जा रहा है, जो पिछले साल की तुलना में दोगुना है।’
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है कि भारत का लौह अयस्क निर्यात वित्त वर्ष 20 में बढ़कर 376.9 लाख टन हो गया है, जो 2018-19 में 161.5 लाख टन था। इसके निर्यात में करीब 133 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इसमें कहा गया है कि चीन से मांग बढऩे के कारण भारत ने करीब 308.6 लाख टन लौह अयस्क का निर्यात किया है, जो भारत से होने वाले कुल निर्यात का 82 प्रतिशत है।
बहरहाल ओडिशा माइनिंग कॉर्पोरेशन (ओएमसी) आपूर्ति के मामले में द्वितीयक कारोबारियों को कुछ राहत दे रहा है, लेकिन अभी भी दाम बढ़े हुए हैं। भारत का लौह अयस्क उत्पादन अप्रैल जून के दौरान 470 लाख टन रहा है, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 50 प्रतिशत कम है।
ओडिशा की काश्वी पावर ऐंड स्टील के प्रबंध निदेशक देवव्रत बेहरा ने कहा, ‘अयस्क के दाम बढऩे से कारोबार कठिन हो गया है। हमें ओएमसी से आपूर्ति मिल रही है, लेकिन दाम बहुत ज्यादा है।’