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2030 से पहले Tata Motors के पोर्टफोलियो में होगी 30% इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी: एन चंद्रशेखरन

टाटा मोटर्स को उम्मीद है कि वह 2030 से पहले अपने वाहनों में 30% इलेक्ट्रिक वाहन हिस्सेदारी का लक्ष्य हासिल कर लेगी, पर मैग्नेट की कमी को लेकर कंपनी काफी सतर्क है।

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सोहिनी दास   
Last Updated- June 20, 2025 | 10:00 PM IST

टाटा मोटर्स को उम्मीद है कि वह वर्ष 2030 के लक्ष्य से पहले अपने पोर्टफोलियो में 30 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) की पैठ हासिल कर लेगी। कंपनी के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कंपनी के डिमर्जर से पहले अंतिम वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में यह बात कही।

ईवी में वृद्धि पर नजर रखने के साथ ही कंपनी दुर्लभ मैग्नेट की कमी की स्थिति (ईवी का एक महत्त्वपूर्ण घटक) पर भी कड़ी नजर रख रही है और वैकल्पिक खरीदारी के विकल्पों पर ध्यान दे रही है। हाल में एयर इंडिया दुर्घटना में अपनी जान गंवाने वालों की याद में एक मिनट के मौन के साथ शुरू हुई एजीएम में चंद्रशेखरन ने कंपनी के शेयरधारकों को आश्वस्त किया कि दुर्लभ मैग्नेट की उपलब्धता से जुड़ा संकट फिलहाल टाटा मोटर्स के लिए चिंता का विषय नहीं है।

कंपनी की 80वीं एजीएम में चंद्रशेखरन ने कहा, ‘हम ठीक हैं और हमें कोई समस्या नहीं हो रही है। हम अपनी जरूरत के अनुसार मैग्नेट खरीदने में सक्षम हैं और हमारे पास इन्वेंट्री के सही स्तर की योजना भी है।’ उन्होंने कहा कि वे सरकार के साथ और वैकल्पिक स्रोतों से सोर्सिंग पर भी काम कर रहे हैं।  चंद्रा ने कहा, ‘अभी तक यह कोई चिंता का विषय नहीं है, लेकिन इस पर हम गंभीरता से ध्यान दे रहे हैं।’

हालांकि, विश्लेषकों का कहना है कि दुर्लभ मैग्नेट को लेकर चीन के निर्यात प्रतिबंधों से भारत में ईवी के प्रवेश में देरी हो सकती है। इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च ने शुक्रवार को कहा, उनका मानना है कि देश में ईवी प्रवेश के निचले स्तर को देखते हुए वित्त वर्ष 26 में कुल वाहन बिक्री के वॉल्यूम पर तत्काल प्रभाव सीमित रहने की संभावना है, लेकिन लंबे समय तक प्रतिबंध पेट्रोल-डीजल वाहन के वॉल्यूम सहित समग्र ऑटोमोटिव उत्पादन को बाधित कर सकते हैं।

दुर्लभ पृथ्वी चुंबकों का उपयोग मुख्य रूप से मोटर और बैटरी के लिए किया जाता है, जिनमें से दो ईवी के मुख्य घटक हैं। विश्लेषकों का मानना है कि इन घटकों के आयात पर लंबे समय तक प्रतिबंध देश में ईवी के पैठ में बाधा डाल सकता है। इंडिया रेटिंग्स की निदेशक श्रुति साबू ने कहा, इसके विपरीत आईसीई घटकों में उपयोग किए जाने वाले दुर्लभ पृथ्वी चुंबक तत्वों की मात्रा काफी कम है और उनके उपलब्ध विकल्पों को देखते हुए आईसीई वाहनों का कुल उत्पादन अहम होने की संभावना नहीं है। चंद्रा ने कहा कि जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) के लिए शुद्ध शून्य (उत्सर्जन) लक्ष्य 2039 है, यात्री वाहनों (पीवी) के लिए 2043 और वाणिज्यिक वाहनों (सीवी) के लिए 2045 है।

उन्होंने कहा कि टाटा मोटर्स भारत में ईवी में अग्रणी है और ईवी में बदलाव के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उनकी कुल बिक्री में ईवी की हिस्सेदारी करीब 15 फीसदी है और चंद्रा ने कहा कि उनका लक्ष्य 2030 तक 30 फीसदी पर पहुंचना है। उन्होंने कहा, लेकिन मुझे लगता है कि हम इससे पहले ही लक्ष्य तक पहुंच जाएंगे।

हालांकि, हाइड्रोजन से चलने वाले वाहनों के बारे में चंद्रा को लगता है कि इस सेगमेंट में बाजार में वृद्धि निकट भविष्य में होगी। कंपनी के पास 12 हाइड्रोजन वाहन चल रहे हैं और वे प्रौद्योगिकी में निवेश करना जारी रखेंगे। उन्होंने कहा, मुझे व्यक्तिगत रूप से नहीं लगता कि इस सेगमेंट में बाजार में वृद्धि निकट भविष्य में नहीं होगी। यह कुछ ऐसा है जिस पर हमें काम करना है और तैयार रहना है। उनका मानना है कि हाइड्रोजन वाहनों के लिए बाजार में पकड़ बनाने के मामले में परिचालन और उत्पादन की लागत बहुत अधिक है।

First Published : June 20, 2025 | 10:00 PM IST