Budget 2024: आम बजट 2024 में देश की स्टार्टअप कंपनियों और उनके निवेशकों के लिए कई तरह के कर लाभों का ऐलान किया गया है, जिसमें सभी वर्ग के निवेशकों के लिए विवादास्पद ऐंजल कर खत्म करना तथा सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध इक्विटी के बीच पूंजीगत लाभ दरों में एक रूपता शामिल है।
ऐंजल कर, जो आधिकारिक तौर पर आयकर अधिनियम में धारा 56(2) (7बी) है, देश की उन गैर-सूचीबद्ध कंपनियों पर तब लागू होता है, जब वे किसी कंपनी के उचित बाजार मूल्य से अधिक की कीमत पर निवेशकों को शेयर जारी करके पूंजी जुटाती हैं। इस अतिरिक्त राशि को आय के रूप में माना जाता है और उस पर 30.9 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाता है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को अपने बजट भाषण में कहा ‘भारतीय स्टार्टअप के पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने, उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देने और नवाचार का समर्थन करने के लिए मैं सभी वर्ग के निवेशकों के लिए तथाकथित ऐंजल कर खत्म करने का प्रस्ताव करती हूं।’
ऐंजल कर के अलावा बजट में वित्तीय परिसंपत्तियों के लिए दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर की दर में भी बदलाव का ऐलान किया गया है, जिसे पहले के 20 प्रतिशत से घटाकर 12.50 प्रतिशत कर दिया गया है। इस कदम का देश की स्टार्टअप और निवेशकों ने समान रूप से स्वागत किया है।
फोनपे के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) आदर्श नाहटा ने कहा ‘भारत में ऐंजल कर खत्म किया जाना स्वागत योग्य बदलाव है, जो स्टार्टअप के पारिस्थितिकी तंत्र में नई जान फूंकता है। सरकार द्वारा उठाया गया यह दूरदर्शी कदम अनुपालन बोझ को कम करने वाला, निवेश आकर्षित करने वाला और ऐसा माहौल तैयार करने वाला है, जहां स्टार्टअप वास्तव में फल-फूल सकती हैं।’
शुरुआती चरण वाले वेंचर कैपिटल फंड 3वन4 कैपिटल के संस्थापक साझेदार सिद्धार्थ पाई के अनुसार इस विवादास्पद कर को हटाया जाना निवेशकों के लिए बड़ी जीत है।
उन्होंने कहा ‘1 अप्रैल, 2024 के बाद से पूंजी जुटाने वाली कंपनियों को ऐंजल कर के खतरे का सामना नहीं करना पड़ेगा। विदेशी निवेशकों के लिए ‘ऐंजल टैक्स’ के विस्तार के परिणामस्वरूप फंडिंग में भारी गिरावट आई है।’
बाजार पर नजर रखने वाले प्लेटफॉर्म ट्रैक्सन ने कहा कि साल 2023 के दौरान भारतीय स्टार्टअप क्षेत्र की फंडिंग में पिछले साल की तुलना में 72 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है और यह पिछले साल जुटाई गई 25 अरब डॉलर की राशि की तुलना में सात साल के निचले स्तर सात अरब डॉलर पर आ गई है।
इस कदम से निवेशकों का लेनदेन तेजी से पूरा होने और निवेश प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना भी आसान होने की उम्मीद है।
अर्थ वेंचर फंड के मैनेजिंग पार्टनर अनिरुद्ध ए दमानी ने कहा, ‘पहले आयकर अधिकारियों द्वारा मूल्यांकन समझने और उसका आकलन करने की जरूरत की वजह से अनावश्यक मशक्कत और देरी होती थी, जिसमें सीए, मूल्यांकनकर्ता और कर अधिकारी शामिल होते थे। मूल्यांकन का आकलन कभी भी आयकर अधिकारियों के दायरे में नहीं आता था और यह बदलाव उन जटिलताओं को खत्म करता है।’
साल 2012 में शुरू किए गए ऐंजल कर के इस प्रावधान का उद्देश्य कर से बचने और फंड का दुरुपयोग रोकना था। इसे ऐंजल कर इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह स्टार्टअप में ऐंजल निवेश को खासा प्रभावित करता है। शुरू में यह स्थानीय निवेशकों के लिए लागू किया था, लेकिन बाद में इसका दायरा बढ़ा दिया गया।