ऑटोमोबाइल

छोटी कारों के CAFE-3 नियमों पर बढ़ रहा विवाद, KIA ने भी PMO को पत्र लिखा

JSW MG मोटर और टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स के बाद अब किआ (Kia) ने भी इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को पत्र लिखकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई

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दीपक पटेल   
Last Updated- December 23, 2025 | 11:31 AM IST

छोटी पेट्रोल कारों से जुड़े CAFE-3 (कॉरपोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी) उत्सर्जन नियमों को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। JSW MG मोटर और टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स के बाद अब किआ (Kia) ने भी इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को पत्र लिखकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। सूत्रों के मुताबिक, किआ ने यह पत्र पिछले हफ्ते लिखा, ठीक उसी समय जब MG और टाटा मोटर्स ने भी इसी तरह की शिकायतें की थीं।

CAFE-3 नियमों से क्या है KIA की आपत्ति

KIA ने पीएमओ को बताया कि 909 किलोग्राम से कम वजन वाली पेट्रोल कारों के लिए अलग श्रेणी बनाना CAFE नियमों के मूल मकसद को कमजोर करेगा। CAFE नियमों का उद्देश्य यह है कि कार कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) जैसी ग्रीन टेक्नॉलजी को अपनाएं और समय के साथ अपने पूरे वाहन बेड़े से निकलने वाले कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करें। किआ ने यह भी कहा कि वजन के आधार पर छूट देने से बाजार में बराबरी का माहौल खत्म हो जाएगा।

पुरानी परिभाषा बदलने पर सवाल

KIA का कहना है कि करीब 20 साल से छोटी कारों की परिभाषा लंबाई और इंजन क्षमता के आधार पर तय की जाती रही है। इसी परिभाषा के अनुसार कार कंपनियों ने अपने निवेश, प्रोडक्ट और लोकल मैन्युफैक्चरिंग की योजना बनाई है। ऐसे में अब अचानक वजन के आधार पर नई परिभाषा लाना कंपनियों के लिए अनुचित है और इससे उनके लंबी अवधि के प्लान प्रभावित हो सकते हैं।

GST ढांचे का भी दिया हवाला

किआ ने अपने पत्र में यह भी बताया कि GST नियमों के तहत 1,200 सीसी तक इंजन और 4 मीटर से कम लंबाई वाली पेट्रोल कारों पर 18% टैक्स लगता है। जबकि बाकी पेट्रोल कारों पर 40% टैक्स लगाया जाता है। यानी पहले से ही छोटी कारों को टैक्स में राहत दी जा रही है।

किआ ने यह भी आरोप लगाया कि प्रस्तावित वजन आधारित छूट से असल में सिर्फ एक कार निर्माता को फायदा होगा, जिसकी 909 किलो से कम वजन वाली कारों के सेगमेंट में करीब 95% हिस्सेदारी है।

CAFE-3 नियम क्या हैं

CAFE नियमों के तहत कार कंपनियों के पूरे वाहन बेड़े के लिए सालाना कार्बन उत्सर्जन की सीमा तय की जाती है, जिसे ग्राम प्रति किलोमीटर (g/km) में मापा जाता है। अगर कोई कंपनी इन लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाती, तो ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) उस पर जुर्माना लगा सकता है। BEE ऊर्जा मंत्रालय के तहत काम करता है।

BEE ने FY28 से FY32 के लिए CAFE-3 नियमों का पहला ड्राफ्ट जून 2024 में जारी किया था। इसके बाद SIAM (सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स) ने दिसंबर 2024 में इस पर अपनी राय दी। बाद में मारुति सुजुकी ने अलग से छोटी कारों के लिए वजन आधारित छूट की मांग की, जिससे इंडस्ट्री में मतभेद साफ हो गए।

सितंबर 2025 में BEE ने ड्राफ्ट में बदलाव करते हुए पहली बार 909 किलो से कम वजन वाली पेट्रोल कारों को 3 g/km की अतिरिक्त छूट देने का प्रस्ताव रखा। हालांकि, SIAM ने बाद में माना कि इस मुद्दे पर उसके सदस्य कंपनियों के बीच सहमति नहीं बन पाई।

मारुति ने दी यूरोप की मिसाल

मारुति सुजुकी के वरिष्ठ अधिकारी राहुल भारती ने 1 दिसंबर को कहा था कि अगर CAFE-3 लक्ष्य “अवैज्ञानिक और अनुचित” रहे, तो 909 किलो से कम वजन वाली कारों को बंद करना पड़ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि 3 g/km की छूट बहुत कम है, खासकर जब इसकी तुलना इलेक्ट्रिक वाहनों, मजबूत हाइब्रिड कारों, और यूरोप जैसे बाजारों से की जाए, जहां छूट 18 g/km तक दी जाती है।

इसी बीच, यूरोपीय आयोग ने 16 दिसंबर को नई ऑटोमोबाइल नीति की घोषणा की। इसके तहत 4.2 मीटर से कम लंबाई वाली इलेक्ट्रिक कारों को “सुपर क्रेडिट” मिलेगा, जिससे कंपनियों को छोटे EV बनाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।

First Published : December 23, 2025 | 11:31 AM IST