कमोडिटी

Farmers Protest: रामलीला मैदान में किसानों का संकल्प, MSP की मांग को लेकर नहीं हटेंगे पीछे

Farmers protest: किसानों ने ऋण माफ करने, बिजली का निजीकरण समाप्त करने और लखीमपुर खीरी मामले के दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग भी की है।

Published by
संजीब मुखर्जी   
Last Updated- March 14, 2024 | 9:57 PM IST

दिल्ली के रामलीला मैदान में गुरुवार की सुबह से ही पुराने संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले जुटे हजारों किसानों ने संकल्प लिया है कि वे तब तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे, जब तक सरकार उनकी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी वाली लंबित मांग को नहीं मान लेती है। इसके अलावा किसानों ने ऋण माफ करने, बिजली का निजीकरण समाप्त करने और लखीमपुर खीरी मामले के दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग भी की है।

सुबह से ही कार्यक्रम स्थल पर इकट्ठा हुए प्रदर्शनकारी किसानों ने केंद्र सरकार की कथित जनविरोधी नीतियों के खिलाफ 24 मार्च को लोकतंत्र बचाओ दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया है। संयुक्त किसान मोर्चा किसानों के संगठनों का एक समूह है जिसने साल 2020-21 में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन किया था। नतीजतन, सरकार ने उन कानूनों को निरस्त कर दिया था।

संयुक्त किसान मोर्चा से अलग होकर खुद को संयुक्त किसान मोर्चा (गैरराजनीतिक) बताने वाला गुट पिछले महीने यानी फरवरी की शुरुआत से ही पंजाब-हरियाणा की सीमा शंभू और खनौरी पर डटकर एमएसपी को कानूनी अधिकार बनाने की मांग कर रहा है। इन प्रदर्शनकारियों की कई बार पुलिस से भी भिड़ंत हो चुकी है, जिसमें एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।

केंद्र सरकार राज्य की सीमाओं पर डटे प्रदर्शनकारियों के साथ कई दौर की बैठक भी कर चुकी है। सरकार ने इन किसानों को गेहूं और धान के बदले पांच फसलों को एमएसपी पर खरीद का प्रस्ताव दिया मगर प्रदर्शनकारी किसानों ने उसे खारिज कर दिया।

गुरुवार को दिल्ली की रामलीला मैदान पर जुटने वाला संयुक्त किसान मोर्चा वह समूह है जो सरकार के साथ बैठकों में शामिल नहीं था। हालांकि, उसने उन्हें सैद्धांतिक सहमति दी है। पंजाब के पटियाला के रहने वाले किसान हरमन सिंह बुधवार की रात राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे हैं। उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से कहा, ‘हम चाहते हैं कि केंद्र की नीतियां किसानों के पक्ष वाली हों। हम यह भी चाहते हैं कि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर हमारी मांग भी पूरी हो।’

पंजाब के बठिंडा के किसान रविंदर सिंह ने कहा कि अक्टूबर 2021 में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘’हम चाहते हैं कि लखीमपुर खीरी में किसानों पर वाहन चढ़ाने वाले के खिलाफ कार्रवाई हो। पीड़ित परिवारों को मुआवजा और सरकारी नौकरी मिलनी चाहिए।’

पटियाला के एक अन्य किसान बलजीत सिंह ने कहा, ‘हम बुधवार की रात दिल्ली पहुंचे। गुरुवार की सुबह हमने शीशगंज गुरुद्वारे में मत्था टेका। कार्यक्रम पूरा हो जाने के बाद हम बंगला साहिब गुरुद्वारा जाएंगे और फिर पंजाब लौट जाएंगे।’

इस बीच, प्रदर्शनकारियों के कारण मध्य दिल्ली और सराय काले खां जाने वाले यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। राष्ट्रीय राजधानी में वाहनों की रफ्तार बेहद धीमी हो गई। नतीजतन आईटीओ, दिल्ली गेट, दरियागंज और सराय काले खां के पास राष्ट्रीय राजमार्ग-24 समेत विभिन्न स्थानों पर ट्रैफिक जाम हो गया। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने एक परामर्श जारी किया है, जिसमें यात्रियों को यातायात नियमों और मार्ग परिवर्तन के बारे में सचेत किया गया है।

दिल्ली पुलिस ने किसानों को इस शर्त पर महापंचायत की अनुमति दी है कि इसमें 5000 से अधिक लोग इकट्ठा नहीं होंगे। साथ ही किसानों से कहा गया है कि कोई ट्रैक्टर-ट्रॉली नहीं लाई जाएगी और रामलीला मैदान तक कोई मार्च नहीं निकाला जाएगा।

(साथ में एजेंसियां)

First Published : March 14, 2024 | 9:57 PM IST