अपने इलेक्ट्रिक दोपहिया की कमजोर बिक्री से जूझ रही ओला इलेक्ट्रिक एक बार फिर से वित्त वर्ष 2026 के पहले महीने अप्रैल में शीर्ष पर पहुंचने में कामयाब रही। अप्रैल में कंपनी की बाजार भागीदारी 22.4 फीसदी और पंजीकरण की संख्या 18,485 पर पहुंच गई।
हालांकि, अपने प्रतिद्वंद्वियों के साथ ओला इलेक्ट्रिक की बढ़त का अंतर बहुत कम है। दूसरे नंबर पर टीवीएस है जिसने 18,205 वाहनों का पंजीकरण दर्ज किया (बाजार हिस्सेदारी 22.06 प्रतिशत) और तीसरे स्थान पर बजाज ऑटो जिसका आंकड़ा 17,743 पंजीकरण का (21.5 प्रतिशत) है। यह इलेक्ट्रिक दोपहिया के लिए तीन कंपनियों के बीच तगड़ी प्रतिस्पर्धा का स्पष्ट संकेत है।
ई-स्कूटर पर सरकारी सब्सिडी (जो 1 अप्रैल से आधी 5,000 रुपये कर दी गई है) का असर ई-दोपहिया की कुल बिक्री पर स्पष्ट रूप से दिख रहा है। अप्रैल की कुल बिक्री में मार्च के मुकाबले भारी गिरावट देखी गई जो 126,703 वाहनों से 35 प्रतिशत की भारी गिरावट के साथ मात्र 82,539 वाहनों पर आ गई। सवाल यह है कि क्या सब्सिडी में यह कटौती अगले कुछ महीनों में भी बिक्री पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी। हालांकि सालाना आधार पर अप्रैल में बिक्री करीब 30 फीसदी बढ़ी जबकि उद्योग को इससे ज्यादा की उम्मीद थी।
मार्च में, ओला इलेक्ट्रिक की भागीदारी तेजी से घट गई थी जिससे कंपनी तीसरे स्थान पर आ गई थी और बजाज नंबर एक पर पहुंच गई थी। ओला की बिक्री में गिरावट कंपनी के लिए पंजीकरण से जुड़े उसके विक्रेताओं की समस्याओं की वजह से भी आई। कंपनी ने एक समय ई-दोपहिया बाजार में 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी को छू लिया था, लेकिन प्रतिद्वंद्वियों की प्रतिस्पर्धा, उसकी खराब सेवा को लेकर आरोप और नियामकीय जांच ने बिक्री के साथ-साथ शेयर बाजारों में उसके शेयर पर भी असर डाला है।
इसके अलावा कंपनी की इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिलों की पेशकश में भी देरी हुई है जिनकी डिलिवरी अप्रैल में होने की उम्मीद थी। वित्त वर्ष 2025 में बाजार भागीदारी पर दबाव के बावजूद ओला 31 प्रतिशत से अधिक की भागीदारी के साथ दबदबा बनाए हुए है जो वित्त वर्ष 2024 में 36 फीसदी थी। बजाज की बाजार भागीदारी वित्त वर्ष 2024 के 11.7 फीसदी से दोगुना बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 20.5 फीसदी हो गई जबकि टीवीएस बाजार भागीदारी बनाए रखने में सफल रही है।