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त्योहारी मांग नरम रहने से FMCG कंपनियों की बढ़ी मुश्किल

खुदरा विक्रेताओं को 45 दिन तक के लिए माल उधार देना पड़ रहा है क्योंकि ग्राहकों की ओर से उत्पादों का उठाव नरम बना हुआ है।

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शार्लीन डिसूजा   
Last Updated- November 14, 2023 | 10:38 PM IST

रोजमर्रा के उपभोग वाले सामान बनाने वाली कंपनियों (FMCG) की आपूर्ति श्रृंखला बाधित होने लगी है क्योंकि मांग पर अभी भी दबाव बना हुआ है। इसकी वजह से वितरकों के पास अनबिके मॉल का स्टॉक बढ़ गया है और उन्हें खुदरा विक्रेताओं को ज्यादा उधारी देने को मजबूर होना पड़ रहा है।

बिज़नेस स्टैंडर्ड ने जिन वितरकों से बात की उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में उपलब्ध माल का स्टॉक सामान्य दिनों (इन्वेंट्री दिन) की तुलना में दोगुना हो गया है और उन्हें खुदरा विक्रेताओं को 45 दिन तक के लिए माल उधार देना पड़ रहा है क्योंकि ग्राहकों की ओर से उत्पादों का उठाव नरम बना हुआ है।

एक वितरक ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि कंपनियां वितरकों के पास माल का लगातार भंडारण कर रही हैं मगर कुछ मामलों में वितरकों ने थोड़ा स्टॉक खुदरा विक्रेताओं के पास भेज दिया है। हालांकि ऐसा दीवाली से पहले किया गया था लेकिन त्योहार के बाद विक्रेताओं के पास ज्यादा माल भेजना कठिन होगा क्योंकि मांग में नरमी बनी हुई है।

देश के पश्चिमी इलाके के एक वितरक ने कहा कि जिन शहरों में डिपो है वहां अनबिके माल का स्टॉक सामान्य दिनों की खपत की तुलना में दोगुना हो गया है और खुदरा विक्रेता आपूर्ति किए गए माल का भुगतान करने के लिए ज्यादा समय देने की मांग कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में विक्रेता भुगतान करने में 45 दिन तक का वक्त ले रहे हैं। देश के पूर्वी हिस्से में भी हालात ऐसे ही हैं और वितरक कंपनियों को भुगतान करने में देरी कर रहे हैं क्योंकि खुदरा विक्रेता भी समय पर उन्हें भुगतान नहीं कर पा रहे हैं।

कुछ बड़े ब्रांडों में अनबिके माल का स्टॉक 12 से 15 का हो गया है जबकि सामान्य तौर पर 7 से 8 दिन की जरूरत का स्टॉक होता है।

खाने-पीने के सामान के कारोबार से जुड़ी कुछ कंपनियों के वितरकों के पास 45 दिन की जरूरत के हिसाब से अनबिके माल का स्टॉक हो गया है, वहीं कुछ मामलों में यह 60 दिन तक पहुंच गया है।

पूर्वी इलाके के एक वितरक ने कहा, ‘इस साल त्योहारी मांग से कोई राहत नहीं मिली और गर्मी के दिनों में शादियों के मौसम में भी मांग में तेजी नहीं आई जिससे कुछ महीनों से अनबिके माल का स्टॉक बढ़ रहा है।’

एक वितरक ने यह भी कहा कि वह खुदरा विक्रेताओं को ज्यादा दिन तक उधार नहीं दिया और कम माल बेचने की तरीका चुना जिससे बिक्री 20 फीसदी घट गई।

मध्य भारत में भी स्थिति लगभग समान रही क्योंकि वहां भी स्टॉक इतना बढ़ चुका है जिसे खपाने में करीब 20 दिन लग जाएंगे। पहले स्टॉक का स्तर इससे कम रहता था। मध्य भारत के एक अन्य वितरक ने कहा कि त्योहारी सीजन से पहले फूड एवं बेवरिजेस की मांग लगभग स्थिर रही थी लेकिन गैर-खाद्य वस्तुओं की मांग पर दबाव दिख रहा था।

मध्य भारत के एक वितरक ने कहा, ‘हमने त्योहारी सीजन से पहले स्टॉक कर लिया था और यहां तक कि खुदरा विक्रेताओं के पास भी स्टॉक भेज दिया था। मगर अब खुदरा स्तर पर गैर-खाद्य वस्तुओं की मांग प्रभावित होती दिख रही है।’

गैर-खाद्य श्रेणी में स्टॉक का स्तर इतना बढ़ चुका है जिसे खपाने में करीब 30 दिन लग जाएंगे जबकि पहले यह 20 से 22 दिनों के बराबर रहता था।

उत्तर भारत में भी स्थिति लगभग समान है जहां स्टॉक का स्तर लगभग दोगुना हो चुका है। वहां स्टॉक इतना बढ़ चुका है जिसे खपाने में करीब 40 दिन लग जाएंगे जबकि आम तौर पर यह 15 दिनों का रहता है।

खुदरा विक्रेताओं के पास अधिक बिक्री वाले उत्पादों की उधारी भी 25 से 26 दिनों की हो गई है जबकि सामान्य तौर पर वे 7 से 8 दिनों में वितरकों का भुगतान करते रहे हैं। कम बिक्री वाले उत्पादों की उधारी भी 15 से 20 दिनों के बजाय 35 से 40 दिनों की हो चुकी है।

उत्तर भारत के एक वितरक ने कहा, ‘इस त्योहारी सीजन में मांग 30 से 35 फीसदी कमजोर रही। दीवाली के दौरान गिफ्ट पैकेट की मांग अधिक रहती थी लेकिन इस बार बिक्री अच्छी नहीं हुई। बेवरिजेस अथवा नमकीन (स्नैक्स) उत्पादों की बिक्री भी कमजोर रही।’

एनआईक्यू (पहले नीलसन आईक्यू नाम था) ने कहा था कि जुलाई से सितंबर तिमाही के दौरान मांग में तेजी दर्ज की गई थी। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में एफएमसीजी उद्योग ने मूल्य के लिहाज से 9 फीसदी की वृद्धि दर्ज की थी।

इस दौरान मात्रात्मक बिक्री में 8.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। एनआईक्यू ने कहा कि इस दौरान ग्रामीण बाजार की मांग में 6.4 फीसदी का इजाफा हुआ।

First Published : November 14, 2023 | 10:36 PM IST