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FAME-II: स​ब्सिडी जाने का हुआ खटका तो मार्च में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ी

केंद्र सरकार अपनी फेम-2 योजना के तहत इले​क्ट्रिक दोपहिया, तिपहिया और कारों की बिक्री पर स​ब्सिडी देती है। मगर यह योजना मार्च में खत्म हो जाएगी।

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शाइन जेकब   
सोहिनी दास   
Last Updated- March 08, 2024 | 10:28 PM IST

वाहन उद्योग में इस बात पर बहस जारी है कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए फेम-2 सब्सिडी योजना वापस लेना जल्दबाजी में उठाया गया कदम तो नहीं है। मगर इस चर्चा के बीच मार्च में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए लोगों की पूछताछ के साथ-साथ बुकिंग और बिक्री में भी जबरदस्त वृद्धि दिख रही है। दोपहिया और तिपहिया के लिए ऐसा खास तौर पर दिख रहा है।

केंद्र सरकार अपनी फेम-2 योजना के तहत इले​क्ट्रिक दोपहिया, तिपहिया और कारों की बिक्री पर स​ब्सिडी देती है। मगर यह योजना मार्च में खत्म हो जाएगी। भारी उद्योग मंत्रालय के अ​धिकारियों ने संकेत दिया कि फेम-2 योजना के तहत मिलने वाली सब्सिडी 31 मार्च 2024 तक बिकने वाले इले​क्ट्रिक वाहनों के लिए उपलब्ध होगी अथवा यह स​ब्सिडी रकम बची रहने तक मिलती रहेगी।

सरकार स​ब्सिडी की रकम लगातार घटा रही है। पिछले साल जून में स​ब्सिडी की रकम 15,000 रुपये प्रति वाहन से घटाकर 10,000 रुपये प्रति वाहन कर दी गई थी। अधिकतम 40 फीसदी एक्स-फैक्टरी मूल्य की सीमा को भी घटाकर 15 फीसदी कर दिया गया था।

वाहन डीलरों के संगठन फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) के अनुसार इले​क्ट्रिक तिपहिया वाहनों की पहुंच फरवरी में करीब 53.3 फीसदी थी जो बढ़कर 60 फीसदी के पार पहुंचने के आसार हैं। इसी प्रकार इले​​क्ट्रिक दोपहिया वाहनों की पहुंच भी मार्च में बढ़कर 7 फीसदी होने की संभावना है, जबकि फरवरी में यह आंकड़ा 5.7 फीसदी रहा था।

फेम स​ब्सिडी खत्म होने से पहले खरीदारी बढ़ने और कंपनियों द्वारा स्टॉक खपाने के लिए कीमतों में की गई कटौती से बिक्री को रफ्तार मिल रही है। इले​क्ट्रिक वाणि​ज्यिक वाहनों की मौजूदा पहुंच करीब 1 फीसदी है और इले​क्ट्रिक यात्री वाहनों के मामले में यह आंकड़ा करीब 2.2 फीसदी है।

फाडा के अध्यक्ष मनीष राज सिंघानिया ने कहा, ‘हम बिक्री में तेजी देख रहे हैं क्योंकि मूल उपकरण विनिर्माता और डीलर जोर-शोर से जता रहे हैं कि सब्सिडी का यह आखिरी महीना है। इसका सबसे अ​धिक प्रभाव तिपहिया वाहनों पर दिखेगा क्योंकि पहुंच के लिहाज से उनमें 60 फीसदी तक ​वृद्धि दिख सकती है, जबकि दोपहिया वाहनों की पहुंच 7 फीसदी तक बढ़ सकती है।’

हीरो इले​क्ट्रिक के मुख्य कार्या​धिकारी (सीईओ) सोहिंदर गिल ने कहा, ‘लगता है कि सब्सिडी जल्द बंद होने की चिंता में विनिर्माता जल्दबाजी में अपना स्टॉक खपा रहे हैं। ऐसे में सब्सिडी खत्म होने के बाद कीमत अचानक बढ़ जाएंगी और तभी पता चलेगा कि इलेक्ट्रिक वाहनों को वास्तव में कितना अपनाया जा रहा है।’

कोयंबत्तूर की ईवी कंपनी बीएनसी मोटर्स के मुख्य कार्याधिकारी अनिरुद्ध रवि नारायणन ने कहा, ‘बिक्री बढ़ी जरूर है मगर बहुत ज्यादा नहीं बढ़ी है। जनवरी और फरवरी के आंकड़ों की तुलना करने पर वृद्धि दिखेगी। इसे मुख्य तौर पर कंपनियों द्वारा दी जाने वाली भारी छूट और बचा स्टॉक खपाने के दबाव से रफ्तार मिल रही है। कंपनियां स्टॉक खपाने पर जोर दे रही हैं क्योंकि वाहन नहीं बिके तो उन्हें सब्सिडी नहीं मिलेगी।’

आरं​भिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने की तैयारी कर रही ओला इलेक्ट्रिक, ऐथर एनर्जी और ओकाया ईवी ने कीमतें घटा दी हैं। बजाज ने भी चेतक के दाम घटा दिए हैं। उद्योग सूत्रों के अनुसार कंपनियां भी स्टॉक खपाने की कोशिश में हैं।

उद्योग के अनुमान और फाडा के आंकड़ों के आधार पर फरवरी में 82,237 इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री हुई। मगर 4 मार्च तक महज 4,500 वाहन बिके हैं यानी अभी पूछताछ ही चल रही है।

एएमओ मोबिलिटी के निदेशक सुशांत कुमार ने कहा, ‘इस अफरा-तफरी से पता चलता है कि सब्सिडी खत्म होने के लिए उद्योग तैयारी कर रहा है। ईवी बाजार के लिए यह बहुत अहम दौर होगा। सरकारी सब्सिडी खत्म होने के कारण साल 2024-25 में ईवी के लिए चुनौतियां आ सकती हैं।’

इलेक्ट्रिक दोपहिया कंपनी सोकुडो इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक प्रशांत वशिष्ठ ने कहा, ‘सोकुडो इलेक्ट्रिक में भी हमें खास तौर पर उत्तर प्रदेश, बिहार और गुजरात के शहरों से काफी पूछताछ दिख रही हैं। सब्सिडी जल्द खत्म होने के मद्देनजर तत्काल बिक्री को रफ्तार मिली है। मगर इससे विनिर्माताओं के लिए अपने उत्पादों में कुछ नया करने और गुणवत्ता के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं के लिए बेहतर एवं सस्ते मॉडल तैयार करने का रास्ता साफ होगा।’

कुछ कंपनियों का कहना है कि वे हमेशा के लिए फेम सब्सिडी पर निर्भर नहीं हैं।

वार्डविजार्ड इनोवेशंस ऐंड मोबिलिटी के सीएमडी यतिन गुप्ता ने कहा, ‘सब्सिडी में बदलाव के मद्देनजर इलेक्ट्रिक दोपहिया और इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहनों की बिक्री में अस्थायी तौर पर वृद्धि हो सकती है, मगर यह समझना जरूरी है कि हमारे उत्पाद फेम सब्सिडी पर निर्भर नहीं हैं। हम आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए रिवर्स इंजीनियरिंग, स्थानीय सोर्सिंग और कलपुर्जों के उत्पादन पर जोर देते हैं।’

First Published : March 8, 2024 | 10:28 PM IST