प्रतीकात्मक तस्वीर
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शनिवार को वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश करने जा रही हैं। इस बजट में अन्य मुद्दों के अलावा एक बड़ा मुद्दा भारतीय रेलवे में किराए पर दी जाने वाली सब्सिडी का है। भारतीय रेलवे लंबे समय से सरकार की सहायता पर निर्भर रहा है, ताकि करोड़ों यात्रियों के लिए सफर किफायती बना रहे। लेकिन रेलवे किराए पर अभी कितनी सब्सिडी दी जाती है?
भारतीय रेलवे देश की सबसे बड़ी सार्वजनिक परिवहन प्रणाली है और यह किराए पर भारी सब्सिडी देता है। इसमें मुख्य रूप से वरिष्ठ नागरिकों, छात्रों और दिव्यांग यात्रियों को किराए पर सब्सिडी दी जाती है। हालांकि, प्रति टिकट सब्सिडी कितनी दी जाती है, इसकी कोई स्पष्ट जानकारी आधिकारिक तौर पर नहीं मिलती है, लेकिन भारतीय रेलवे को हर साल सरकार से बड़ी वित्तीय सहायता मिलती है, ताकि इन घाटों की भरपाई की जा सके। इस सहायता से यह सुनिश्चित किया जाता है कि सामान्य ट्रेन किराए, खासकर गैर-प्रीमियम ट्रेनों के किराए, वास्तविक परिचालन लागत से कम रखे जा सकें।
भारतीय रेलवे की यह सब्सिडी प्रति टिकट के बजाय यात्री सेवा के कुल परिचालन घाटे के रूप में पता चलता है।
दिसंबर 2024 में संसद सत्र के दौरान, रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि भारतीय रेलवे सालाना 56,993 करोड़ रुपये की सब्सिडी देता है, जो हर टिकट पर औसतन 46 प्रतिशत की छूट के बराबर है।
ALSO READ: Budget Glossary: आसान शब्दों में समझें बजट से जुड़े फाइनेंशियल टर्म्स, 1 फरवरी को आएगा देश का बजट
उदाहरण के तौर पर, यदि किसी टिकट की कीमत 100 रुपये है, तो यात्री उसमें से केवल 54 रुपये का ही भुगतान करते हैं, जबकि बाकी खर्च सरकार की सब्सिडी से पूरा किया जाता है। यह वित्तीय सहायता खासकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए रेल यात्रा को किफायती बनाए रखने के लिए दी जाती है। केंद्रीय बजट 2023-24 में, सरकार ने भारतीय रेलवे को सब्सिडी वाले किराए से हुए घाटे की भरपाई के लिए 59,837 करोड़ रुपये दिए थे।
भारतीय रेलवे अलग-अलग वर्गों के लोगों की यात्रा को आसान बनाने के लिए कई तरह की छूट देता है:
वरिष्ठ नागरिक: 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों को 40 प्रतिशत की छूट, जबकि 58 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिलाओं को 50 प्रतिशत की छूट दी जाती है।
छात्र: स्कूल और कॉलेज जाने वाले छात्रों को होम-टू-स्कूल/कॉलेज यात्रा के लिए सीजन टिकट पर रियायत।
दिव्यांगजन (Divyangjan): यात्रा के अलग-अलग प्रकार के आधार पर 50 प्रतिशत से 75 प्रतिशत तक की छूट दी जाती है।
मरीज: इलाज के लिए यात्रा करने वाले मरीजों को किराए में कुछ छूट दी जाती है।
इसके अलावा, युद्ध में शहीद सैनिकों की विधवाओं, पत्रकारों और रेलवे कर्मचारियों को भी कुछ स्पेशल सब्सिडी दी जाती है।
यात्री किराए पर दी जाने वाली सब्सिडी के अलावा, सरकार रेलवे के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भी भारी वित्तीय सहायता देती है। इसमें नई रेलवे लाइनों का निर्माण, रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण और मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन व रेलवे विद्युतीकरण जैसे बड़े प्रोजेक्ट शामिल हैं। इन परियोजनाओं के लिए सरकार सीधे फंडिंग करती है या कर्ज के जरिए सहायता देती है।
अगर ट्रेन किराए पर दी जाने वाली सब्सिडी की तुलना करें, तो भारतीय रेलवे और यूरोपीय रेलवे प्रणाली की वित्तीय नीतियां अलग-अलग हैं, जो उनकी परिवहन आवश्यकताओं और बजट प्राथमिकताओं के अनुसार निर्धारित होती हैं।
