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सीमेंट: मांग में सुधार अनिश्चित लेकिन मार्जिन बरकरार

Last Updated- December 14, 2022 | 11:05 PM IST

सीमेंट उद्योग संभवत: मात्रात्मक बिक्री में गिरावट के साथ चालू वित्त वर्ष को अलविदा करेगा लेकिन मूल्य अनुशासन और लागत में कमी के कारण मार्जिन के मोर्चे पर अधिकतर कंपनियों का प्रदर्शन अच्छा दिख सकता है।
सीमेंट कंपनियों ने मई में घोषित मूल्य वृद्धि में आंशिक कमी की है। खर्च में कटौती और ईंधन लागत में कमी होने से इन कंपनियों केा अपना मार्जिन बचाने में मदद मिलेगी। एम्बिट कैपिटल के अनुसंधान प्रमुख (संस्थागत प्रमुख) नितिन भसीन ने कहा, ‘इस साल सीमेंट कंपनियों के लिए मार्जिन चिंता का विषय नहीं होना चाहिए। मात्रात्मक बिक्री कम हो सकती है लेकिन कंपनियों ने प्रति टन अधिक एबिटा को बरकरार रखा है। खर्च का बोझ घटने और
ईंधन लागत में कमी से इसमें मदद मिली।’
मई में लॉकडाउन में ढील दिए जाने के तुरंत बाद देश की सभी सीमेंट कंपनियों ने कीमत में 10 से 70 रुपये प्रति टन की बढ़ोतरी की थी जो क्षेत्रीय बाजारों पर निर्भर था। लेकिन इनमें से कुछ वृद्धि को आंशिक तौर पर वापस भी ले लिया गया। उदाहरण के लिए, मुंबई में सीमेंट के एक बैग की कीमत 350 रुपये थी जबकि जून और जुलाई में कीमत 360 रुपये थी। भसीन ने कहा, ‘मई में बढ़ाई गई कीतों में कुछ आंशिक वापसी हुई लेकिन वह उल्लेखनीय नहीं है।’ भारत में सीमेंट की मांग सुधार की राह पर अग्रसर है लेकिन स्थानीय लॉकडाउन ने उसे अनिश्चित बना दिया है।
श्री सीमेंट के प्रबंध निदेशक एचएम बांगर ने कहा कि इस उद्योग में उपयोगिता का स्तर 70 फीसदी है।
अधिकतर लोगों ने अक्टूबर से मार्च की अवधि के लिए बेहतर मांग की उम्मीद जताई है। बांगर ने कहा, ‘अक्टूबर 2020 से मार्च 2021 के लिए मांग पिछले साल जैसी होनी चाहिए। मार्च में लॉकडाउन शुरू होने के कारण वित्त वर्ष 2021 के लिए सालाना आधार पर मांग में 10 फीसदी की कमी आने की आशंका थी लेकिन अब मांग में व्यवधान कम होने के आसार हैं।’ कोविड-19 के प्रकोप से पहले मांग में 7 से 8 फीसदी की वृद्धि की उम्मीद जताई गई थी।

First Published - October 4, 2020 | 11:36 PM IST

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