फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और कृषि ऋण माफी सहित विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन को धार दे रहे किसानों और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के बीच रविवार शाम को चौथे दौर की बातचीत हुई। किसानों और सरकार के बीच समझौते में शामिल होने वाले एक वरिष्ठ नेता ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि एमएसपी पर कानूनी गारंटी के मसले को समझने के लिए एक समिति बनाने का सुझाव सरकार ने दिया है, परंतु हम एमएसपी के लिए कानून से इतर किसी भी फैसले पर सहमत नहीं होंगे।
आंदोलन का आज छठा दिन है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा, वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल तथा गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय किसान नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं।
किसान नेता ने कहा कि सरकार वार्ता की प्रक्रिया में लगातार देर करने का प्रयास कर रही है, जो नहीं होना चाहिए। इससे हरियाणा-पंजाब सीमार पर डटे हजारों किसानों का सब्र का बांध टूट जाएगा। दोनों पक्षों में देर रात तक वार्ता चली। अन्य समूहों के साथ मिलकर आंदोलन का नेतृत्व का रहे संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) ने सप्ताहांत में अपने बयान में कहा था कि वे अन्य किसान समूहों के समर्थन का स्वागत करते हैं लेकिन आंदोलन की दिशा केवल मोर्चा द्वारा ही तय की जाएगी।
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने केंद्रीय मंत्रियों के साथ रविवार को यहां बातचीत से पहले कहा कि केन्द्र सरकार टाल-मटोल की नीति न अपनाए और आचार संहिता लागू होने से पहले किसानों की मांगें मान ले। लोकसभा चुनाव की घोषणा अगले माह की जा सकती है।
हजारों किसान अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पंजाब और हरियाणा की सीमा पर शंभू और खनौरी में डटे हुए हैं तथा उन्हें राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश से रोकने के लिए बड़ी तादाद में सुरक्षा बल तैनात हैं। किसान नेताओं और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच इससे पहले 8, 12 और 15 फरवरी को भी बातचीत हुई थी, जो बेनतीजा रही।
डल्लेवाल ने कहा कि यदि सरकार को लगता है कि वह आचार संहिता लागू होने तक बैठकें जारी रखेगी और फिर कहेगी कि आचार संहिता लागू हो गई है और हम कुछ नहीं कर सकते तो समझ ले कि किसान फिर भी वापस नहीं लौटेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार को आचार संहिता लागू होने से पहले हमारी मांगों का समाधान तलाशना चाहिए।
एक अन्य किसान नेता सुरजीत सिंह फूल ने केंद्र पर हिरासत में लिये गए किसानों को रिहा करने और पंजाब के कुछ क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाओं तथा किसान नेताओं के सोशल मीडिया खातों को बहाल करने के अपने आश्वासन को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया।
(साथ में एजेंसियां)