भारतीय रेलवे की सब्सिडी मॉडल: भारतीय रेलवे यात्रियों के लिए यात्रा किफायती बनाने के लिए सब्सिडी पर भारी खर्च करती है। इस मॉडल का एक अहम पहलू क्रॉस-सब्सिडीकरण है, जहां मालभाड़े (फ्रेट) से होने वाली आमदनी यात्री सेवाओं के घाटे को पूरा करने में मदद करती है। इसका मतलब है कि माल परिवहन से होने वाली कमाई से स्लीपर और अनारक्षित कोच के घाटे को पूरा किया जाता है। भारतीय रेलवे का माल परिवहन आमतौर पर ज्यादा लाभदायक होता है।
इसके अलावा, भारतीय रेलवे के लिए सरकार की सीधी फंडिंग भी होती है, जिसमें बजट का एक बड़ा हिस्सा यात्री सेवाओं के नुकसान की भरपाई के लिए आवंटित किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य भारत की विशाल आबादी, विशेष रूप से निम्न-आय वर्ग के लिए परिवहन को सुलभ बनाना है।
यूरोपीय रेलवे सब्सिडी मॉडल: जर्मनी, फ्रांस और यूके सहित यूरोपीय देश में सब्सिडी को लेकर अलग-अलग नियम हैं। वहां की सरकारें रेलवे भी सेवाओं पर भारी सब्सिडी देती हैं, लेकिन उनका मुख्य उद्देश्य किराए को कम रखना नहीं होता है। वहां किराए को कम रखने के वजाय सेवा की गुणवत्ता और बुनियादी ढांचे को बनाए रखने पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
भारत, जहां सब्सिडी का लक्ष्य यात्रियों को लाभ पहुंचाना होता है, यूरोप में ये सब्सिडी मुख्य रूप से रेलवे के बुनियादी ढांचे, परिचालन लागत को कम करने और क्षेत्रीय व कम लाभ वाले मार्गों की स्थिरता रखने पर ध्यान दिया जाता है।
यूरोपीय रेल सब्सिडी के उदाहरण
जर्मनी: डॉयचे बान (Deutsche Bahn) को 2021 में क्षेत्रीय और लंबी दूरी की सेवाओं के लिए सरकार से 4.5 बिलियन यूरो की सब्सिडी मिली।
फ्रांस: एसएनसीएफ (SNCF, फ्रांस की राष्ट्रीय रेलवे) को 2020 में सरकार से 13.7 बिलियन यूरो का सहयोग दिया, जो मुख्य रूप से बुनियादी ढांचे के रखरखाव और क्षेत्रीय सेवाओं के लिए था।
यूके: कोविड-19 महामारी के दौरान, ब्रिटेन सरकार ने रेलवे सेवाओं को बनाए रखने के लिए 12 बिलियन यूरो की वित्तीय सहायता प्रदान की, भले ही उस समय यात्री संख्या में भारी गिरावट आई थी।
हालांकि यूरोपीय देशों में भी वरिष्ठ नागरिकों, छात्रों और लगातार यात्रा करने वालों के लिए छूट उपलब्ध है, लेकिन उनकी सब्सिडी का उद्देश्य किराए को भारत जितना कम रखना नहीं है। इसके बजाय, वे उच्च-गुणवत्ता वाली सेवाओं, कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और सड़क व हवाई यात्रा के बजाय रेल यात्रा को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
केंद्रीय बजट 2024-25 में रेलवे को रिकॉर्ड 2.65 लाख करोड़ रुपये की पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) आवंटन मिला, जो पिछले वर्ष के संशोधित अनुमान 2.6 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 2 प्रतिशत अधिक था। इसमें से 2.52 लाख करोड़ रुपये सरकार द्वारा बजटीय सहायता के रूप में दिए गए, जो 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी थी। अन्य स्रोतों में 10,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त बजटीय संसाधनों से, 3,000 करोड़ रुपये रेलवे के आंतरिक फंड से, और 200 करोड़ रुपये निर्भया फंड से आए।
भारतीय रेलवे का ऑपरेटिंग रेशियो 98.22 प्रतिशत निर्धारित किया गया है, जिसका अर्थ है कि रेलवे हर 100 रुपये की कमाई पर 98.22 रुपये खर्च करता है, जिससे इसकी वित्तीय स्थिति एक चिंता का विषय बनी हुई है। चूंकि पूंजीगत व्यय लगातार बढ़ रहा है, 2025-26 के लिए बजटीय आवंटन 2.9 से 3 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ने की उम्मीद है।
बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को केंद्रीय बजट 2025-26 पेश करने जा रही हैं, जो उनका लगातार आठवां बजट होगा।