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FPI की बढ़ती खरीद के बीच देसी निवेशकों की बिकवाली में इजाफा

विशेषज्ञों का कहना है कि डीआईआई की तरफ से बिकवाली और म्युचुअल फंडों की तरफ से खरीदारी में नरमी की वजह मुनाफावसूली व इक्विटी एमएफ में कम निवेश है।

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मयंक पटवर्धन   
सुन्दर सेतुरामन   
Last Updated- July 19, 2023 | 10:01 PM IST

देसी संस्थागत निवेशकों (DII) ने इस महीने शेयरों की बिकवाली बढ़ा दी है और इस तरह से वे भरपूर नकदी व आकर्षक शेयर कीमतों का फायदा उठा रहे हैं। इस महीने अब तक डीआईआई ने 9,383 करोड़ रुपये के शयेर बेचे हैं, जो फरवरी 2021 के बाद की सबसे बड़ी मासिक बिकवाली है क्योंकि तब उन्होंने 16,358 करोड़ रुपये निकाले थे।

फरवरी 2021 और इस महीने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक मजबूत खरीदार रहे हैं और डीआईआई की बिकवाली के बावजूद बाजारों में तेजी दर्ज हुई है। फरवरी 2021 में सेंसेक्स 6.6 फीसदी चढ़ा था क्योंकि तब एफपीआई ने 21,960 करोड़ रुपये का निवेश किया था। इस महीने अब तक विदेशी फंडों ने 22,594 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं और बेंचमार्क निफ्टी में करीब 4 फीसदी का इजाफा हुआ है।

डीआईआई में मोटे तौर पर देसी म्युचुअल फंड, बीमा कंपनियां, प्रॉविडेंट फंड और पेंशन फंड शामिल होते हैं। म्युचुअल फंडों की तरफ से खरीदारी व बिकवाली के आंकड़े अलग से उपलब्ध हैं। इस महीने 13 जुलाई तक उनकी खरीदारी 1,650 करोड़ रुपये की रही है।

खरीदारी में नरमी की वजह मुनाफावसूली

विशेषज्ञों का कहना है कि डीआईआई की तरफ से बिकवाली और म्युचुअल फंडों की तरफ से खरीदारी में नरमी की वजह मुनाफावसूली व इक्विटी एमएफ में कम निवेश है।

हाल में बिजनेस स्टैंडर्ड को दिए साक्षात्कार में बीएनपी पारिबा के इंडिया इक्विटी रिसर्च के प्रमुख कुणाल वोरा ने कहा था, हमने साल 2022 में करीब 26 अरब डॉलर का भारी भरकम देसी निवेश देखा था, जो एफपीआई की 17 अरब डॉलर की निकासी की भरपाई से ज्यादा था, जिसे म्युचुअल फंड की इक्विटी योजनाओं में मजबूत निवेश से सहारा मिला।

इस साल अब तक एसआईपी निवेश सुदृढ़ बना हुआ है। हम म्युचुअल फंडों में गैर-एसआईपी योगदान में नरमी और शुद्ध‍ रूप से पोर्टफोलियो के जुड़ाव में भी कमी देख रहे हैं।

First Published : July 19, 2023 | 10:01 PM IST