देसी शेयर बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई के आसपास है। कारनेलियन कैपिटल एडवाइजर्स के संस्थापक विकास खेमानी ने पुनीत वाधवा को फोन पर दिए साक्षात्कार में कहा कि निवेशकों के लिए सबसे अच्छा जोखिम प्रबंधन तकनीक ठोस प्रबंधन वाली अच्छी कंपनियों में निवेश है, जिसमें उतार-चढ़ाव से अप्रभावित रहने की क्षमता हो। उनका मानना है कि जोखिम कभी बोलकर नहीं आता और यह अप्रत्याशित स्रोतों से आता है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…
-क्या कैलेंडर वर्ष 2023 में बाजारों का प्रदर्शन उसके मुताबिक रहा है, जिसकी उम्मीद आपने 2022 के आखिर में की थी?
हां, बाजार का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है और हमारी उम्मीद के मुताबिक भी। हमारे मुख्य फंड ने इस साल अब तक 20 फीसदी रिटर्न (12 फीसदी अल्फा) दिया है जबकि शिफ्ट करने की हमारी रणनीति ने कैलेंडर वर्ष में 33 फीसदी अल्फा के साथ 43 फीसदी रिटर्न प्रदान किया है। बाजारों ने हमारे अनुमान को पीछे छोड़ दिया।
-क्या आपको लगता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था और बाजारों में आपसी सामंजस्य नहीं है?
मेरा मानना है कि उनमें सही तरह का सामंजस्य है। हमारी जीडीपी, जीएसटी संग्रह, अग्रिम कर संग्रह और कैपिटल गुड्स कंपनियों की ऑर्डर बुक ऐसे संकेतक हैं, जो बताती है कि अर्थव्यवस्था बेहतर प्रदर्शन कर रही है। हमारे यहां ब्याज दर सबसे कम दरों में से एक है। अमेरिकी 10 वर्षीय व भारतीय 10 वर्षीय प्रतिभूतियों का स्प्रेड ऐतिहासिक निचले स्तर पर है।
कोई भी अर्थव्यवस्था व बाजार एक दिशा में नहीं चल सकते और हम बुलबुले का कोई संकेत नहीं देख रहे हैं। सामान्य तौर पर बुलबुले का स्रोत लिवरेज सीमित दायरे में है। भारत एकमात्र अर्थव्यवस्था है जिसने वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से लिवरेज घटाया है। बाजारों में भी नियामकीय सख्ती की वजह से लिवरेज वाली पोजीशन सीमित है।
-आने वाले समय में निवेशकों को अपने जोखिम का प्रबंधन कैसे करना चाहिए?
कोई भी अर्थव्यवस्था आज की दुनिया में अलग नहीं है। एकमात्र अच्छी बात यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर बहुत ज्यादा निर्भर नहीं है। हमारा निर्यात बेहतर रहेगा, चाहे चीन से बाजार हिस्सेदारी के लाभ के कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था नरम होती हो। सबसे अच्छा जोखिम प्रबंधन तकनीक ठोस प्रबंधन वाली अच्छी कंपनियों में निवेश है, जिसमें उतारचढ़ाव में टिके रहने व उसके प्रबंधन की क्षमता हो। जोखिम हमेशा बिना कहे आता है और वह भी अप्रत्याशित स्रोतों से।
-आप वैश्विक स्तर पर नकदी की स्थिति कैसी देख रहे हैं? क्या भारत अभी भी निवेशकों के रेडार पर है?
विभिन्न केंद्रीय बैंक अथर्व्यवस्था के लिए नरम उधारी की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह कहने में जितना आसान है उतना करने में नहीं। हमारा मानना है कि ब्याज दरें सर्वोच्च स्तर पर पहुंच चुकी है और इसमें गिरावट शुरू होने से पहले यह कुछ समय तक बरकरार रह सकता है। जब ब्याज दरें घटती हैं तो उभरते बाजार निवेश के लिए बेहतर होते हैं।
इसके अतिरिक्त भारत दुनिया भर के आकर्षक बाजारों में से एक है। भारत सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है, जिसके साथ टिकाऊपन, स्थिर वृद्धि जैसी कई सकारात्मक चीजें है और ऐतिहासिक कमजोरी को दूर किया जा चुका है। हमारे राजकोषीय व चालू खाते बेहतर स्थिति में हैं और निवेश, निर्यात व उपभोग में वृद्धि अच्छी तरह से संतुलित है।
-साल 2023 में अब तक आपकी निवेश रणनीति कैसी रही है?
हम पूरे साल तेजडि़ये बने रहे और बैंकिंग ( खास तौर से पीएसबी), मिडकैप आईटी शेयरों, विनिर्माण, पूंजीगत सामान और दवा क्षेत्र पर ओवरवेट रहे है। उपभोग व धातु क्षेत्रों को लेकर हम अंडरवेट हैं। एक सेगमेंट के तौर पर पीएसबी की अगले कुछ वर्षों में दोबारा रेटिंग होगी। मिडकैप आईटी व रसायन क्षेत्र भी अनुकूल जोखिम-प्रतिफल की पेशकश कर रहे हैं। कुछ स्मॉल/मिडकैप, रक्षा और रेलवे में काफी भीड़भाड़ है।
-भारतीय बाजारों में अगले छह महीने में आप कैसा निवेश देख रहे हैं, खास तौर से देसी संस्थागत निवेशकों व खुदरा निवेशकों की तरफ से?
इक्विटी बाजारों में निवेश मजबूत बने रहने की संभावना है। खुदरा निवेशकों ने इक्विटी की ताकत को आत्मसात कर लिया है। हमारी घरेलू बचत अभी भी अपनी क्षमता से कम है और ऐसी पांच फीसदी से भी कम बचत इक्विटी में निवेशित है। यह प्रवृत्ति आगामी वर्षों में कायम रह सकती है। कई लोगों ने पिछले पांच से 10 वर्षों में खुदरा निवेश नरम होने की भविष्यवाणी की थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह अगले कुछ दशकों के लिए लंबी अवधि का स्पष्ट ट्रेंड है।
-विनिर्माण/बुनियादी ढांचा थीम पर आपका नजरिया तेजी का क्यों है?
मानव श्रम की किल्लत की खबर है, जो परियोजनाओं में अड़चन डाल सकता है, उसमें देर हो सकती है और लागत बढ़ सकती है। दशक का थीम विनिर्माण है। जब हमने अगस्त 2020 में मैन्युफैक्चरिंग फंड पेश किया था तब महामारी के छह महीने बाद हमने पाया कि यह दशक यानी लंबी अवधि का ट्रेंड है। विनिर्माण को विकसित होने में सालों लगते हैं। यह उसी जगह पर है जहां 1990 के दशक में आईटी था और यह अच्छी खासी बढ़त दर्ज करने के लिए तैयार है।