आर्थिक समीक्षा में नियामकीय निकायों मसलन भारतीय रिजर्व बैंक, बाजार नियामक सेबी और बीमा नियामक आईआरडीएआई में नियामकीय प्रभाव आकलन (आरआईए) के लिए संस्था बनाने की बात कही है। उसने सुझाव दिया है कि इन स्वतंत्र वित्तीय नियामकों के नियमनों के आकलन के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी बनाई जा सकती है। इसका काम नियामकीय प्रक्रियाओं और नतीजों के निष्पक्ष आकलन का होगा। समीक्षा में कहा गया है भागीदारी की प्रक्रियाओं के अनुसरण के लिहाज से नियामकीय जवाबदेही में सुधार की काफी गुंजाइश है।
समीक्षा में कहा गया है, कि आरआईए के लिए एक विश्वसनीय नजरिया यह होगा कि हर पहलू से नियमनों के आकलन के लिए नियामक के भीतर ही एक स्वतंत्र एजेंसी बना दी जाए। यह एजेंसी प्रबंधन की बजाय बोर्ड को रिपोर्ट करेगी। यह नियामकीय प्रक्रियाओं और नतीजों का निष्पक्ष व वस्तुनिष्ठ आकलन कर सकती है, जिसमें नियमन के आर्थिक सामाजिक असर शामिल हैं। इसमें कहा गया है, यह कारोबारों के लिए अनुपालन का बोझ कम कर सकती है और लागत भी घटा सकती है। साथ ही इससे नियमन की गुणवत्ता में सुधार आएगा और खामियां दूर हो सकेंगी।
इसमें कहा गया है कि ऐसे कदम से संकेत जाएगा कि नियामक उन सिद्धांतों के साथ रहना चाहते हैं, जिसके अनुपालन की उम्मीद वे नियामकीय इकाइयों से करते हैं। इससे नियामकों के अनुपालन वाली प्रक्रियाएं मजबूत बनेंगी और प्रस्तावित कदमों की स्वीकार्यता में सुधार आएगा। समीक्षा में स्थायित्व और नए विचार या नवोन्मेष को प्रोत्साहित करने के बीच अधिकतम संतुलन का आह्वान भी किया गया है।
पिछले आम बजट में वित्तीय क्षेत्र के नियामकों को नियम बनाने की प्रक्रिया में आम लोगों से विचार-विमर्श को शामिल करने, सहायक निर्देश जारी करने और मौजूदा नियमन की विस्तृत समीक्षा करने की सिफारिश की गई थी। कारोबारी सुगमता की सिफारिश के तहत बाजार नियामक ने पिछले वित्त वर्ष में प्रक्रियाओं में छूट के लिए कई कदम उठाए हैं।