ईवी की अपार क्षमता की वकालत करने वाले शुरुआती लोगों में शुमार गडकरी (Nitin Gadkar) ने देश में इसका मजबूत तंत्र बनाने की बात की। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2022 में ईवी की बिक्री 10 लाख के पार पहुंच गई थी, जो 2021 की तुलना में तीन गुनी अधिक थी।
गडकरी ने सार्वजनिक परिवहन ढांचे में आमूलचूल बदलाव की जरूरत बताई। उन्होंने मध्य आय वर्ग और गरीब लोगों तक ईवी पहुंचाने, टेस्ला की देश में आने की योजना और शुरुआती चुनौतियों से निपटकर सभी ईवी विनिर्माताओं के सामूहिक प्रयास से देश को ईवी का निर्यात केंद्र बनाने के बारे में भी बात की।
सार्वजनिक जीवन और परिवहन में ईवी
गडकरी ने कहा कि सार्वजनिक परिवहन बुनियादी ढांचे को इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicles) में बदलना और नकदी की किल्लत वाले राज्य परिवहन उपक्रमों के लिए इसे मुनाफे वाला बनाए रखने के क्षेत्र में बड़ी क्रांति होने को है। गडकरी ने कहा, ‘यूईआर 2 से पेरिफरल रोड होते हुए पानीपत तक खास ई-हाईवे केबल बनाने की हमारी योजना है। हम इसे ई-हाईवे बनाना चाहते हैं और इस पर दो या तीन बसें जोड़कर लक्जरी कोच चलाए जाएंगे।’ उन्होंने कहा कि उनकी योजना डीजल बसों से 30 फीसदी सस्ते टिकट रखने और विमानन उद्योग की तरह अच्छी सेवा प्रदान करने की है।
पीपीपी बसें…भविष्य हैं
परिवहन मंत्री ने कहा, ‘हम अपने सार्वजनिक परिवहन को बिजली और वैकल्पिक ईंधन में बदलना चाहते हैं। यही सबसे अहम बात है, जिसके जरिये हम परिवहन में हरित क्रांति लाएंगे।’ उन्होंने कहा कि देश में अगले 5 साल में 60 फीसदी बसें इलेक्ट्रिक होंगी। अभी कुल बसों में इलेक्ट्रिक बसों की हिस्सेदारी महज 1 फीसदी है।
गडकरी ने 100 फीसदी भरोसा जताया कि भारत निजी क्षेत्र द्वारा संचालित ईवी सार्वजनिक परिवहन का उन्नत पारिस्थितिकी तंत्र तैयार कर सकता है क्योंकि डीजल देश के लिए एक बड़ी समस्या है। उन्होंने कहा, ‘लंदन के परिवहन ने मुझे हमेशा प्रभावित किया है। वहां 9 ऑपरेटर हैं और बसें सार्वजनिक-निजी निवेश वाले ऑपरेटरों की हैं। कंडक्टर (परिवहन) निगम का होता है और चालक निगम तथा निजी ऑपरेटरों के होते हैं।’
उन्होंने कहा कि साझा मोबिलिटी कार्ड और प्रवेश द्वारों पर कैमरे लगाकर तथा ई-टिकटिंग प्रणाली अपनाकर राज्य परिवहन उपक्रमों का घाटा कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘मैं इसके आधार पर विनिर्माताओं को उक्त डिजाइन के साथ बसें बनाने का सुझाव दे रहा हूं। मुझे लगता है कि ऐसा होने पर हमारे राज्य परिवहनों के लाभ में होने की शत-प्रतिशत संभावना होगी।’
भारत ईवी का सबसे बड़ा निर्यातक होगा: गडकरी
गडकरी ने कहा कि भारत आने वाले समय में दुनिया का सबसे बड़ा ईवी निर्यातक होगा। घरेलू बाजार में बड़े पैमाने पर उत्पादन किए जाने से लागत भी घट जाएगी। इससे भारत को लागत के मामले में प्रतिस्पर्द्धी बनते हुए अपनी क्षमता निर्यात बाजार में भुनाने में भी मदद मिलेगी। गडकरी ने कहा, ‘मेरे पास उपलब्ध जानकारी के हिसाब से इलेक्ट्रिक स्कूटर, ऑटो-रिक्शा, ई-कार या ई-बस की लागत दुनिया में सबसे कम यहीं है। मगर गुणवत्ता के लिहाज से हम बहुत अच्छे हैं। इसलिए भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए दुनिया में जबरदस्त संभावना है और हम उसके सबसे बड़े निर्यातक होंगे।’
भारत आएगी Tesla
ईलॉन मस्क के स्वामित्व वाली दुनिया की अग्रणी ईवी कंपनी टेस्ला भारतीय बाजार में उतरने की संभावनाएं तलाश रही है। इसका काफी समय से इंतजार किया जा रहा है। मगर अधिक आयात शुल्क और स्थानीय विनिर्माण पर सरकार के साथ गतिरोध के कारण भारतीय उपभोक्ताओं को फिलहाल इंतजार करना पड़ रहा है।
गडकरी ने उम्मीद जताई कि टेस्ला भारतीय बाजार में संभावनाएं तलाशेगी क्योंकि मस्क के साथ इस मुद्दे पर चर्चा हुई है। उन्होंने कहा, ‘हमने इस मुद्दे पर कई बार चर्चा की है। प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा के समय भी बातचीत हुई थी। मुझे लगता है कि आने वाले समय में टेस्ला भारत जरूर आएगी क्योंकि यहां बड़ा घरेलू बाजार है। भारतीय बाजार में उतरना दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद साबित होगा।’
मंत्री के साथ बातचीत से पहले दो अलग-अलग पैनल चर्चा हुईं। चर्चा के विषय थे – उभरते मगर दमदार ईवी क्षेत्र के लिए आगे की राह और ईवी विनिर्माण में आत्मनिर्भरता।
पहले सत्र में हीरो इलेक्ट्रिक के प्रबंध निदेशक नवीन मुंजाल जैसे उद्योग के दिग्गज ने ईवी सब्सिडी के भविष्य पर चिंता जताई। उन्होंने सब्सिडी के दायरे को केवल सार्वजनिक परिवहन तक सीमित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके अलावा मारुति सुजूकी जैसी अग्रणी कंपनियों द्वारा भारत से ईवी के निर्यात की योजना पर भी चर्चा हुई।
ईवी के उत्पादन में आत्मनिर्भरता विषय पर आयोजित दूसरे सत्र में धन के इंतजाम, असमान विकास और वाहन विनिर्माता एवं अन्य उद्योग के बीच मांग संबंधी अनुमान में अंतर जैसी चुनौतियों पर चर्चा हुई।