नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के दिल्ली पीठ ने सोमवार को ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (Zee Entertainment Enterprises) के मानद चेयरमैन सुभाष चंद्रा (Subhash Chandra) के खिलाफ इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनैंस की व्यक्तिगत दिवालिया याचिका स्वीकार कर ली जो एक कंपनी विवेक इन्फ्राकॉन को दी गई गारंटी से संबंधित है।
इसके साथ ही आईडीबीआई ट्रस्टीशिप और ऐक्सिस बैंक की चंद्रा के खिलाफ व्यक्तिगत दिवालिया याचिका के तौर पर स्वीकार करने के लिए की गई अपील खारिज हो गई।
इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनैंस ने इससे पहले ट्रिब्यूनल से कहा था कि सुभाष चंद्रा ने दावा किया था कि विवाद पर समझौता हो गया है लेकिन महीनों बाद भी इस पर अमल नहीं हो सका। इसलिए वे व्यक्तिगत दिवालिया याचिका दायर करने पर बाध्य हो गए।
इसका मतलब यह हुआ कि मोरेटोरियम लागू हो जाने के बाद चंद्रा के खिलाफ कोई कानूनी शुरू नहीं की जा सकती और न ही वह कोई परिसंपत्ति बेच सकते या अलग कर सकते हैं।
इंडियाबुल्स ने साल 2022 में चंद्रा के खिलाफ व्यक्तिगत दिवालिया कार्रवाई शुरू करने के लिए याचिका दाखिल की थी। यह इसलिए दाखिल की गई थी क्यंकि विवेक इन्फ्राकॉम को दिया गया उसका 170 करोड़ रुपये का कर्ज एनपीए बन गया था।
चंद्रा ने तर्क दिया था कि एनसीएलटी किसी व्यक्तिगत दिवालिया पर आदेश नहीं दे सकती। ट्रिब्यूनल ने मई 2022 में कहा था कि उसके पास चंद्रा के दिवालिया को लेकर आदेश देने की शक्तियां हैं और उसने इंडियाबुल्स के आवेदन पर विचार करने के लिए रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल की नियुक्ति कर दी।
आईबीसी के तहत व्यक्तिगत गारंटी वाले प्रावधान को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी, लिहाजा मामला आगे नहीं बढ़ पाया। सर्वोच्च न्यायालय ने नवंबर 2023 में इन प्रावधानों की वैधता को सही ठहराया, जिसने कंपनियों के लिए व्यक्तिगत गारंटी वाले मामलों को खोलने का मार्ग प्रशस्त किया।