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Budget 2024: फिस्कल डेफिसिट कम करने के प्रयासों से बॉन्ड यील्ड घटा, 6 माह के निचले स्तर पर पहुंचा

सरकार ने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद का 5.1 प्रतिशत रखा है, जबकि बाजार की उम्मीद 5.3 से 5.4 प्रतिशत की थी

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अंजलि कुमारी   
Last Updated- February 01, 2024 | 10:14 PM IST

Budget 2024: अंतरिम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा वित्त वर्ष 2024-25 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य उम्मीद से कम रखे जाने के कारण सरकार के बॉन्ड का यील्ड गिरकर 6 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया। सरकार ने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद का 5.1 प्रतिशत रखा है, जबकि बाजार की उम्मीद 5.3 से 5.4 प्रतिशत की थी।

वित्त वर्ष 2025 के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य का असर सकल बाजार उधारी पर पड़ा है। सरकार ने 14.13 लाख करोड़ रुपये उधारी का लक्ष्य रखा है, जबकि चालू वित्त वर्ष में 15.43 लाख करोड़ रुपये सकल उधारी का अनुमान है। 1 अप्रैल से शुरू हो रहे अगले वित्त वर्ष में शुद्ध उधारी 11.75 लाख करोड़ रुपये रखने का लक्ष्य है। सीतारमण ने कहा, ‘दोनों ही 2023-24 की तुलना में कम होगा।’

10 साल के मानक सरकारी बॉन्ड का यील्ड 8 आधार अंक कम होकरक 7.06 प्रतिशत रहा, जो बुधवार को 7.14 प्रतिशत था। बेंचमार्क यील्ड दिन के दौरान गिरकर 7.04 प्रतिशत तक गया।

सीतारमण ने कहा, ‘निवेश की जरूरतें पूरी करने के लिए हमारी सरकार आकार, क्षमता, कौशल और नियामकीय ढांचे के हिसाब से वित्तीय क्षेत्र को तैयार करेगी।’ बाजार के हिस्सेदारों ने कहा कि वित्त वर्ष के दौरान कम उधारी से भारतीय रिजर्व बैंक को मौद्रिक नीति में ढील देने का अवसर मिलेगा।

पीएनबी गिल्ट्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी विकास गोयल ने कहा, ‘अगर राजकोषीय रूढ़िवादिता दिखाई जाती है तो मौद्रिक नीति आसान करने की संभावना है। ’ उन्होंने कहा, ‘यील्ड कम हो रहा है। अगर यह गिरकर 7.05 प्रतिशत के स्तर से नीचे (बेंचमार्क बॉन्ड) आता है तो अगला स्तर 7 प्रतिशत का होगा और तकनीकी स्तर 6.94 प्रतिशत होगा, जहां से उछाल हो सकता है।’

बाजार के हिस्सेदारों का कहना है कि मौद्रिक नीति समिति का 8 फरवरी को फैसला आने तक बेंचमार्क यील्ड 7 से 7.08 प्रतिशत पर कारोबार कर सकता है। करूर वैश्य बैंक के कोषागार के प्रमुख वीआरसी रेड्डी ने कहा, ‘राजकोषीय घाटा 5.1 प्रतिशत तय करके समझदारी दिखाई गई है। यह बॉन्ड बाजार के लिए सकारातमक है। इसके परिणाम से महंगाई दर कम हो सकती है, जो रिजर्व बैंक द्वारा जल्द राहत दिए जाने का समर्थन करता है।’

रेड्डी ने कहा, ‘आगे चलकर बढ़े एफसीआी प्रवाह, सरकार द्वारा व्यय से घरेलू स्तर पर नकदी की स्थिति दुरुस्त होगी। अप्रैल में रिजर्व बैंक अपना रुख बदलकर तटस्थ कर सकता है, जो दर में कटौती के पहले का कदम होगा।’

पिछले 4 महीने से बैंकिंग व्यवस्था में नकदी की स्थिति घाटे में बनी हुई है। इसकी वजह से कम अवधि के बॉन्डों पर लाभ दीर्घावधि बॉन्डों की तुलना में सीमित था। नकदी की कमी बुधवार को बढ़कर 2.29 लाख करोड़ रुपये हो गई।

First Published : February 1, 2024 | 7:45 PM IST