इजरायल और ईरान के बीच युद्ध गहराने पर कच्चा तेल 150 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि अगर दोनों देशों के बीच मौजूदा युद्ध ने भयानक रूप ले लिया तो कच्चा तेल मौजूदा स्तरों से 103 प्रतिशत तक उछल सकता है। अगर दोनों देशों के बीच तनाव अधिक नहीं बढ़ा तो ऊर्जा बाजार में मची उथल-पुथल धीरे-धीरे शांत हो जाएगी।
पिछले सप्ताह दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू होने के बाद कच्चा तेल 78.5 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया और बाद में 75 डॉलर प्रति बैरल तक आ गया। इन घटनाक्रम के बीच पिछले सप्ताह टाइटल ट्रांसफर फैसिलिटी (टीटीएफ) 5 प्रतिशत चढ़कर 38.24 यूरो प्रति एमडब्ल्यूएच के स्तर तक पहुंच गया था। टीटीएफ नीदरलैंड में एक वर्चुअल ट्रेडिंग पॉइंट है।
राबोबैंक के विश्लेषकों के अनुसार इन ईरान पर इजरायल के हमलों के बाद पश्चिम एशिया से कच्चे तेल एवं प्राकृतिक गैस की आपूर्ति पर सवालिया निशान लग हैं। विश्लेषकों के अनुसार अगर ऊर्जा ढांचों एवं स्रोतों पर सीधा हमला हुआ या होर्मुज जलडमरूमध्य बंद हुआ तो परिष्कृत उत्पादों एवं द्रवित प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के प्रमुख उत्पादक देशों सऊदी अरब, यूएई और कतर से आपूर्त प्रभावित हो जाएगी।
विश्लेषकों के अनुसार इससे कच्चा तेल 120 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर निकल सकता है। राबोबैंक इंटरनैशनल में वैश्विक रणनीतिकार माइकल एवरी ने कहा,‘अगर सऊदी अरब के तेल, गैस, बंदरगाह या परिष्करण ढांचों पर हमले होते हैं और उन्हें नुकसान पहुंचता है तो कच्चा तेल 120 डॉलर प्रति बैरल से आगे निकल सकता है। शुरू में घबराहट में खरीदार से यह 150 डॉलर प्रति बैरल का स्तर भी छू सकता है।‘
ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य पर अपना दबदबा होने का दावा किया है। यह मार्ग वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति के लिए काफी अहम समझा जाता है। होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर दुनिया में 17 प्रतिशत तेल की आपूर्ति होती है और कुवैत, इराक, बहरीन और सऊदी अरब के टैंकर भी इसी होकर गुजरते हैं।
कतर, ओमान और यूएई लगभग 9.8 करोड़ टन एलएनजी निर्यात करते हैं जो दुनिया में कुल एलएनजी आपूर्ति का लगभग 18 प्रतिशत हिस्सा है। रिपोर्ट के अनुसार इनमें ज्यादातर मात्रा होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर गुजरती है।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक जी चोकालिंगम ने कहा कि मौजूदा युद्ध के कारण तेल कीमतों में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी और हो सकती है। चोकालिंगम के अनुसार अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा और दोनों देशों के बीच हालात सुधरने से कीमतें नरम हो सकती हैं।