ई-कॉमर्स दिग्गज फ्लिपकार्ट और फोनपे ने शुक्रवार को डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म के स्वामित्व पूरी तरह अलग किए जाने की घोषणा की। आंशिक तौर पर इन व्यवसायों को अलग किए जाने की घोषणा दिसंबर 2020 में की गई थी।
फोनपे ग्रुप को वर्ष 2016 में फ्लिपकार्ट समूह ने खरीदा था और अब यह भारत का सबसे बड़ा डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म बन गया है। कंपनी पर
40 करोड़ से ज्यादा पंजीकृत उपयोगकर्ता हैं और प्रत्येक चार में एक भारतीय उसकी सेवा से जुड़ा हुआ है।
फोनपे के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी समीर निगम ने कहा, ‘फ्लिपकार्ट और फोनपे घरेलू भारतीय ब्रांड हैं और इनका उपयोगकर्ता
आधार 40-40 करोड़ का है। हम अपने विकास के अगले चरण की दिशा में काम कर रहे हैं और नए बीमा, संपत्ति प्रबंधन तथा उधारी जैसे व्यवसायों में निवेश पर जोर दे रहे हैं, साथ ही भारत में यूपीआई भुगतान के लिए वृद्धि को भी सक्षम बना रहे हैं। इससे करोड़ भारतीयों को वित्तीय समावेशन के दायरे में लाने के हमारे विजन को ताकत मिलेगी।’
फ्लिपकार्ट ग्रुप के मुख्य कार्याधिकारी कल्याण कृष्णमूर्ति ने कहा कि उनकी कंपनी ने सफल उद्यमी तैयार किए हैं और पूर्व कर्मियों द्वारा शुरू किए गए व्यवसायों का शानदार असर देखा है। कृष्णमूर्ति ने कहा, ‘हमारा मानना है कि फोनपे लगातार अपना दायरा बढ़ाएगी और करोड़ों भारतीयों को वित्तीय समावेशन मुहैया कराने के लक्ष्य में मददगार साबित होगी।’
मौजूदा फ्लिपकार्ट सिंगापुर और फोनपे सिंगापुर शेयरधारकों ने फोनपे इंडिया में प्रत्यक्ष रूप से शेयर खरीदे हैं। फोन को पूरी तरह भारत-केंद्रित कंपनी बनाने की कोशिश इस साल के शुरू में हुई थी। रिटेल दिग्गज वॉलमार्ट दोनों व्यावसायिक समूहों की प्रमुख शेयरधारक बनी रहेगी।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब फ्लिपकार्ट और फोनपे अगले कुछ सप्ताहों में बड़ी सफलताएं हासिल होने की उम्मीद कर रही हैं।