गुजरात की टेक्सटाइल सिटी के नाम से मशहूर शहर सूरत में इन दिनों चीन की काफी चर्चा हो रही है। सूरत वही शहर है जहां चुनाव से पहले ही सांसद निर्विरोध चुना जा चुका है।
चीन का कथानक न केवल यहां के उद्योग जगत की आंतरिक चर्चा का हिस्सा है बल्कि राजनीतिक दलों और कारोबारियों के बीच होने वाली हितधारकों की बैठकों में भी यह उठता है। कम से कम 7 मई के मतदान के पहले सूरत में होने वाली बातचीत से तो यही अंदाजा लगता है।
हितधारकों की बैठकों में आमतौर पर 500 से 1,000 कारोबारी प्रतिनिधि और स्थानीय नेता आते हैं। इंदौर के साथ देश के सबसे स्वच्छ शहर आंके गए सूरत में इनकी शुरुआत करीब एक पखवाड़ा पहले बहुत धूमधाम से की गई थी। यह अलग बात है कि सूरत और इंदौर दोनों में एक और समानता है।
दोनों संसदीय क्षेत्रों से कांग्रेस के प्रत्याशी नाटकीय ढंग से चुनाव मैदान से बाहर हो गए। कांग्रेस प्रत्याशी के सदस्यता के अयोग्य घोषित होने तथा अन्य उम्मीदवारों के नाम वापस लेने के बाद सूरत से भाजपा के मुकेश दलाल सांसद बन चुके हैं लेकिन शहर में चुनावी माहौल बदस्तूर बना हुआ है।
शहर के होटल, पार्क और बाजारों में प्रचार अभियान और रैलियां जारी हैं। ऐसा इसलिए कि दो करीबी शहर नवसारी (इसे सूरत का जुड़वा शहर भी कहा जाता है) और बारडोली भी सूरत क्षेत्र में आते हैं। बारडोली मिंढोला नदी के तट पर स्थित है। सूरत से करीब 35 किलोमीटर पूर्व में स्थित इस शहर को सत्याग्रह आंदोलन के लिए जाना जाता है।
सूरत से 37 किलोमीटर दक्षिण में स्थित नवसारी शहर भी ऐतिहासिक महत्त्व रखता है। दांडी गांव इसके करीब ही स्थित है जो महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह के लिए प्रसिद्ध है।
अतीत के मोह से जुड़े इस परिदृश्य में चीन का जिक्र गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों यानी क्यूसीओ की वजह से आ रहा है। यह आदेश केंद्र सरकार ने जारी किया है। बीते एक वर्ष में ऐसे आठ आदेश आए हैं जिनमें जियो-टेक्सटाइल, एग्रो-टेक्सटाइल और मेडिकल टेक्सटाइल जैसे तकनीकी क्षेत्रों से जुड़े संशोधन भी शामिल हैं। यह चिंता की बात है।
उद्योग जगत पहले ही इस मामले को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य एवं कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल तथा स्वास्थ्य, रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया तक पहुंचा चुका है।
मांडविया उन मंत्रियों में शामिल हैं जो गुजरात से लोक सभा चुनाव लड़ रहे हैं। चूंकि कपड़ों से जुड़े कुछ मुद्दे रसायनों से संबंधित होते हैं इसलिए मांडविया का नाम इसमें शामिल हो गया।
क्यूसीओ का उद्देश्य जहां खराब गुणवत्ता वाले उत्पादों का आयात रोकना है, वहीं विचार यह भी है कि चीन से सस्ती दरों पर आने वाले माल को रोका जा सके तथा आपूर्ति श्रृंखला में भारत की स्थिति को मजबूत किया जा सके। यह बात करीब 13.7 लाख करोड़ रुपये के टेक्सटाइल उद्योग को परेशान कर रही है।
चीन से बहुत बड़ी मात्रा में सस्ता धागा आता है। ऐसे में वहां से होने वाला आयात रोकने से धागे की कमी हो गई। उद्योग जगत के मुताबिक चीन कीमतों और गुणवत्ता दोनों में स्थिरता प्रदान करता है। इससे टेक्सटाइल उद्योग के लिए एक नई समस्या खड़ी हो गई है क्योंकि बीते कुछ समय में घरेलू तथा अंतरराष्ट्रीय वजहों से उसे कई प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ा है।
उद्योग जगत की मांग है कि इन क्यूसीओ को हटा लिया जाए क्योंकि इनकी वजह से कारोबार बाधित हो रहा है। उनका सवाल है कि अगर चीन के उत्पादों को कुछ अन्य क्षेत्रों में आने की इजाजत है तो टेक्सटाइल क्षेत्र में ऐसा क्यों नहीं हो सकता।
सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रमों (MSME) तथा छोटे बुनकरों की बात करें तो वे पहले ही परेशान हैं क्योंकि टेक्सटाइल क्षेत्र की उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन योजना यानी पीएलआई में उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं है। उनका कहना है कि क्यूसीओ एक ऐसी बाधा है जिसके बिना वे काम कर सकते हैं।
गुणवत्ता नियंत्रण संबंधी आदेशों की सूची में जटिल तकनीकी विशिष्टताओं की बात की गई है जिन्हें कई कपड़ा कारोबारी ठीक से नहीं समझ सकते। क्यूसीओ के तहत आने वाले उत्पादों में वाटरप्रूफिंग के काम आने वाली लैमिनेटेड उच्च घनत्व वाली पॉलिथिलीन की बनी जियोमेम्बरेन से लेकर सीमित फ्लेम स्प्रेड मटीरियल से बने कपड़ों समेत अनेक उत्पाद शामिल हैं।
देश में वातानुकूलकों से लेकर रसोई के सामान और कपड़ों तक तमाम वस्तुओं के गुणवत्ता मानकीकरण का काम भारतीय मानक ब्यूरो के पास है। केंद्र सरकार के मंत्रालय और विभाग मानक ब्यूरो के साथ मशविरा करने के बाद ही क्यूसीओ जारी करते हैं। इसके आदेश का उल्लंघन करने पर भारी भरकम जुर्माना लग सकता है और कैद भी हो
सकती है।
ऐसी भी खबरें हैं जो बताती हैं कि इस वर्ष इस सूची का और अधिक विस्तार होगा तथा क्यूसीओ में कुछ नए क्षेत्र शामिल किए जाएंगे। उम्मीद की जानी चाहिए कि इससे सूरत की कारोबारी भावना प्रभावित नहीं होगी। यह वह शहर है जो पहले रेशम की बुनाई के लिए प्रसिद्ध था और अब कपड़ों का बड़ा व्यावसायिक केंद्र बन चुका है।
उम्मीद की जानी चाहिए कि सहारा दरवाजे से पुराना बंबई बाजार तक यहां के व्यस्त कपड़ा बाजार चुनावी मौसम में या उसके अलावा भी व्यस्त बने रहेंगे।