शेयरों की कीमतों में गिरावट की वजह से निवेशक अब सोने की तरफ मुड़ रहे हैं। मुद्रास्फीति और रुपये में गिरावट जैसे जोखिम से बचने के लिए उनका सोने के प्रति प्रेम बढ़ रहा है। जनवरी में घरेलू म्युचुअल फंडों (एमएफ) के गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों (ईटीएफ) में 3,751.42 करोड़ रुपये का निवेश किया गया, जो पूर्ववर्ती वर्ष के औसत पूंजी प्रवाह की तुलना में 4 गुना है। गोल्ड ईटीएफ के फोलियो की संख्या 30 फीसदी बढ़कर 65 लाख पर पहुंच गई जबकि प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) पिछले साल की तुलना में 87 प्रतिश्त बढ़कर 51,839 करोड़ रुपये हो गईं।
अंतर्निहित परिसंपत्तियों के मूल्य में तेज वृद्धि ने एयूएम को बढ़ा दिया है और पिछले वर्ष में स्वर्ण योजनाओं के शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) में औसतन 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
सोने की कीमतें 84,700 रुपये पर सर्वाधिक ऊंचाई के आसपास चल रही हैं जबकि सेंसेक्स 86,000 के अपने ऊंचे स्तर से 12 प्रतिशत गिर चुका है और इस समय यह 75,939 पर कारोबार कर रहा है। ईटीएफ के माध्यम से सोने में निवेश को पारंपरिक खरीद के मुकाबले अधिक सुविधाजनक विकल्प माना जाता है। घरेलू फंड अभी 18 गोल्ड ईटीएफ योजनाएं पेश कर रहे हैं।
हालांकि कुछ लोग सवाल उठा सकते हैं कि क्या सोने की तेजी में शामिल होने में देर तो नहीं हो गई, लेकिन विशेषज्ञों का सुझाव है कि पोर्टफोलियो में सोने की भागीदारी 10-15 प्रतिशत रखनी चाहिए। हालांकि, वे आगाह करते हैं कि पिछले साल के रिटर्न को दोहराए जाने की संभावना नहीं है। भू-राजनीतिक तनाव, ब्याज दरों में बदलाव सोने की कीमतों को प्रभावित करते रहेंगे।
– समी मोडक
First Published - February 16, 2025 | 10:51 PM IST
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