वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को कहा कि सरकार ने स्टार्टअप फंड ऑफ फंड्स योजना (10,000 करोड़ रुपये) के अगले पूरे कोष को विशेष रूप से डीप-टेक स्टार्टअप को आवंटित करने की योजना बनाई है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि देश के उद्यमियों के पास ही स्वामित्व का बड़ा हिस्सा रहे और शुरुआती चरण में विदेशी निवेशकों को बड़ी इक्विटी हिस्सेदारी बेचने से बच सकें।
गोयल ने टाइकॉन दिल्ली-एनसीआर 2025 में अपने मुख्य भाषण में कहा, ‘सरकार अपनी तरफ से स्टार्टअप फंड ऑफ फंड्स को लगभग पूरी तरह डीप-टेक निवेश खास कर शुरुआती निवेश के चरण में लगाने की योजना बना रही है। ऐसा इसलिए है ताकि हमारे स्टार्टअप तंत्र से जुड़े उद्यमियों को बड़े पूंजीपतियों या विदेशी फंडों को बहुत शुरुआती चरण में ही अपनी इक्विटी का बड़ा हिस्सा न बेचना पड़े। इस फंड से उन्हें भविष्य के राउंड के लिए और वेंचर की परिपक्वता तक अपने स्वामित्व का बड़ा हिस्सा अपने पास बनाए रखने में मदद मिल सकेगी।’
गोयल ने कहा कि भारत को दीर्घकालिक विकास और संप्रभुता की रक्षा के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकसित करनी चाहिए तथा लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं का निर्माण करना चाहिए। साथ ही महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में आवश्यक आपूर्ति पर नियंत्रण रखना चाहिए और कुछ देशों पर अत्यधिक निर्भरता भी कम करनी चाहिए। प्रगति का जिक्र करते हुए केंद्रीय मंत्री कहा कि देश प्रौद्योगिकी और नवाचार में अग्रणी बनने तथा दुनिया का बैक ऑफिस बनने से बचने की दिशा में बड़े कदम उठा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘भारत एक राष्ट्र के रूप में दुनिया के लिए सिर्फ बैक ऑफिस या सॉफ्टवेयर प्रदाता होने के बजाय नवाचार का वैश्विक इंजन बनने का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहा है।’ देश की प्रतिभाओं के बारे में गोयल ने कहा कि भारत में हर साल 15 लाख इंजीनियरिंग स्नातक और 24 लाख एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) स्नातक निकलते हैं जो किसी भी देश में सबसे अधिक हैं।
इस वर्ष फरवरी में स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र की प्राथमिकताओं पर अपनी पिछली टिप्पणियों का उल्लेख करते हुए गोयल ने कहा कि हालांकि उनके बयान पर उद्योग जगत से कुछ आलोचनाएं आईं, लेकिन उन्होंने देश के डीप-टेक क्षेत्र के लिए जागरूकता की दिशा में बड़ा काम किया है। इस वर्ष की शुरुआत में आयोजित दूसरे स्टार्टअप महाकुंभ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री गोयल ने भारतीय स्टार्टअप के फोकस की तुलना चीन से की थी।