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उभरते बाजारों में भारत का एक दशक का बेहतर प्रदर्शन अब कमतर

पिछले 12 महीनों में एमएससीआई चाइना में 35 प्रतिशत और एमएससीआई ईएम में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। एमएससीआई इंडिया डॉलर के हिसाब से लगभग स्थिर रहा है।

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- October 29, 2025 | 10:01 PM IST

भारतीय शेयर बाजार ने पिछले दशक के अधिकांश समय में उभरते बाजारों (ईएम) के प्रदर्शन की अगुआई की थी। लेकिन अब वह अपेक्षाकृत ठहराव के दौर से गुजर रहा है जबकि चीन और ताइवान जैसे समकक्ष बाजार मजबूत वापसी कर रहे हैं।

पिछले 12 महीनों में एमएससीआई चाइना में 35 प्रतिशत और एमएससीआई ईएम में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। एमएससीआई इंडिया डॉलर के हिसाब से लगभग स्थिर रहा है। पिछले पांच वर्षों की मजबूत बढ़त के बाद कमजोर प्रदर्शन सामने आया है।

अक्टूबर 2020 और अक्टूबर 2025 के बीच भारतीय शेयर बाजार में सालाना 13.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि एमएससीआई ईएम 5 प्रतिशत ही बढ़ पाया। लेकिन अक्टूबर 2015 और अक्टूबर 2020 के बीच एमएससीआई ईएम ने 3.6 प्रतिशत की तुलना में 5.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ भारत को पीछे छोड़ दिया।

मोतीलाल ओसवाल के विश्लेषण के अनुसार 10 वर्ष के लिहाज से एमएससीआई इंडिया सूचकांक ने पिछले दशक में 8.6 प्रतिशत की सालाना बढ़त दर्ज की है जबकि एमएससीआई ईएम सूचकांक में 5.9 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

मोतीलाल ओसवाल के इक्विटी रणनीतिकार मौजूदा दौर को उभरते बाजारों में व्यापक बदलाव के बीच स्वस्थ मजबूती का दौर बताते हैं। ब्रोकरेज फर्म ने अपने नोट में कहा है कि कंपनियों की आय में सुधार, मूल्यांकन सामान्य होने और वैश्विक जीडीपी में भारत की हिस्सेदारी में लगातार वृद्धि की वजह से मध्यम अवधि का दृष्टिकोण सकारात्मक बना हुआ है। ब्रोकरेज फर्म ने कहा कि अनुकूल राजकोषीय और मौद्रिक परिस्थितियां, बढ़ता घरेलू निवेशक आधार और उभरते बाजारों की तुलना में शेयरों पर मजबूत रिटर्न नई तेजी की संभावना को मजबूत करते हैं।

मोतीलाल ओसवाल ने भारत की दशक भर की तेजी का श्रेय मजबूत आर्थिक आधार, मजबूत कॉर्पोरेट आय और घरेलू निवेशकों की भागीदारी में इजाफे को दिया। भारत ने 2015 और 2025 के बीच 6 प्रतिशत से अधिक की औसत जीडीपी वृद्धि दर्ज की जो उभरते बाजारों के औसत लगभग 4 प्रतिशत से काफी अधिक है और चीन की 4.5 प्रतिशत की रफ्तार से ज्यादा है।

एमएससीआई इंडिया कंपनियों की कुल आय वित्त वर्ष 22-25 के दौरान सालाना 16 प्रतिशत की दर से बढ़ी और इसके वित्त वर्ष 26 में 11 प्रतिशत और वित्त वर्ष 27 में 16 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है, जबकि वित्त वर्ष 25 में इसमें 2 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई थी।

रिकॉर्ड ऊंचाई से नरम पड़ने के बावजूद भारतीय शेयर बाजार अभी भी वैश्विक प्रतिस्पर्धियों की तुलना में महंगे भावों पर कारोबार कर रहे हैं।

First Published : October 29, 2025 | 9:55 PM IST