मानसून की वापसी में देरी से फसलों को फायदा होगा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 8:01 PM IST

इस सीजन में मानसून जहां समय से पहले आ गया, वहीं इसकी वापसी देर से हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसके चलते मौजूदा सीजन की खरीफ फसलों और रबी सीजन में बोई जाने वाली फसलों को भी काफी फायदा पहुंचेगा।


हालांकि देश के उत्तरी-पूर्वी इलाके में तेज बारिश की संभावना के चलते ब्रहमपुत्र और दूसरी नदियों में बाढ़ आने की आशंका पैदा हो गई है, जिससे खरीफ फसल के नुकसान का खतरा पैदा हो गया है। उधर, कोसी नदी द्वारा भारी तबाही मचाने के बाद उत्तरी बिहार में खेती-बाड़ी का कामकाज फिर से शुरू होने में काफी वक्त लगने का अनुमान है।

जानकारों के मुताबिक, खेतों से पानी निकलने के कम-से-कम एक महीने तक तो खेती का कोई भी काम नहीं होने जा रहा है। मौजूदा खरीफ सीजन में धान के रकबे में बढ़ोतरी होने की अच्छी खबर आई है। इसके अलावा तिलहन का रकबा पिछले साल की तुलना में खासा बढ़ा है। विभिन्न राज्यों से बुआई की सही तस्वीर आने के बाद हो सकता है कि इसके रकबे में और वृद्धि हो।

हालांकि दाल के रकबे में कोई वृद्धि होगी ऐसा नहीं लगता। पिछले साल की तुलना में दलहन के रकबे में तकरीबन 15 फीसदी यानी 20 लाख हेक्टेयर तक की कमी होने का अंदाजा है। मालूम हो कि पिछले सीजन में दाल का कुल रकबा 1.17 करोड़ हेक्टेयर था। नगदी फसलों में कपास का उत्पादन क्षेत्र पिछले सीजन के 90 लाख हेक्टेयर के आसपास पहुंचने की उम्मीद है।

अब तक की स्थिति बता रही है कि मौजूदा सीजन में कपास की फसल काफी बेहतर है। उम्मीद के मुताबिक, गन्ने का रकबा पिछले साल की तुलना में कम होने के आसार हैं। कृषि विशेषज्ञों की माने तो पिछले साल तक गन्ने की खेती में इस्तेमाल होने वाला उत्पादन क्षेत्र इस साल धान और तिलहन की खेती में इस्तेमाल होने से यह कमी आई है।

इन विशेषज्ञों के मुताबिक, हर तीन साल में गन्ने के रकबे में कमी आती है। यह एक सामान्य और चक्रिय प्रक्रिया है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, दक्षिण-पश्चिमी मानसून राजस्थान के सबसे पश्चिमी इलाके से प्राय: 1 सितंबर के आसपास वापस लौटना शुरू करता है। सितंबर के तीसरे हफ्ते तक तो देश के उत्तर-पश्चिम हिस्से का अधिकांश भाग मानसून से मुक्त हो जाता है।

लेकिन इस बार इन इलाकों से मानसून की वापसी शायद कुछ दिन बाद शुरू होगी। मौसम विभाग के मुताबिक, 5  से 8 सितंबर के बीच उत्तरी-पश्चिमी भाग के आसमान पर बादल मंडराएगा जिससे इन इलाकों में मूसलाधार बारिश होने की संभावना है। उम्मीद की जा रही है कि इस वजह से इन इलाकों में मानसून के कुछ दिन और टिकने में मदद मिलेगी।

खेती के लिए जाने जाने वाले इस इलाके को इससे काफी फायदा पहुंचने की उम्मीद है। देश के पूर्वी, केंद्रीय और मध्य इलाकों में भी बारिश होने का अनुमान है। मौसम विभाग के मुताबिक, अगस्त आखिर तक मानसून की बरसात औसत से केवल 2 फीसदी ही कम रही है। खेती के लिहाज से देश के तकरीबन सभी इलाकों में इस बार मानसून का प्रदर्शन बढ़िया रहा है।

अगस्त अंत तक उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में जहां औसत से 16 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। वहीं देश के केंद्रीय भाग में औसत से 8 फीसदी, दक्षिणी राज्यों में 4 फीसदी और उत्तर-पूर्वी राज्यों में 5 फीसदी कम बारिश हुई है। महाराष्ट्र के विदर्भ, मराठवाड़ा और कर्नाटक के उत्तरी-पूर्वी भाग में तो औसत से क्रमश: 20, 44 और 25 फीसदी कम बारिश हुई है। इन इलाकों के हालात सूखे जैसे हो गए हैं।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने भीषण बाढ़ प्रभावित कोसी के किसानों को सलाह दी है कि खेतों से पानी निकलने के बाद वे 40 दिन पुराने धान के बिचड़े रोपें। परिषद के मुताबिक, यदि धान के बिचड़े मिलने में काफी मुश्किल हो या मिले ही न तो सिवाए रबी फसल का इंतजार करने के उनके सामने दूसरा कोई विकल्प नहीं है।

ऐसी स्थिति में बेहतर होगा कि किसान रबी फसलों जैसे चना, उड़द, मसूर और आलू की अगौती बुआाई करें। रबी की मुख्य सीजन में गेहूं, सरसों, मक्का और सूरजमुखी की खेती करना किसानों के लिए फायदेमंद रहेगा। सूखे के चलते पंजाब में धान के खेतों में मुरझाने वाली बीमारी देखी जा रही है। इसे चिंताजनक माना जा रहा है।

लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने किसानों को सलाह दी है कि वे सही समय पर कीटनाशकों का प्रयोग करें ताकि कीड़ों की रोकथाम की जा सके। विशेषज्ञों के अनुसार इस बीमारी के चलते सामान्यत: पौधों में अनाज ही नहीं लग पाते। इस बीच कई राज्यों से कपास के पौधों में मिली बग नामक कीड़े लगने की शिकायत सामने आई है।

दोहरे अंकों की महंगाई दर के पिछले कई हफ्तों से बने रहने के बीच तिलहन की खेती बढ़ने से सरकार को सुकून मिलता दिख रहा है। जबकि तिलहन का कुल रकबा पिछले साल से 1.65 फीसदी ज्यादा बढ़ चुका है। बाजार पर इसका असर भी दिखा है और खाद्य तेल की कीमतों में नरमी देखी जा रही है।

First Published : September 5, 2008 | 11:31 PM IST