मोटर वाहन उत्सर्जन पर सख्ती का नतीजा ही है कि देश में स्वच्छ ईंधन जैसे सीएनजी, बैटरी, इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड गाडि़यों की संख्या लगातार बढ़ रही है। कुल यात्री वाहनों की बिक्री में अब हर पांचवीं गाड़ी स्वच्छ ईंधन से चलने वाली अथवा ईवी है।
जैटो डायनमिक्स के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2023-24 में कुल पीवी बिक्री में बैटरी इलेक्ट्रिक गाड़ी (बीईवी), हाईब्रिड ईवी और प्लग-इन हाइब्रिड के साथ-साथ सीएनजी गाडि़यों की बिक्री 19.23 प्रतिशत पहुंच गई है। वर्ष 2021-22 में यह आंकड़ा 9.29 प्रतिशत था।
इसकी तुलना में पेट्रोल और डीजल चालित गाडि़यों की बिक्री में कमी दर्ज की गई है। डीजल गाडि़यों की संख्या जहां 2021-22 में 18.83 प्रतिशत से गिरकर 2023-24 में 17.79 प्रतिशत पर आ गई है। वहीं पेट्रोल आईसीई गाडि़यों की हिस्सेदारी वित्तीय वर्ष 2023-24 में घटकर 62.98 प्रतिशत पर आ गई, जो इससे पहले वित्तीय वर्ष यानी 2021-22 में 71.88 प्रतिशत थी। हाईब्रिड वाहनों की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2023-24 में दोगुनी होकर 2.15 प्रतिशत हो गई है, जो इससे पहले के वित्त वर्ष में 1.06 प्रतिशत ही थी।
वाहनों के मूल उपकरण विनिर्माता (ओईएम) ने उपभोक्ताओं की मांग को पूरा करने के लिए अपने लोकप्रिय मॉडल का सीएनजी वैरिएंट लाने पर ध्यान केंद्रित कर दिया है, क्योंकि इस पर लागत कम आती है।
उदाहरण के लिए, पिछले साल मारुति सुजुकी ब्रेजा सीएनजी, टाटा पंच सीएनजी, मारुति सुजुकी ग्रैंड विटारा सीएनजी, टाटा अल्ट्रोज सीएनजी जैसे तमाम लोकप्रिय मॉडल का सीएनजी वैरिएंट बाजार में उतारा गया। बाजार के जानकारों के अनुसार शीघ्र ही टाटा नेक्सॉन और किया सोनेट भी अपना सीएनजी वैरिएंट ला सकते हैं।
देश की सबसे अधिक कार बनाने वाली कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया लि. (एमएसआईएल) का कहना है कि वर्ष 2030-31 में कंपनी द्वारा बेची जाने वाली कुल कारों में लगभग 15-20 प्रतिशत इलेक्ट्रिक और लगभग 25 प्रतिशत हाइब्रिड होंगी। शेष गाडि़यां एथनॉल, सीएनजी और कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) से चलने वाली होंगी।
पिछले साल अक्टूबर में एक निवेशक प्रदर्शनी के दौरान मारुति ने कहा था कि आने वाले वर्षों में में कंपनी छह इलेक्ट्रिक वाहन लांच करेगी। इनमें पेट्रोल चालित कार, ईवी, हाइब्रिड कार, सीएनजी कार एवं ऐसी कारें जो 20 प्रतिशत एथनॉल और कंप्रेस्ड बायोगैस से चलने वाली होंगी। कंपनी ने यह भी कहा, ‘तकनीक का यह मिश्रण खासकर कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य हासिल करने की दृष्टि से बहुत ही आवश्यक है।’
दूसरी ओर, ईवी सेगमेंट में 73.1 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ अग्रणी कंपनी टाटा मोटर्स ने वित्तीय वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में यात्री वाहनों की कुल बिक्री का 13 प्रतिशत ईवी और 16 प्रतिशत सीएनजी से निकाला। इस प्रकार इसकी कुल बिक्री में ईवी और सीएनजी की संयुक्त बिक्री हिस्सेदारी कुल यात्री वाहनों की 29 प्रतिशत पर पहुंच गई।
इस समय चार इलेक्ट्रिक कार मॉडल बेचने वाली कंपनी टाटा मोटर्स का उद्देश्य 2026 तक छह और नए मॉडल लाने का है। टाटा मोटर्स का मानना है कि वर्ष 2030 तक भारतीय कार बाजार में ईवी की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी, जो पिछले वित्तीय वर्ष में लगभग 2 प्रतिशत ही थी। अपने पोर्टफोलियो में भी कंपनी ईवी की हिस्सेदारी 2030 तक 30 प्रतिशत कर लेने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
भारत के ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) ने वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के लिए कड़े लक्ष्य निर्धारित किए हैं। एजेंसी ने कहा है कि उसकी स्वच्छ यात्रा रणनीति के केंद्र में बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन ही हैं। इसके अलावा, कॉरपोरेट औसत ईंधन अर्थव्यवस्था (सीएएफई-III) मानकों को ध्यान में रखते हुए सुझाए गए बदलावों के अनुसार कार निर्माताओं को उत्सर्जन फुटप्रिंट को हर हाल में कम करना होगा।
बीईई के ताजा प्रस्ताव के मुताबिक सीएएफई-III मानक वर्ष 2027-2032 तक लागू किए जाने हैं। सीएएफई-III नियमों के अनुसार कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य 91.7 ग्राम सीओ2 प्रति किलोमीटर होना चाहिए तथा सीएएफई IV नियमों के लिए यह 70 ग्राम कार्बनडाई ऑक्साइड प्रति किलोमीटर होना चाहिए।