आर्थिक मंदी और पिछले कुछ महीने में निर्माण और हाउसिंग क्षेत्रों में हो रही गिरावट की वजह से तांबे की खपत में कमी आई है।
इस वजह से तांबे की खपत दर 8-9 फीसदी रह गई है, जो पिछले साल के 15 फीसदी से कम है। अंतरराष्ट्रीय तांबा प्रोत्साहन परिषद (भारत) के सीईओ अजीत आडवाणी का कहना है कि आर्थिक मंदी की वजह से व्यावसायिक भवनों, नई ऊर्जा परियोजनाओं और बड़े-बड़े हाउसिंग परियोजनाओं में देरी हो रही है और इस वजह से तांबे की मांग में भी कमी आ गई है।
लेकिन ग्राहक अस्थायी तौर पर सस्ते विकल्पों जैसे अल्युमीनियम और प्लास्टिक की तरफ रुख कर रहे हैं। आडवाणी कहते हैं कि स्वास्थ्य के प्रति सचेत ग्राहक अधिक मूल्य के बावजूद तांबे को ही प्राथमिकता दे रहे हैं।
भारतीय इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माता संगठन (आईईईएमए) के महानिदेशक सुनील मोरे ने कहा कि पिछले तीन सालों में सरकार की प्रस्तावित बिजली परियोजनाओं की वजह से इलेक्ट्रिकल और हाउसिंग क्षेत्रों में विशेष तौर पर तांबे की मांग में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई थी। लेकिन सरकार द्वारा परियोजनाओं की फिर से समीक्षा किए जाने की वजह से राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण परियोजना अधर में लटक गई।