त्योहारी सीजन में गुलजार होगा सोने का बाजार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 7:48 PM IST

जेपी मॉर्गन चेज एंड कंपनी डाटा के अनुसार, भारतीय विवाहों और त्योहारी सीजन के दौरान  आभूषणों की मांग बढ़ने से साल के अंत तक सोने की कीमतों में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है।


ब्रेंडन जेम्स के नेतृत्व वाले जेपीमॉर्गन के विश्लेषकों ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि साल 2002 से इस सीजन के दौरान सोने की कीमतों में बढ़ोतरी होती आई है और सबसे अधिक खरीदारी सितंबर महीने में की जाती है।

एक दलाल द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक पिछले एक दशक में सितंबर से दिसंबर के दौरान सोने की कीमतें औसतन 10.1 प्रतिशत बढ़ती रही हैं। विश्व में बुलियन (सोना,चांदी) के सबसे बड़े खरीदार भारत के सोने के बायात में पिछले महीने 56 प्रतिशत की वृध्दि हुई।

कीमतों में कमी आने के कारण आभूषणों की बिक्री में इजाफा हुआ है। पिछले महीने सोसियाते जेनराली ने कहा था कि सोना जिसकी कीमतों में इस वर्ष 3.5 प्रतिशत की गिरावट आई है, की कीमतें भारत और मध्य पूर्व के आभूषणें की मांग के कारण बढ़ सकती हैं।

जेम्स ने कल अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘हमने यह सुनिश्चित करने के लिए विश्लेषण किया है कि भारतीय शादी के सीजन के प्रभावों का अनुमान वास्तविक है या केवल एक कहानी मात्र है। हमारे विश्लेषण के मुताबिक  भारतीय विवाहों और त्योहारों के सीजन का प्रभाव सोने की कीमतों पर साल 2002 से धनात्मक रहा है।

इससे स्पष्ट होता है कि साल 2008 के अंतिम चार महीनों में सोने की कीमतों में हमें मजबूती देखने को मिल सकती है।’ तुरंत डिलिवरी वाले सोने की कीमत 11.20 बजे (सिडनी के समयानुसार) 0.3 प्रतिशत बढ़ कर 803.45 डॉलर प्रति औंस हो गया था। मार्च में रेकॉर्ड 1,030.70 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर पहुंचने के बाद बुलियन की कीमतें घट कर 15 अगस्त को 772.98 डॉलर प्रति औंस हो गई थीं।

भारत में सोने की मांग आमतौर पर शादियों के मौसम में बढ़ती हैं जो सितंबर से दिसंबर तक चलता है। यूबीएस एजी ने पिछले सप्ताह कहा था कि ज्वेलर हिन्दूओं के त्योहार दिवाली या प्रकाशोत्सव के दौरान भी सोने की खरीदारी करते हैं, सोने की कीमत अगले तीन महीने में निवेशकों और ज्वेलरी क्षेत्र की मांग और डॉलर के मूल्य में आती गिरावट के कारण 900 डॉलर प्रति औंस के स्तर तक जा सकती है।

जेपी मॉर्गन के विश्लेषण के मुताबिक, अगस्त की समाप्ति तक पिछले 10 वर्षों में साल की शुरुआती कीमतों की अपेक्षा 3.2 फीसदी की बढ़ोतरी होती रही है। जेपी मॉर्गन के रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर से लेकर दिसंबर के अंत तक कीमतों में लगातार बढ़ोतरी होती रही है जो 13.3 प्रतिशत औसत वार्षिक बढ़त के बराबर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक उत्पादन में आई कमी और उत्पादन लागत में हुई बढ़ोतरी के कारण भी कीमतों में वृध्दि होगी।

First Published : September 4, 2008 | 10:28 PM IST