टेक-ऑटो

क्या CIA पढ़ सकती है आपके WhatsApp मैसेज? मार्क जुकरबर्ग का बड़ा खुलासा

जुकरबर्ग ने यह भी कहा कि एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का मतलब है कि मैसेज को प्लेटफॉर्म पर पढ़ा नहीं जा सकता, लेकिन अगर फोन किसी के हाथ लग जाए, तो मैसेज एक्सेस किए जा सकते हैं।

Published by
बीएस वेब टीम   
Last Updated- January 13, 2025 | 7:49 AM IST

WhatsApp जैसे प्लेटफॉर्म पर प्राइवेट मैसेज की सुरक्षा को लेकर लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं। इसी पर हाल ही में मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग (Meta CEO Mark Zuckerberg) ने बात की और बताया कि WhatsApp की एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन तकनीक कैसे काम करती है और इसका प्राइवेसी पर क्या असर है।

मार्क जुकरबर्ग ने शनिवार को “The Joe Rogan Experience” पॉडकास्ट में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने बताया कि WhatsApp की मजबूत एन्क्रिप्शन तकनीक के बावजूद, सरकारी एजेंसियां जैसे CIA (सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी) यूजर्स के मैसेज तक पहुंच सकती हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि ऐसा तब संभव होता है जब एजेंसी डिवाइस को फिजिकल एक्सेस कर ले।

एजेंसियां कैसे कर सकती हैं डेटा एक्सेस?

जुकरबर्ग ने यह भी कहा कि एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का मतलब है कि मैसेज को प्लेटफॉर्म पर पढ़ा नहीं जा सकता, लेकिन अगर फोन किसी के हाथ लग जाए, तो मैसेज एक्सेस किए जा सकते हैं।

मार्क जुकरबर्ग ने हाल ही में एक बयान में कहा कि किसी भी डिवाइस की सुरक्षा का अंतिम हिस्सा शारीरिक पहुंच होता है। उन्होंने समझाया कि अगर कोई आपकी डिवाइस तक पहुंच बना ले, तो उसमें सेंध लगाना आसान हो जाता है। जुकरबर्ग ने उदाहरण देते हुए कहा, “जब एफबीआई किसी को गिरफ्तार करती है, तो वे उसका फोन अपने कब्जे में ले लेते हैं और उसमें मौजूद डेटा तक पहुंच हासिल कर लेते हैं।”

यह बयान उन्होंने डिजिटल सुरक्षा और डिवाइस की सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं पर दिया। जुकरबर्ग का मानना है कि डिवाइस की भौतिक सुरक्षा बेहद महत्वपूर्ण है।

Facebook के सीईओ ने कहा है कि किसी भी डिवाइस की सुरक्षा में सबसे अहम भूमिका उसकी फिजिकल एक्सेस की होती है। उन्होंने बताया कि अगर कोई आपकी डिवाइस तक पहुंच बना लेता है, तो उसमें आसानी से सेंध लगाई जा सकती है।

उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, “जब एफबीआई किसी को गिरफ्तार करती है, तो वे उसका फोन अपने कब्जे में ले लेते हैं और उसमें मौजूद डेटा को एक्सेस कर लेते हैं।”
जुकरबर्ग ने यह बात डिजिटल सिक्योरिटी और प्राइवेसी से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के दौरान कही। उनका मानना है कि फोन और अन्य डिवाइसेज़ की फिजिकल सेफ्टी बेहद जरूरी है।
फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने बताया कि WhatsApp का एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन यह सुनिश्चित करता है कि मेटा के सर्वर पर मैसेज का कंटेंट नहीं देखा जा सकता। हालांकि, यह सुरक्षा केवल मैसेज ट्रांजिट (यानी भेजने और प्राप्त करने) के दौरान होती है।

डिवाइस पर स्टोर मैसेज इस एन्क्रिप्शन के दायरे में नहीं आते। इसका मतलब है कि अगर किसी सरकारी एजेंसी को किसी यूजर के फोन तक फिजिकल एक्सेस मिल जाती है, तो वे फोन में लोकली सेव किए गए मैसेज तक पहुंच सकते हैं।

मेटा के सीईओ ने WhatsApp की एन्क्रिप्शन सेफ्टी को लेकर कहा है कि यह आपके मैसेज को मेटा या किसी अन्य कंपनी से सुरक्षित रखती है। लेकिन अगर कोई आपके फोन को एक्सेस कर लेता है, तो यह सुरक्षा काम नहीं करती।

उन्होंने समझाया कि एन्क्रिप्शन सिर्फ तब तक काम करता है, जब तक मैसेज ट्रांसमिशन में होते हैं यानी भेजे या रिसीव किए जा रहे होते हैं। लेकिन अगर आपका फोन किसी के पास पहुंच गया या हैक हो गया, तो वह आपके सभी मैसेज देख सकता है।

जुकरबर्ग ने कहा, “मैसेज को एन्क्रिप्ट करना और उन्हें गायब करना एक अच्छी सेफ्टी है, लेकिन फोन के साथ छेड़छाड़ होने पर डेटा सुरक्षित नहीं रह सकता।”
आज WhatsApp और सिग्नल जैसे कई ऐप्स एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का इस्तेमाल करते हैं ताकि मैसेज को बीच में कोई पढ़ न सके। यह प्राइवेसी के लिए एक अहम फीचर है।

First Published : January 13, 2025 | 7:49 AM IST