म्युचुअल फंडों में सक्रिय निवेश के दो मुख्य विकल्पों में से एक एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) परिसंपत्ति वृद्धि के संदर्भ में 10 साल में पहली बार संपूर्ण एमएफ उद्योग से पीछे रहने का अनुमान है। ईटीएफ की प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां (AUM) 2023 में अब तक 18 प्रतिशत तक बढ़ी हैं, जबकि एमएफ की एयूएम में (नवंबर तक) 23 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है।
पिछली बार ईटीएफ ने वर्ष 2013 में एमएफ उद्योग के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन किया था। 2013 में उद्योग की परिसंपत्तियों में 9 प्रतिशत वृद्धि के बावजूद ईटीएफ की एयूम 11 प्रतिशत घट गई थीं।
पैसिव फंडों में ईटीएफ और इंडेक्स फंड शामिल हैं। पैसिव फंड ने खासकर कोविड के बाद से पूरे एमएफ उद्योग में मजबूत तेजी दर्ज की है। पैसिव फंडों की एयूएम दिसंबर 2019 में 1.85 लाख करोड़ रुपये थीं जो 2022 के अंत तक बढ़कर 6.3 लाख करोड़ रुपये हो गईं। इस अवधि के दौरान हरेक साल इनमें 30 प्रतिशत से ज्यादा तेजी दर्ज की गई थी। 2023 में, पैसिव एयूएम वृद्धि उद्योग की 22 प्रतिशत की तुलना में थोड़ी कम है।
भले ही ईटीएफ में रिटेल निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ने लगी है, लेकिन इस निवेश विकल्प का इस्तेमाल मुख्य तौर पर संस्थागत निवेशकों द्वारा किया जा रहा है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ऐसे फंडों का सबसे बड़ा ग्राहक बन गया है।
सरकार द्वारा हाल में संसद में साझा किए गए आंकड़े से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2024 में (अक्टूबर के अंत तक) ईपीएफओ ने ईटीएफ में 27,105 करोड़ रुपये का निवेश किया, जबकि वित्त वर्ष 2023 में यह आंकड़ा 53,081 करोड़ रुपये था।
एमएफ अधिकारियों के अनुसार, ईटीएफ एयूएम वृद्धि में सुस्ती संभवत: ईपीएफओ निवेश में गिरावट या ईपीएफओ द्वारा बिकवाली की वजह से आई है। ईपीएफओ मुख्य तौर पर निफ्टी-50 और सेंसेक्स से जुड़े ईटीएफ में निवेश करता है।