MF investing tips in Samvat 2082: पिछले कुछ वर्षों में इक्विटी म्युचुअल फंड में मजबूत निवेश देखने के बाद, निवेशकों ने संवत 2081 में सोच-समझकर इक्विटी पर दांव लगाया। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यही रुझान संवत 2082 में भी जारी रहने की संभावना है। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ महीनों में इक्विटी म्युचुअल फंड में इनफ्लो में लगातार नरमी देखी गई है, क्योंकि निवेशक जोखिम भरे एसेट से पीछे हटते रहे। हालांकि जुलाई का महीना अपवाद रहा।
इक्विटी म्युचुअल फंड में निवेश जनवरी में इस साल 39,688 करोड़ रुपये से घटकर फरवरी में 29,303 करोड़ रुपये, मार्च में 25,082 करोड़ रुपये, अप्रैल में 24,269 करोड़ रुपये और मई में ₹19,013 करोड़ रह गया।
निवेशकों की ‘बाय ऑन डिप’ स्ट्रैटेजी के बीच जून (23,587 करोड़ रुपये) और जुलाई (42,702 करोड़ रुपये) में मासिक निवेश बढ़ा, लेकिन अगस्त में यह फिर घटकर 33,430 करोड़ रुपये और सितंबर 2025 में 30,421.7 करोड़ रुपये रह गया। इक्विटी म्युचुअल फंड में निवेश घटा क्योंकि वैश्विक चुनौतियां दोबारा उभर आईं।
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एसबीआई म्युचुअल फंड के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर (DMD) और जॉइंट सीईओ डी.पी. सिंह ने कहा, “विशेष रूप से अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ से उत्पन्न वैश्विक व्यापार नीतियों के कारण होने वाले व्यवधानों ने चल रहे भू-राजनीतिक तनाव में इजाफा किया है, जिससे बाजार में अस्थिरता बढ़ी है और शॉर्ट टर्म में म्युचुअल फंड के प्रदर्शन पर असर पड़ा है। चूंकि ये चुनौतियां जारी रह सकती हैं, इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि निकट भविष्य में निवेशकों का रुझान संतुलित रहेगा।”
प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के फाउंडर विशाल धवन ने भी इसी तरह के रुझान की भविष्यवाणी की और कहा कि वैश्विक कारकों के साथ घरेलू खपत में मंदी के चलते अगले कुछ महीनों में बाजार पर दबाव बना रह सकता है, जिससे संवत 2082 में म्युचुअल फंड इनफ्लो अस्थिर बने रहेंगे।
गौर करने वाली बात यह है कि निवेशकों की सतर्कता सिर्फ इक्विटी तक ही सीमित नहीं रही। चालू कैलेंडर वर्ष के ज्यादातर समय डेट म्युचुअल फंड स्कीमों से निकासी देखी गई, जिससे इस साल कुल मासिक निकासी 9 लाख करोड़ रुपये से 13 लाख करोड़ रुपये के बीच रही।
जनवरी 2025 में डेट म्युचुअल फंड में मंथली इनफ्लो 1.2 लाख करोड़ रुपये था, जो फरवरी 2025 में 6,526 करोड़ रुपये के आउटफ्लो में बदल गया। यह मार्च 2025 में निकासी बढ़कर 2.02 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
अप्रैल में 2.19 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ। उसके बाद मई में 15,908 करोड़ रुपये और जून में 1,711 करोड़ रुपये की निकासी हुई। जुलाई में फिर से 1.06 लाख करोड़ रुपये का मासिक निवेश हुआ, उसके बाद अगस्त में 7,980 करोड़ रुपये और सितंबर 2025 में 1.01 लाख करोड़ रुपये का आउटफ्लो देखने को मिला।
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एक्सपर्ट्स का मानना है कि भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं सहित कई वैश्विक और घरेलू कारकों के परस्पर प्रभाव को देखते हुए, फिलहाल बाजार की चाल का अनुमान लगाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। हालांकि निवेशकों को यह याद रखना चाहिए कि मौजूदा बाजार की स्थिति अस्थायी है और लॉन्ग टर्म में संतुलन लौट सकता है।
सिंह ने कहा, “निकट अवधि की अस्थिरता के बीच, भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था और अनुकूल जनसांख्यिकी इक्विटी बाजार के लिए ठोस आधार प्रदान करती है। निवेशक इस कंसोलिडेशन की अवधि का उपयोग एक अनुशासित और लक्ष्य-उन्मुख दृष्टिकोण अपनाने के लिए कर सकते हैं और सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी का लाभ लॉन्ग टर्म में उठा सकते हैं।”
हालांकि बाजार में निकट अवधि के रुझान कुछ अलग दिख रहे हैं। क्वांटम एएमसी के फंड मैनेजर (इक्विटी) क्रिस्टी मथाई का मानना है कि लॉन्ग टर्म में इक्विटी में इनफ्लो संरचनात्मक रूप से स्वस्थ रहेंगे, क्योंकि निवेशकों में इक्विटीज के रूप में एसेट क्लास की पहुंच कम है और इसकी अपनाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
स्ट्रैटेजी के तौर पर, उन्होंने निवेशकों को सुझाव दिया है कि वे अपनी जोखिम सहने की क्षमता के अनुसार इक्विटी, डेट और गोल्ड में संतुलित आवंटन बनाए रखें।
वहीं, प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के विशाल धवन का मानना है कि निवेशक इस बाजार में पैसिव इंडेक्स फंड और लार्ज-कैप पर फोकस आधारित स्ट्रैटेजी पर ध्यान दे सकते हैं।
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उन्होंने कहा, “पर्सनल टैक्स और जीएसटी दरों में कटौती, ब्याज दरों में कमी और लिक्विडिटी इनफ्लो जैसी नीतिगत कार्रवाई का असर वित्तीय वर्ष के दूसरे छमाही (H2FY26) में दिखना शुरू होगा, जिससे इक्विटीज को बढ़ावा मिलेगा। निवेशकों को एसआईपी (SIP) और एसटीपी (STP) जैसी सिस्टमैटिक निवेश योजनाओं के माध्यम से अपनी इक्विटी एक्सपोजर बढ़ाना जारी रखना चाहिए।”
एसबीआई म्युचुअल फंड के डी.पी. सिंह ने कहा कि निवेशकों को सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) अपनाना चाहिए और बाजार के समय को भांपने की कोशिश करने के बजाय क्वालिटी और डायवर्सिफिकेशन को प्राथमिकता देनी चाहिए। लॉन्ग टर्म के नजरिए से निवेश बनाए रखना विकास का लाभ उठाने का मौका दे सकता है।