केन्या में प्रतिकूल मौसम, यानी सूखे की मार का असर चाय के उत्पादन पर भी पड़ा है। पिछले साल के 2.97 करोड़ टन के मुकाबले इस साल उत्पादन में 29 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। केन्या के चाय बोर्ड के मुताबिक, पिछले जनवरी के मुक ाबले इस साल मौसम कुछ ज्यादा ही खराब रहा है। लिहाजा, वहां के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र रिफ्ट में भी अपेक्षित मात्रा में उत्पादन नहीं हो पाया। इसके साथ ही चाय की पत्तियां तोड़ने में परेशानी और
चुनाव के बाद के खराब माहौल का असर भी उत्पादन पर पड़ा। गौरतलब है कि राष्ट्रपति एम. किबाकी के पुनर्चुनाव के दौरान हुई हिंसक झड़पों में करीब 1,000 लोग मारे गए, जिससे अफ्रीका की चुनिंदा पेशों में एक चाय उद्योग को गहरा धक्का पहुंचा है। उल्लेखनीय है कि रिफ्ट वैली में केन्या के कुल चाय उत्पादन का 40 फीसदी का उत्पादन होता है, लेकिन यहां के खदानों के ज्यादातर मजदूर उन इलाकों के हैं, जहां सांप्रदायिक दंगे ज्यादा हुए हैं। ऐसे में चाय के उत्पादन पर असर पड़ना लाजिमी है। चाय बोर्ड के मुताबिक, जनवरी 2007 में 416 लाख टन का उत्पादन हुआ था, लेकिन इस साल 33 फीसदी चाय की नीलामी रोकनी पड़ी, क्योंकि हिंसात्मक आंदोलनों के कारण यातायात पर भी प्रतिकूल असर पड़ा था। लिहाजा, जनवरी में औसत नीलामी कीमतें करीब 83 रुपये प्रति किलो की दर से बढ़ीं, जबकि पिछले साल यह इजाफा करीब 43 रुपये का था। केन्या से चाय की सबसे ज्यादा खरीदारी इंग्लैंड करता है, लेकिन इस बार उसे 74 लाख किलो की खरीद केन्या से, जबकि 59 लाख किलो मिस्र और 49 लाख किलो पाकिस्तान से खरीदनी पड़ी।
उल्लेखनीय है कि खाड़ी देशों में संयुक्त अरब अमीरात में सबसे अधिक चाय की खपत होती है, जो केन्या से चाय का आयात करता है।