सरकार द्वारा संचालित ब्यूरो आफ एनर्जी एफिशिएंसी (बीईई) ने तेल रिफाइनरियों के लिए हरित हाइड्रोजन मानक अनिवार्य किए जाने का प्रस्ताव किया है। बीईई ने जोर दिया है कि 2030 तक सालाना उत्पादन का लक्ष्य बढ़ाकर 50 लाख टन किया जाना चाहिए।
बीईई ने सुझाव दिया है कि तेल शोधन कंपनियों को हरित हाइड्रोजन बाध्यताएं पूरी करने के लिए 3 साल का वक्त दिया जाना चाहिए। बिजली मंत्रालय के तहत काम करने वाला बीईई हरित हाइड्रोजन के उत्पादन की परियोजनाओं को प्रमाणित और पुष्ट करने, निगरानी एजेंसियों को अधिकृत करने की नोडल एजेंसी है।
बीईई ने सितंबर में हुई सातवीं सार्वजनिक सलाहकार समिति की बैठक के दौरान यह प्रस्ताव कियाहै। सूत्रों ने कहा कि इस बैठक के ब्योरे में कहा गया है, ‘हरित हाइड्रोजन की सीमित उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए समिति का सुझाव है कि रिफाइनरीज को खपत की बाध्यता पूरी करने के लिए कम से कम 3 साल का वक्त दिया जाना चाहिए। ’
बीईई के महानिदेशक अभय बाकरे ने कहा कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय रिफाइनरियों के बारे में फैसला करेगा। उन्होंने कहा, ‘यह अनिवार्य नहीं है। बाध्यता उपलब्ध कई विकल्पों में से एक हो सकती है। देश के लिए जो बेहतर होगा, रिफाइनरियां उस पर फैसला कर सकती हैं।’