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टाटा मोटर्स: अभी थमी नहीं चुनौतियां

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 4:36 AM IST

टाटा मोटर्स वैश्विक महामारी के दौरान सूचकांक के शीर्ष प्रदर्शन करने वाले शेयरों में शामिल रही है। कंपनी के शेयर में पिछले साल मार्च के अंत से अब तक 343 फीसदी की जबरस्त तेजी दर्ज की गई है जबकि इस दौरान बीएसई सेंसेक्स में 69.3 फीसदी और एनएसई निफ्टी में 74.8 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। टाटा मोटर्स के शेयर में तेजी पिछले तीन साल के कमजोर प्रदर्शन के बाद वित्त वर्ष 2021 की दूसरी छमाही के दौरान राजस्व और मुनाफे में उल्लेखनीय वृद्धि से प्रेरित थी।

हालांकि वित्त वर्ष 2021 की चौथी तिमाही के लिए कंपनी के वित्तीय नतीजों से पता चलता है कि निवेशक लंबी अवधि के लिहाज से रणनीति बना रहे हैं और कंपनी की जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) इकाई में परिचालन एवं वित्तीय समस्याओं का कोई त्वरित समाधान नहीं हो पाया है। टाटा मोटर्स की कुल बिक्री में जेएलआर का योगदान करीब 80 फीसदी है।

मोतीलाल ओसवार सिक्योरिटीज के विश्लेषकों ने लिखा है, ‘वित्त वर्ष 2021 की चौथी तिमाही में टाटा मोटर्स का प्रदर्शन मिलाजुला रहा क्योंकि कुल मिलाकर परिचालन प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक रहा। जेएलआर के प्रदर्शन को मात्रात्मक बिक्री भारी गिरावट का झटका लगा।’

ब्रोकरेज के अनुसार, वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही टाटा मोटर्स के घरेलू कारोबार और जेएलआर दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण होगी। बाजार ने इसे सकारात्मक रूप से नहीं लिया है, विशेष तौर पर पिछले दो सप्ताह के दौरान शेयर में 15 फीसदी की तेजी और पिछले पांच महीनों के दौरान दोगुना वृद्धि के संदर्भ में। बुधवार को टाटा मोटर्स ने निफ्टी50 कंपनियों में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की। कंपनी के शेयर में 5.5 फीसदी की गिरावट आई जब निफ्ट में 0.5 फीसदी की गिरावट रही।

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने कंपनी की संभावनाओं को लेकर सतर्क किया है। उसने कहा, ‘हमारा मानना है कि जेएलआर का शेयर अधिक मूल्यांकन पर कारोबार रहा है। हमारा मानना है कि इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में काफी तगड़ी प्रतिस्पर्धा है और जेएलआर अपने प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले काफी देरी से पूर्ण इलेक्ट्रिक कार उतारेगी जिसेस उसकी बाजार हिस्सेदारी घट सकती है। साथ ही, इलेक्ट्रिक वाहन श्रेणी में जेएलआर का निवेश अन्य वैश्विक प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले काफी कमजोर है।’

कंपनी ने वित्त वर्ष 2021 की चौथी तिमाही में 7,605 करोड़ रुपये का समेकित शुद्ध घाटा दर्ज किया है जबकि एक साल पहले की समान अवधि में उसने 9,894 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया था। इस प्रकार कंपनी के घाटे में काफी कमी आई है लेकिन वह दिसंबर 2020 तिमाही में दर्ज 2,906 करोड़ रुपये के शुद्ध लाभ से काफी पीछे है। मार्च 2021 में समाप्त पूरे वित्त वर्ष के दौरान कंपनी का घाटा बढ़कर 13,451 करोड़ रुपये हो गया जबकि वित्त वर्ष 2020 में उसे 12,071 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। हालांकि कंपनी ने कहा है कि वित्त वर्ष 2021 की चौथी तिमाही और वित्त वर्ष 2021 के घाटे परिचालन घाटे नहीं थे बल्कि जेएलआर परिसंपत्तियों के नुकसान की भरपाई के कारण ऐसा हुआ। उसका असर पिछले चार वर्षों के दौरान कंपनी की शुद्ध हैसियत में दूसरी वार्षिक गिरावट अथवा शेयरधारक इक्विटी में गिरावट के तौर पर दिखा। कंपनी का समेकित शुद्ध हैसियत अथवा इक्विटी मार्च 2021 में समाप्त वर्ष में 12.2 फीसदी घटकर 55,247 करोड़ रुपये रह गई जो एक साल पहले 55,247 करोड़ रुपये थी। कंपनी की समेकित इक्विटी मार्च 2018 के अंत में 95,428 करोड़ रुपये की सर्वकालिक ऊंचाई के मुकाबले 42 फीसदी कम थी। इक्विटी में संकुचन का मतलब साफ है कि वित्तीय नतीजे के बाद टाटा मोटर्स का शेयर प्राइस टु बुक वैल्यू के आधार पर अब कहीं अधिक महंगा है।

First Published : May 20, 2021 | 9:24 PM IST