एलआईसी म्युचुअल फंड में मुख्य निवेश अधिकारी (इक्विटी) योगेश पाटिल
क्या अमेरिकी टैरिफ ने भारतीय बाजारों की हवा निकाल दी है?
अधिकांश देशों पर अमेरिका के टैरिफ लगाने से वैश्विक शेयर बाजारों में अनिश्चितता बढ़ गई है। हालांकि मौजूदा माहौल अनिश्चित बना हुआ है, खासकर शेयर बाजारों में और भारत इन चुनौतियों से निपटने के लिए अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में है। वास्तव में, भारतीय निर्यातकों को बदलते व्यापार परिदृश्य से लाभ हो सकता है, क्योंकि प्रतिस्पर्धी देशों पर ऊंचे टैरिफ अमेरिकी बाजार में भारतीय वस्तुओं को प्रतिस्पर्धी बना सकते हैं।
क्या बाजार कॉरपोरेट आय को लेकर अति-उत्साही हैं?
ऐसा लगता है कि बाजारों में हाल के अर्निंग डाउनग्रेड का असर काफी हद तक दिख चुका है। हम उभरते क्षेत्रों, विशेष रूप से पूंजीगत वस्तुओं, बिजली और संबद्ध उद्योगों से आय में वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं। ये अवसर मुख्य रूप से मिडकैप और स्मॉलकैप सेगमेंट में हैं। अल्पावधि में कीमतों में उतार-चढ़ाव केवल शेयरों पर ही केंद्रित रहने की उम्मीद है। ऐसे कुछ लार्जकैप शेयर दबाव में रह सकते हैं जिन्होंने पिछले एक-दो वर्षों में धीमी आय वृद्धि दर्ज की है।
साल 2025 में आपकी निवेश रणनीति क्या है?
हमारी निवेश योजना मजबूत प्रबंधन, अच्छे बिजनेस मॉडलों, आय वृद्धि और पूंजीगत किफायत वाली कंपनियों की पहचान करने और उनमें पैसा लगाने पर केंद्रित रही है। हालांकि इक्विटी बाजार मौजूदा समय में सीमित दायरे में कारोबार कर रहे हैं। फिर भी हम उन सेक्टरों और व्यवसायों पर ध्यान दे रहे हैं जहां हमें अगले तीन से पांच वर्षों में आय वृद्धि की स्पष्ट संभावना है। हम अपने इक्विटी पोर्टफोलियो में कैश कॉल नहीं लेते हैं। हमारे अधिकांश फंड पूरी तरह से निवेश से जुड़े रहते हैं।
आईटी सेवा, वित्त, धातु और एफएमसीजी क्षेत्रों पर आपकी क्या पोजीशन है?
आईटी क्षेत्र पर हमने अंडरवेट रुख बना रखा है। इसके विपरीत हम वित्तीय क्षेत्र, विशेष रूप से निजी बैंकों और एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) पर ओवरवेट हैं। असुरक्षित रिटेल और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) जैसे क्षेत्रों में परिसंपत्ति गुणवत्ता को लेकर कुछ चिंताओं के बावजूद यह क्षेत्र मध्यम अवधि में निवेश के लिए बुनियादी तौर पर स्थिर रह सकता है। साथ ही मौजूदा वैश्विक अनिश्चितताओं और जिंस कीमतों में उतार-चढ़ाव की वजह से हम मेटल सेक्टर पर अंडरवेट हैं, क्योंकि इस सेगमेंट में आय से जुड़ी अस्पष्टता का जोखिम बना हुआ है।
भारतीय इक्विटी में विदेशी और घरेलू पूंजी प्रवाह की आगामी राह कैसी है?
भारत के व्यापक आर्थिक बुनियादी संकेतक स्थिर हैं और मध्यम अवधि में अच्छी वृद्धि की संभावनाएं दिख रही हैं। व्यापार युद्ध को लेकर अल्पावधि की अनिश्चितता निवेश निर्णयों पर असर डाल सकती है। लेकिन मध्य से दीर्घावधि में उभरते बाजारों में पूंजी आवक की उम्मीद बनी हुई है। हमें अगली तीन-चार तिमाहियों के दौरान घरेलू और विदेशी निवेशकों दोनों का ही निवेश बढ़ने की संभावना दिखती है।