विभिन्न कारोबारी क्षेत्रों के उद्यमों को कार्यस्थलों पर जेनरेटिव एआई (जेनएआई) के इस्तेमाल में मदद के लिए जरूरी संरचना, पहुंच और स्पष्टता प्रदान करने के मामले में मशक्कत करनी पड़ रही है। कर्मचारी भर्ती क्षेत्र की कंपनी माइकल पेज इंडिया की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है।
टैलेंट ट्रेंड्स इंडिया 2025 नामक इस रिपोर्ट में देश भर के विभिन्न स्तर के अनुभव वाले करीब 3,000 पेशेवरों का सर्वेक्षण है। इसमें बताया गया है कि जेनएआई टूल तक बढ़ती पहुंच के बावजूद कई पेशेवरों में यह अनिश्चितता है कि ये प्रौद्योगिकियां उनके करियर को किस तरह आकार देंगी।
भारत में 42 प्रतिशत पेशेवर जेनएआई को नौकरी की सुरक्षा के लिए खतरे के रूप में देखते हैं क्योंकि इसके उपयोग और प्रभाव के संबंध में गहरी चिंताएं सामने आ रही हैं। यह प्रतिशत बढ़कर तब 44 हो जाता है जब बात मध्य स्तर के प्रबंधन की आती है, जो नई तकनीक के कारण अपनी नौकरी खोने गंवाने को लेकर आशंकित है। 30 प्रतिशत के साथ शीर्ष प्रबंधन सबसे कम खतरा महसूस करता है। सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से 60 प्रतिशत का मानना है कि यह उनके करियर की दीर्घावधि राह पर असर डालेगा।
यह अनिश्चितता तत्परता के व्यापक अंतर की ओर इशारा करती है – जो न केवल तकनीकी कौशल के बारे में है बल्कि विश्वास, मार्गदर्शन और भविष्य की स्थिति को लेकर भी है। कई कर्मचारी शायद जेनएआई के विरोधी न हों, लेकिन स्पष्ट दिशा-निर्देशन के बिना वे इसका अधिकतम लाभ उठाने के मामले में खुद को कम तैयार महसूस करते हैं।