Business Standard BFSI Summit 2023: देसी म्युचुअल फंडों की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां (AUM) 50 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचने वाली हैं। उद्योग के प्रतिभागियों को भरोसा है कि यह एक बड़ी उपलब्धि का महज एक हिस्सा है और अगले सात साल में 50 लाख करोड़ रुपये की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां हो जाएंगी।
छोटे शहरों से हो रहे निवेश, डिजिटल बदलाव, निवेशकों की शिक्षा और निवेश योजनाओं की बढ़ती मांग इस वृद्धि के अहम कारक होंगे। बिजनेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट में उद्योग के दिग्गजों के बीच इस पर आमराय थी।
-आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एमएफ के एमडी व सीईओ निमेश शाह ने कहा कि 10 साल पहले हम बैंकिंग उद्योग का महज 10 फीसदी हिस्सा थे। अब हम बैंकिंग उद्योग के 24 फीसदी के बराबर पहुंच चुके हैं। मेरा मानना है कि निवेशकों की बढ़ती संख्या के साथ साल 2030 तक हम बैंकिंग उद्योग के एक तिहाई के बराबर पहुंच जाएंगे और उद्योग की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां 100 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाएंगी।
सितंबर 2023 के आखिर में उद्योग का एयूएम 47.8 लाख करोड़ रुपये था। पिछले साल नवंबर में पहली बार उद्योग का एयूएम 40 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचा था। परिसंपत्तियों में बढ़ोतरी कोविड महामारी के बाद बाजारों में आई तेजी और खुदरा भागीदारी में इजाफे (खास तौर से छोटे शहरों से) के कारण हुई है।
-एचडीएफसी एमएफ के एमडी व सीईओ नवनीत मुनोत ने कहा कि करीब 17 फीसदी एयूएम बी-30 शहरों से इतर है। लेकिन यह पूरे घटनाक्रम की सही तस्वीर नहीं है क्योंकि छोटे शहरों में प्रसार अब काफी बेहतर हुआ है। करीब 27 फीसदी इक्विटी एयूएम बी-30 शहरों से है और यहां तक कि एसआईपी में बढ़ा निवेश अब ज्यादा है। करीब 55 फीसदी नए एसआईपी खाते अब बी-30 शहरों में खुले हैं। लेकिन हमने अभी बड़ी उपलब्धि का एक सिरा ही छुआ है।
-आदित्य बिड़ला सन लाइफ एएमसी के प्रबंध निदेशक व मुख्य कार्याधिकारी ए बालासुब्रमण्यन ने कहा कि उद्योग अब इस चरण में पहुंच चुका है जहां से हम सिर्फ आगे ही बढ़ सकते हैं।उन्होंने कहा कि हम सिर्फ बड़े शहरों पर ध्यान केंद्रित करने के रुझान से आगे निकल आए हैं।
उन्होंने कहा करीब 25 फीसदी इक्विटी एयूएम अब बी-30 शहरों से इतर जगह से आ रही है। निवेशकों तक हमारी पहुंच वाला कार्यक्रम कई भाषाओं में चल रहा है। चूंकि अब लोग ज्यादा शिक्षित हो रहे हैं, ऐसे में ज्यादा निवेश आ रहा है। हम भी फिजिकल से डिजिटल मौजूदगी में इजाफा कर रहे हैं।
-एडलवाइस एमएफ की एमडी व सीईओ राधिका गुप्ता ने कहा कि उद्योग जहां पहुंचा है उसके लिए हमें थोड़ा श्रेय लेना चाहिए। वास्तविकता यह है कि हमारे पास खुदरा निवेश का जो खाताबही है, वह कई बाहरी लोगों को चौंकाता है।
गुप्ता ने कहा कि उद्योग को अभी लंबा सफर तय करना है क्योंकि म्युचुअल फंडों में निवेश की संस्कृति का प्रसार हमारी हाउसिंग सोसायटी व कॉलेजों में बड़े पैमाने पर होना अभी बाकी है। उन्होंने वितरकों की संख्या 10 लाख तक पहुंचाने का आह्वान किया ताकि बढ़त के अगली सफर में मदद मिल सके।
बिजनेस स्टैंडर्ड के कंसल्टिंग एडिटर तमाल बंद्योपाध्याय से बातचीत में विभिन्न फंडों के सीईओ ने इस बात पर चर्चा की कि एयूएम की वृद्धि का प्रसार कैसे इंडिया से भारत तक पहुंचाया जाए।
शाह ने कहा कि डिजिटल ने हमें अलग से बढ़त दर्ज करने में मदद की है। हमारी पहुंच देश भर के करीब 200 स्थानों पर हो चुकी है। जहां भी हम ठीक-ठाक बैंक जमाएं देखेंगे, वहां हम पहुंचेंगे।
मिरे ऐसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) के वाइस चेयरमैन व सीईओ स्वरूप मोहंती ने कहा कि एमएफ उद्योग के लिए अहम बदलाव की स्थिति बन गई है। हम हर साल 80-90 लाख फोलियो जोड़ रहे हैं। पहले ऐसा करने में हमें वर्षों लग जाते थे। तकनीक की मदद से अगले चार-पांच साल में हम हर साल 4 करोड़ फोलियो जोड़ना शुरू कर सकते हैं।
उन्होंने कहा एमएफ में निवेश से फायदा उठाने के लिए विशेषज्ञों ने कहा कि हमें लंबी अवधि के लिए यहां आना चाहिए। निवेश की निकासी को तब तक टालना चाहिए जब तक कि जरूरी न हो और सही योजना में निवेश करना चाहिए।
एसबीआई म्युचुअल फंड के डिप्टी एमडी व ज्वाइंट सीईओ डीपी सिंह ने कहा कि एयूएम में बढ़ोतरी बाजार की अच्छी चाल से भी हुई है। शुद्ध बिक्री (शुद्ध निवेश) कुल एसआईपी के मुकाबले कम है, जिसकी वजह निवेश निकासी है। हमें अभी के मुकाबले ज्यादा मेहनत करने की दरकार है। हमें यह विस्तार से बताना चाहिए कि कौन सा फंड किसके लिए बेहतर है।
कोटक म्युचुअल फंड के एमडी नीलेश शाह ने कहा, हमें लोगों के बीच वित्तीय जागरूकता फैलाने की जरूरत है। निवेशकों ने क्रिप्टो, डेरिवेटिव ट्रेडिंग व ऑनलाइन गेमिंग में रकम गंवाई है। हम मशाल जला रहे हैं और हमें निवेशकों को शिक्षित करने की जरूरत है। हमें उस भाषा में बात करने की दरकार है, जो लोग समझते हों।