कच्चे तेल की कीमतों में बुधवार को 1 डॉलर प्रति बैरल की तेजी आई। गौरतलब है कि बुधवार को ही अमेरिकी ऊर्जा प्रशासन तेल भंडार के साप्ताहिक आंकड़े जारी करेगा।
इस हफ्ते अमेरिका में तेल का भंडार कम रहने की संभावना जताई जा रही है। इसकी वजह अमेरिका में तेल की मांग के बढ़ने को बताया जा रहा है। जिसके चलते रिफाइनरियों ने अपना उत्पादन बढ़ा दिया है नतीजतन वहां पर कच्चे तेल का भंडार कम रहने का अनुमान लगाया जा रहा है।
न्यू यॉर्क में तेल के प्रमुख कांट्रैक्टर लाइट स्वीट क्रूड में जुलाई अनुबंध के लिए कच्चे तेल की कीमतों में 1.14 डॉलर प्रति बैरल का इजाफा हुआ और कीमतें बढ़कर 132.45 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गईं। दूसरी ओर लंदन के ब्रेंट नॉर्थ सी में कच्चे तेल की कीमतें 1 डॉलर प्रति बैरल तक उछलकर 132.02 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गईं। हालांकि उनका यह भी मानना है कि अभी बाजार में और तेजी आएगी। उन्हें डॉलर के और मजबूत होने के आसार नहीं दिख रहे हैं।
डॉलर में मजबूती
अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा इस बात के संकेत मिलने के बाद कि इस साल अमेरिका में ब्याज दरों को बढ़ाया जाएगा, डॉलर पिछले साढ़े तीन महीनें में यूरो के मुकाबले उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। गौरतलब है कि कमजोर डॉलर के चलते निवेशक इक्विटी बाजार की बजाय जिंसों में निवेश का रुख करने लगे थे।
मांग पर नजर
एक एजेंसी द्वारा किए गए सर्वे के मुताबिक कुछ विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका में कच्चे तेल के भंडार में 11 लाख बैरल की कमी आने का अनुमान है। इस तरह लगातार चार हफ्तों तक कच्चे तेल के भंडार में गिरावट जारी रहेगी।