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इलेक्ट्रिक वाहनों की पैठ बढ़ाने के लिए सब्सिडी देने की आवश्यकता नहीं बताने वाले बयान के कुछ दिन बाद आज केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने स्पष्ट किया कि यह उनके निजी विचार थे, लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों पर मिलने वाली सब्सिडी का आधिकारिक निर्णय लेने वाले वह कोई नहीं हैं।
गडकरी ने ऑटोमोटिव कंपोनेंट्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एक्मा) के 64वें सालाना सत्र में कहा, ‘मैं किसी प्रोत्साहन के खिलाफ नहीं हूं। भारी उद्योग मंत्रालय इसके लिए जिम्मेदार है और अगर उसकी इच्छा और अधिक प्रोत्साहन देने की है तो मुझे इस पर कोई ऐतराज नहीं है। मेरा बस यही कहना है कि जब इलेक्ट्रिक वाहन आया था तब लिथियम आयन बैटरी की कीमत 150 डॉलर प्रति किलोवॉट प्रति घंटे थी। अब, यह करीब 108 से 110 डॉलर है और मुझे पूरा भरोसा है यह कम होकर 100 डॉलर हो जाएगा। इस आधार पर मुझे लगता है कि बगैर सब्सिडी के भी लागत बरकरार रखी जा सकती है क्योंकि उत्पादन खर्च कम हो गया है।’
गडकरी ने कहा, ‘अगले दो वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहन की लागत पेट्रोल-डीजल वाले वाहनों जितनी ही हो जाएगी। उन्हें सब्सिडी की जरूरत नहीं है क्योंकि ईंधन के तौर पर बिजली का लाभ उन्हें पहले से ही मिल रहा है। फिर भी अगर वित्त मंत्री और भारी उद्योग मंत्री और अधिक सब्सिडी देना चाहते हैं, तो मैं इसका विरोध नहीं करूंगा।’
देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की पहुंच यात्री वाहनों के लिए करीब 2 फीसदी और वाहन श्रेणियों में 6 फीसदी है। जीवाश्म ईंधन वाली अर्थव्यवस्था के कट्टर आलोचक माने जाने वाले गडकरी ने इस मुद्दे पर भी अपना रुख स्पष्ट किया मगर उन्होंने यह भी कहा कि जीवाश्म ईंधन की बढ़ती खपत उनके लिए एक समस्या है।
मंत्री ने कहा, ‘सबसे पहले तो मैं पेट्रोल, डीजल अथवा जीवाश्म ईंधन का विरोधी नहीं हूं। कई बार मेरी बातों का गलत अर्थ निकाल लिया जाता है। मगर हमारे पास जीवाश्म ईंधन के आयात के लिए 22 लाख करोड़ रुपये का बिल है। क्या यह देश के लिए चुनौती नहीं है? देश में 40 फीसदी वायु प्रदूषण परिवहन क्षेत्र के कारण होता है और मैं मंत्री के तौर पर इसके लिए जिम्मेदार भी हूं। क्या यह सही है?’ उन्होंने कहा, ‘मैं किसी के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन जैव ईंधन में आर्थिक व्यवहार्यता और एक अच्छा बाजार भी है। फिर भी आप पेट्रोल-डीजल पर ही जोर क्यों देते हैं?’
पुराने वाहनों को स्क्रैप करने पर वाहन विक्रेताओं द्वारा नए वाहनों पर दी जाने वाली छूट बढ़ाई जानी चाहिए पूछने पर गडकरी ने कहा कि उद्योग और अधिक कर सकता है। उन्होंने कहा, ‘मुझे किसी से आग्रह करने की जरूरत नहीं है क्योंकि हर कोई बाजार पर कब्जा करना चाहता है और प्रतिस्पर्धा है। उसके लिए, कोई विकल्प नहीं है। उन्हें छूट बढ़ानी होगी चाहे वे इसे पसंद करते हों या नहीं करते हों। वे समझदार लोग हैं, उन्हें कारोबार की समझ है। इसलिए, वे अपनी छूट को बढ़ाएंगे।’
उन्होंने मौजूदा कबाड़ परिदृश्य की तुलना विमानन कंपनियों के शुरुआती दिनों की, जहां प्रतिस्पर्धी विमानन कंपनियों बड़ी छूट की पेशकश की थी, जिससे अंततः उपभोक्ताओं को ही फायदा हुआ।