प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
भारत का सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) खर्च अगले साल यानी 2026 में 176.3 अरब डॉलर पहुंचने का अनुमान है। व्यवसाय और प्रौद्योगिकी से जुड़ी जानकारी देने वाली कंपनी गार्टनर इंक के ताजा पूर्वानुमान में यह बात कही गई है। यह एक साल पहले यानी साल 2025 के मुकाबले 10.6 फीसदी अधिक है और वैश्विक स्तर पर अनुमानित 9.8 फीसदी की वृद्धि दर से ज्यादा होगा।
गार्टनर इंक के पूर्वानुमान के मुताबिक इस वृद्धि को डेटा केंद्रों और सॉफ्टवेयर में किए जा रहे भारी निवेश से बल मिलेगा। गार्टनर ने 2025 के लिए भारत के आईटी खर्च में 11.2 फीसदी की वृद्धि का अनुमान जताया था और इसके 160 अरब डॉलर तक पहुंचने की बात कही थी।
भारत में डेटा सेंटर सेगमेंट में 2026 में 20.5 फीसदी वृद्धि की संभावना है और यह सर्वाधिक वार्षिक वृद्धि दर दर्ज कर सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 में 29.2 फीसदी तक की नरमी के बावजूद यह अन्य सभी आईटी क्षेत्रों से आगे रहेगा।
गार्टनर के उपाध्यक्ष डीडी मिश्र ने कहा, ‘भारत में उद्यम अब क्लाउड और डिजिटल प्रौद्योगिकियों को तेजी से अपना रहे है। इससे 2026 में आईटी खर्च में लगातार और मजबूत वृद्धि होगी।’ उन्होंने कहा, ‘इस वर्ष की शुरुआत में अनिश्चितता के दौर के कम होने के साथ ही आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) अवसंरचना की बढ़ती मांग भारत में डेटा केंद्रों में नए निवेश को बढ़ावा देगी।’
मिश्र ने कहा कि भारत में यह विस्तार इसलिए हो रहा है क्योंकि देश में अपेक्षित वृद्धि को संभालने के लिए अभी पर्याप्त संख्या में डेटा केंद्र नहीं हैं। इस बढ़ोतरी का एक अन्य कारण डेटा स्थानीयकरण मानदंडों का बढ़ना है। भारत में डेटा केंद्र सेगमेंट की लगभग सभी प्रमुख कंपनियां विस्तार करने की प्रक्रिया में हैं। इसके अलावा, रिलायंस और अदाणी समूह जैसी बड़ी कंपनियों के प्रवेश से भारत के डेटा केंद्रों की वृद्धि को बल मिल रहा है।
गार्टनर के वरिष्ठ निदेशक (विश्लेषक) नरेश सिंह ने कहा, ‘भारत वैश्विक स्तर पर एआई सेवाओं के लिए सबसे बड़े उपभोक्ता आधारों में से एक है, जो इस बढ़ते उपयोगकर्ता आधार का समर्थन करने के लिए स्थानीय बुनियादी ढांचे में अंतरराष्ट्रीय निवेश आकर्षित कर रहा है। डेटा गोपनीयता और सॉवरिन क्लाउड आवश्यकताओं के तेजी से बदलने के साथ 2026 तक इस क्षेत्र में वृद्धि को गति मिलने की उम्मीद है।’
गार्टनर ने कहा कि भारत में सॉफ्टवेयर पर खर्च 2026 तक 17.6 फीसदी बढ़कर 24.7 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। यह ऐसे समय में हो रहा है जब भारतीय उद्यम एआई-सक्षम सॉफ्टवेयर समाधानों और आधुनिक आईटी बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ा रहे हैं। जैसे-जैसे जेन-एआई सॉफ्टवेयर में बड़े पैमाने पर शामिल होता जा रहा है, यह लगभग सभी ऐप्लिकेशन में एक मानक बनने के लिए तैयार है। गार्टनर का अनुमान है कि 2026 तक, जेन-एआई वाले सॉफ्टवेयर पर वैश्विक व्यय इसके बगैर वाले सॉफ्टवेयर पर खर्च से अधिक हो जाएगा।