प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) की चुनौतियों खास तौर पर ‘डीपफेक’ के दुरुपयोग की आशंका के बारे में लोगों को जागरूक बनाना बहुत जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि यदि इसे अनियंत्रित छोड़ दिया गया तो डीपफेक भारत जैसे विविधतापूर्ण समाज में अशांति का कारण बन सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने हाल ही में चैटजीपीटी से कहा है और मीडिया से भी अपील करेंगे कि वे डीपफेक वीडियो पर सिगरेट के पैकेटों की तरह डिस्क्लेमर या चेतावनी लगाएं कि दी गई सामग्री हानिकारक हो सकती है। उन्होंने सोशल मीडिया पर हाल में जारी एक वीडियो क्लिप की ओर हल्के-फुल्के अंदाज में इशारा किया, जिसमें उन्हें गरबा करते हुए दिखाया गया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि जो लोग उन्हें प्यार करते हैं, वे भी उस वीडियो को एक-दूसरे से साझा कर रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मुख्यालय में सालाना ‘दीवाली मिलन’ समारोह में पत्रकारों से बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा इस त्योहारी सीजन में 4.5 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि कारोबार की यह मात्रा बताती है कि भारत की देसी मांग कितनी अहम है। इससे यह भी पता चलता है कि ‘वोकल फॉर लोकल’ पर जोर देश की आर्थिक वृद्धि में योगदान दे सकता है और 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का लक्ष्य हासिल करने में मदद कर सकता है।
उन्होंने कहा कि गरीबी से बाहर आए 13.5 करोड़ से अधिक लोग जीवन में बेहतर चीजों की तलाश करने वाले आकांक्षा भरे तबके में शामिल हो गए हैं और बैंक से कर्ज आसानी से मिलने के कारण भारत का बाजार बड़ा हो गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि डीपफेक खतरा बनकर मंडरा रहा है और इसलिए ज्यादा बड़ा खतरा बन गया है क्योंकि भारतीयों के बड़े वर्ग के पास यह जानने के साधन ही नहीं हैं कि ऐसी सामग्री असली है या नहीं।
मोदी ने कहा कि लोग मीडिया को सूचना का विश्वसनीय स्रोत मानते हैं और उससे जुड़ी किसी भी चीज पर उसी तरह भरोसा करते हैं, जिस तरह गेरुआ वस्त्र पहने व्यक्ति को सम्मान दिया जाता है। डीपफेक वीडियो बनावटी या सिंथेटिक मीडिया है, जहां किसी भी तस्वीर या वीडियो में मौजूद व्यक्ति का चेहरा दूसरे व्यक्ति से बदल दिया जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि डीपफेक सोशल मीडिया पर तेजी से असंतोष फैला सकता है और सरकारी तंत्र असंतोष दूर करने पहुंचे, उससे पहले ही यह सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ सकता है। उन्होंने कहा, ‘हमें डीपफेक के संभावित दुरुपयोग के बारे में लोगों को शिक्षित करने की जरूरत है।’
2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के अपने संकल्प के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय सभ्यता के इतिहास को देखें तो इस मकसद को पूरा करने के लिए यह समय सबसे अहम है और मीडिया को इसका उसी तरह समर्थन करना चाहिए, जैसे उसने ‘स्वच्छ भारत अभियान’ का किया था।
उन्होंने मीडिया और कारोबारी घरानों से कम से कम कुछ वर्षों तक देश के 10 शहरों को चिह्नित कर ऐसे कार्यक्रम करने का आग्रह किया, जिनमें इस बात पर चर्चा हो कि वे किस तरह विकास का इंजन बन सकते हैं और 1 लाख करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था बन सकते हैं या अपनी अर्थव्यवस्था का आकार दोगुना कर सकते हैं।