बोआई का रकबा बढ़ने और अनुकूल मौसम के कारण चालू रबी सीजन 2024-25 में देश में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान है। केंद्र सरकार द्वारा आज जारी दूसरे अग्रिम अनुमान में कहा गया है कि देश में गेहूं का उत्पादन 11.54 करोड़ टन रहने की उम्मीद है।
2024-25 सत्र में रबी फसल की अच्छी पैदावार से गेहूं के दाम भी कम करने में मदद मिलेगी। गेहूं की मुद्रास्फीति अप्रैल 2024 में 6.02 फीसदी थी जो जनवरी 2025 में बढ़कर 8.80 फीसदी पहुंच गई है। वर्तमान में दिल्ली की मंडियों में गेहूं के दाम करीब 3,000 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं, जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2,425 रुपये प्रति क्विंटल से काफी अधिक (लगभग 24 फीसदी अधिक) है।
गेहूं की अच्छी पैदावार से सरकार को अपना भंडार भरने में भी मदद मिलेगी। 1 फरवरी, 2025 तक गेहूं का भंडार 1.61 करोड़ टन था जबकि 1 जनवरी को बफर आवश्यकता 1.38 करोड़ टन थी। अगर घरेलू बाजार में दाम कम होते हैं तो गेहूं निर्यात फिर से शुरू करने की अनुमति मिल सकती है। सरकार को हर साल 1 अप्रैल तक लगभग 75 लाख टन गेहूं का बफर स्टॉक रखने की आवश्यकता होती है।
वित्त वर्ष 2024 में सरकार के पास गेहूं का 84 लाख टन का भंडार था और वित्त वर्ष 2025 में 75 लाख टन का भंडार था, जो बफर आवश्यकता के लगभग बराबर था। इतना ही नहीं, पिछले कुछ वर्षों से गेहूं की सरकारी खरीद लक्ष्य से कम रही है क्योंकि किसान बेहतर कीमतों के लिए अपनी उपज को सरकारी खरीद प्रणाली के बजाय निजी व्यापारियों को बेचना पसंद कर रहे हैं। लक्ष्य से कम खरीद होने से खुले बाजार में गेहूं बेचकर कीमतें कम करने में प्रभावी हस्तक्षेप करने की सरकार की क्षमता भी प्रभावित हुई है। वित्त वर्ष 2025 में सरकार ने खुले बाजार में 30 लाख टन गेहूं बेचा था जबकि वित्त वर्ष 2024 में करीब 1 करोड़ टन गेहूं बेचा गया था। खुले बाजार में सरकारी गेहूं की कम आवक से कीमतें ऊंची बनी हुई हैं।
गेहूं की अच्छी पैदावार का मतलब है कि केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2026 के लिए 3.2 करोड़ टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य हासिल कर सकती है। मध्य प्रदेश सरकार ने गेहूं की खरीद पर प्रति क्विंटल 125 रुपये बोनस देने और राजस्थान सरकार ने 150 रुपये प्रति क्विंटल बोनस देने की घोषणा की है इससे प्रभावी एमएसपी 2,425 रुपये प्रति क्विंटल के मुकाबले 2,600 रुपये प्रति क्विंटल के करीब पहुंच गया है। बोनस का उद्देश्य खरीद लक्ष्य को पूरा करना है। मध्य प्रदेश ने इस सीजन में किसानों से करीब 80 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा है जबकि राजस्थान ने कुछ कम गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा है।
आंकड़ों से पता चलता है कि प्रमुख रबी फसलों में सरसों का उत्पादन 1.28 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो पिछले साल के 1.32 करोड़ टन उत्पादन से करीब 3 फीसदी कम है। चने का उत्पादन 1.15 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल के 1.10 करोड़ टन से अधिक है। देश में दलहन में चना सबसे ज्यादा पैदा होता है और इसकी पैदावार में उछाल से सभी दालों के दाम कम होने लगते हैं। दूसरे अग्रिम अनुमान से यह भी पता चलता है कि खरीफ और रबी सीजन के आधार पर देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन लगभग 33.1 करोड़ टन होने की उम्मीद है, जो पिछले साल के 33.23 करोड़ टन से मामूली कम है।