भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (IT) सेवा क्षेत्र की टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इन्फोसिस, विप्रो और एचसीएलटेक जैसी कंपनियां विदेशी मुद्रा अर्जित करने के मामले में लगातार सबसे स्थिर कंपनियों के रूप में सामने आई हैं।
वर्ष 2022-23 (वित्त वर्ष 23) में पहली बार संयुक्त रूप से उनका विदेशी मुद्रा राजस्व सूचीबद्ध तेल और गैस कंपनियों के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों की सूचीबद्ध कंपनियों से अधिक हो गया है। अन्य क्षेत्रों की श्रेणी में फार्मास्युटिकल, वाहन और वाहनों की सहायक वस्तुएं, औद्योगिक धातु, पूंजीगत वस्तु, रसायन, कपड़ा, दैनिक उपभोक्ता वस्तुएं और टिकाऊ उपभोक्ता वस्तु जैसे उद्योग शामिल हैं।
वित्त वर्ष 23 में सूचीबद्ध आईटी कंपनियों का संयुक्त विदेशी मुद्रा राजस्व पिछले साल की तुलना में 20.7 प्रतिशत बढ़कर 5.14 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि विनिर्माण कंपनियों (आईटी तथा तेल और गैस से इतर) का राजस्व पांच प्रतिशत घटकर 5.08 लाख करोड़ रुपये हो गया।
बिजनेस स्टैंडर्ड के नमूने में शामिल सूचीबद्ध कंपनियों के विश्लेषण से पता चलता है कि विनिर्माण कंपनियों के विदेशी मुद्रा राजस्व में तेज नरमी रही है। दूसरी तरफ आईटी सेवा कंपनियों ने अपने निर्यात कारोबार में वृद्धि की रफ्तार बरकरार रखी है। उद्योग के विशेषज्ञ इसका कारण देश के वस्तु निर्यात में व्यापक सुस्ती को मानते हैं, जबकि सेवा निर्यात खास तौर पर आईटी क्षेत्र में मजबूत बना हुआ है।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी जी चोकालिंगम ने पाया है कि वित्त वर्ष 23 में देश का व्यापारिक निर्यात केवल कम एकल अंकों में बढ़ा, जबकि आईटी सेवाओं सहित सेवा क्षेत्र के निर्यात ने मजबूत वृद्धि बनाए रखी। उनका अनुमान है कि देश के व्यापारिक निर्यात में चल रही कमी के कारण यह प्रवृत्ति वित्त वर्ष 2014 में भी जारी रहेगी।
पिछले पांच साल के दौरान आईटी कंपनियों ने अपने निर्यात राजस्व में 14.6 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) के साथ से इजाफा देखा गया है। इसके विपरीत विभिन्न क्षेत्रों की सूचीबद्ध कंपनियों का विदेशी मुद्रा राजस्व 4.8 प्रतिशत की बहुत धीमी सीएजीआर के साथ बढ़ा।
इसके परिणामस्वरूप आईटी कंपनियों और अन्य क्षेत्रों की फर्मों के निर्यात राजस्व का अनुपात लगातार घटता रहा है। यह वित्त वर्ष 2009 के 2.39 गुना से घटकर वित्त वर्ष 22 में 1.26 गुना रह गया है।
इसके अलावा आईटी क्षेत्र ने वित्त वर्ष 23 के निर्यात राजस्व में रिलायंस इंडस्ट्रीज और मैंगलोर रिफाइनरी ऐंड पेट्रोकेमिकल्स (एमआरपीएल) जैसी कच्चे तेल की रिफाइनर से बेहतर प्रदर्शन किया है।
तेल और गैस कंपनियों के संयुक्त विदेशी मुद्रा राजस्व में पिछले साल की तुलना में 34.4 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई और यह बढ़कर 4.6 लाख करोड़ रुपये हो गया। हालांकि वित्त वर्ष 13 के बाद से उनका सीएजीआर केवल 4.2 प्रतिशत रहा, जो आईटी कंपनियों के 13.7 प्रतिशत सीएजीआर से काफी कम रहा।
वित्त वर्ष 23 में 3.37 लाख करोड़ रुपये के विदेशी मुद्रा राजस्व के साथ रिलायंस इंडस्ट्रीज सबसे बड़ी निर्यातक रही। इसके बाद टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (1.83 लाख करोड़ रुपये) और इन्फोसिस (1.21 लाख करोड़ रुपये) का स्थान रहा। शीर्ष स्तर पर कमाई करने वाली अन्य कंपनियों में विप्रो (63,700 करोड़ रुपये), एमआरपीएल (45,500 करोड़ रुपये) और एचसीएलटेक (40,900 करोड़ रुपये) शामिल हैं।