ठंडा पड़ रहा चावल का उबाल

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 11:41 AM IST

महंगाई की दर देख हर शुक्रवार को सरकार के पसीने छूट जाते हों, लेकिन चावल की कीमत सरकार को ठंडक पहुंचा सकती है। पिछले तीन सप्ताह से यह कीमत या तो स्थिर है या इसमें गिरावट हो रही है।


विश्व बाजार के ठंडा पड़ने से पिछले महीने के मुकाबले थोक बाजार में बासमती चावल 20 रुपये प्रति किलोग्राम तक मंदा हो गया है। चावल की अन्य किस्मों में भी  2-10 रुपये प्रति किलोग्राम की कमी आई है। गैर बासमती चावल के निर्यात पर सरकार ने पहले ही पाबंदी लगा रखी है। विश्व स्तर पर भी वर्ष 2008 के दौरान चावल के उत्पादन में बढ़ोतरी की संभावना है।

सदर बाजार ग्रेन मर्चेंट एसोसिएशन के मुताबिक, साधारण से लेकर अच्छे सभी किस्म के चावल में गिरावट का दौर जारी है। साधारण लोगों के  बीच सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाले चावल परिमल के भाव में पिछले महीने के मुकाबले 2-2.50 रुपये प्रति किलोग्राम कम हुए हैं।

परिमल-11 में 3 रुपये प्रति किलोग्राम, सरबती में 5 रुपये प्रति किलोग्राम, 1121 में 18-20 रुपये प्रति किलोग्राम, शबनम में 10 रुपये प्रति किलोग्राम तो डीबी में 15 रुपये प्रति किलोग्राम की कमी दर्ज की गयी है। एसोसिएशन के अध्यक्ष ओम प्रकाश जैन कहते हैं, ‘सिर्फ चावल ही एक मात्र खाद्य पदार्थ है जहां मंदा है। आगे भी (मतलब विश्व बाजार में) मंदा है। अमेरिका, यूरोप व खाड़ी देशों का बाजार ठंडा है। घरेलू बाजार में स्टॉक पर्याप्त है और फसल भी अच्छी होने की उम्मीद है।’

वर्ष 2007-08 के दौरान चावल का उत्पादन 964.30 लाख टन हुआ जो पिछले साल के मुकाबले 30 लाख टन अधिक है। सरकार ने सिर्फ बासमती चावल के निर्यात की इजाजत दी है, जिसका न्यूनतम निर्यात मूल्य 1200 डॉलर प्रति टन है। चावल के दाम में गिरावट का रुख दिल्ली के अलावा बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल व कई अन्य प्रांतों में जारी है। इन सूबों में चावल की कीमत में पिछले तीन सप्ताह के दौरान 1-5 फीसदी की गिरावट आयी है।

जैन कहते हैं, ‘चावल की नयी फसल भी अच्चछी होने की उम्मीद है। समय से पहले मानसून के आने से बिजाई अच्छी हो गयी। इसके समर्थन में कीमत तो टूटेगी।’ अकेले पंजाब में 26 लाख हेक्टेयर जमीन पर गैर बासमती चावल की बिजाई होने की संभावना है।

फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन (एफएओ) ने वर्ष 2008 के दौरान 66.70 करोड़ टन चावल उत्पादन का अनुमान लगाया है, जो कि वर्ष 2007 के उत्पादन से 15 मिलियन टन अधिक है। कारोबारियों का यह भी कहना है कि सरकार ने सभी प्रमुख अनाजों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। अन्य प्रमुख अनाजों के निर्यात जारी रहने पर उसके समर्थन में चावल की कीमत तेज हो सकती थी।

प्रांत            जुलाई प्रथम            जुलाई दूसरा     
                         सप्ताह                        सप्ताह
बिहार              1,389.95                   1,380
गुजरात           1,987                         1,968.65
झारखंड          1,502                         1,383.53
केरल              2,717.03                    1,728.07
उत्तर प्रदेश    1,392                         1,387
पश्चिम बंगाल 1,393                        1,355
कीमत रुपये में प्रति क्विंटल
स्रोत विभिन्न प्रांतों की एपीएमसी

First Published : July 16, 2008 | 12:33 AM IST