कोरोना की मार तकरीबन खत्म होने के साथ ही दिल्ली के बैंक्वेट हॉल मालिकों के अच्छे दिन लौट आए हैं। कोरोना के कारण पिछले दो साल में बारातघर और बैंक्वेट हॉल ज्यादातर समय बंद ही रहे। जब खुले तब भी शादियों में मेहमानों की संख्या पर लगी बंदिश के कारण कारोबार बहुत कम रहा। अब कोरोना कमजोर पडऩे के कारण बंदिशें खत्म हो गई हैं, जिससे बैंक्वेट हॉल मालिकों को भरपूर बुकिंग मिलने लगी हैं। इस साल शादियां भी खूब होने से बैंक्वेट हॉल कारोबार चमकने की उम्मीद है। बहरहाल बढ़ती महंगाई की मार बैंक्वेट हॉल मालिकों को भी सता रही है। महंगाई के कारण लोगों की जेब तंग है, जिससे वे कम खर्च में बुकिंग कराना चाह रहे हैं और मेहमानों की संख्या में कटौती कर रहे हैं। इससे बैंक्वेट हॉल मालिकों को मिलने वाला औसत कारोबार घट रहा है तो वे भी मार कम करने के लिए ग्राहकों को दी जाने वाली छूट में कटौती कर रहे हैं। बारातघर मालिकों ने सजावट पर खर्च भी कुछ कम किया है। इसके अलावा दिल्ली में जून में कोरोना की चौथी लहर आने की चर्चा भी चल रही है। इस कारण लोग बैंक्वेट हॉल काफी पहले बुक कराने के बजाय शादी की तारीख नजदीक आने पर ही करा रहे हैं। बुकिंग राशि भी पहले के मुकाबले कम दी जा रही है।
80 से 90 हजार शादियां होने की संभावना
दिल्ली में छोटे-बड़े मिलाकर 1,800 से 2,000 बैंक्वेट हॉल हैं। अप्रैल से जुलाई के बीच करीब 45 साये यानी शादी के मुहूर्त हैं। उस दरम्यान राजधानी के बैंक्वेट हॉलों में 80 से 90 हजार शादियां होने की संभावना है। सिख, आर्य समाज व कुछ अन्य समुदाय मुहूर्त देखे बगैर भी शादी कर लेते हैं। उन्हें मिलाकर दिल्ली में 1 लाख से ज्यादा शादियां होने का अनुमान है। बैंक्वेट हॉल में एक शादी में 3 से 15 लाख रुपये और औसतन एक शादी में 4 से 6 लाख रुपये खर्च होते हैं। ऐसे में इस सीजन में बारातघर मालिकों को 4,000 से 6,000 करोड़ रुपये का कारोबार मिल सकता है।
कम्युनिटी वेलफेयर बैंक्वेट एसोसिएशन, दिल्ली के अध्यक्ष रमेश डांग कहते हैं कि कोरोना के कारण पिछले दो साल बैंक्वेट हॉल कारोबार के लिए काफी बुरे रहे और गर्मियों के सीजन में शादियों के दौरान बैंक्वेट हॉल लगभग बंद ही रहे। सर्दियों में बारातघर खुले तो मेहमानों की संख्या सीमित रखनी थी। इस तरह कोरोना महामारी के दौरान दो साल बहुत भारी पड़े। मगर इस बार बुकिंग अच्छी है, जिससे कोरोना महामारी के पहले की तुलना में 80 फीसदी कारोबार होने की उम्मीद है। दो साल से ग्राहकों के लिए तरस रहे बैंक्वेट हॉल कारोबारियों के लिए यह बड़ी राहत की बात है।
राजधानी में हॉलमार्क बैंक्वेट हॉल के मालिक कमल अरोड़ा ने बताया कि उनके पास अभी 30 से 35 शादियों की बुकिंग हैं। कोरोना के समय किसी भी महीने में इतनी बुकिंग नहीं मिली थीं। एफएनपी वेन्यूज में बुकिंग देखने वाले जितेंद्र यादव ने कहा कि उनके पास 200 से अधिक बुकिंग हैं। शादियों के अलावा जन्मदिन और दूसरी पार्टियों की बुकिंग भी हो रही है। एलिगेंट रॉयल के महाप्रबंधक कुणाल गौतम ने बताया कि अप्रैल के लिए तो अच्छी बुकिंग हुई हैं, लेकिन जून में कोरोना की चौथी लहर आने के डर से लोग पहले से बुकिंग नहीं करा रहे हैं। अरोड़ा ने कहा कि कोरोना भुगत चुके लोग अब दो-तीन महीने पहले बुकिंग कराने से तो कतरा ही रहे हैं, पहले की तरह ज्यादा बुकिंग राशि भी नहीं देना चाहते।
महंगाई ने डाला कारोबार में खलल
कोरोना कमजोर पडऩे से भले ही बैंक्वेट हॉल कारोबार चल निकलना है मगर महंगाई इसकी रफ्तार नहीं बढऩे दे रही। कारोबारी कहते हैं कि महंगाई नहीं होती तो कोरोना से पहले के स्तर पर कारोबार पहुंचने में देर नहीं लगती। डांग बताते हैं कि हाल के समय में सजावट से लेकर खाने-पीने की सामग्री तक हरेक चीज के दाम बढ़े हैं। जाहिर है कि बैंक्वेट हॉल के मालिकों के लिए भी लागत बढ़ी है। मगर महंगाई को देखते हुए वे लागत के हिसाब से दाम नहीं बढ़ा सकते क्योंकि ग्राहकों की जेब भी तंग है। इसलिए वे पहले के मुकाबले कम छूट दे रहे हैं। पहले किसी भी शादी के लिए कुल पैकेज पर 10-15 फीसदी छूट मिलती थी मगर अब बमुश्किल 5 फीसदी छूट दी जा रही है। बुकिंग के लिए पैकेज की कीमत भी मुश्किल से 5 फीसदी ही बढ़ पाई है।
महंगाई का असर कई तरह से पड़ा है। कमल अरोड़ा ने बताया कि महंगाई की मार कम करने के लिए अब ग्राहक बारातघर बुक कराते समय मेहमानों की संख्या कम रख रहे हैं। जो लोग पहले 400 मेहमानों के हिसाब से बुकिंग कराते थे, अब 250 से 300 मेहमानों पर ही सिमट रहे हैं। इसलिए प्रति व्यक्ति बुकिंग के बजाय पूरा पैकेज बुक कराने पर जोर दिया जा रहा है। गौतम बताते हैं कि मेहमानों की संख्या घटाने के अलावा भी ग्राहक कई चीजों में कटौती कर रहे हैं। मसलन पहले लोग पैकेज में लंच भी लेते थे मगर अब केवल डिनर लिया जा रहा है। अब सजावट भी पहले के मुकाबले कम रखी जा रही है, जिससे सजावट का काम 70-80 हजार रुपये के बजाय 50-60 हजार रुपये में ही हो जाता है। यादव के ज्यादातर ग्राहक उच्च आय वर्ग से आते हैं। इसीलिए सजावट आदि में तो कटौती नहीं हो रही है मगर मेहमानों की संख्या कम रखकर खर्च पर काबू जरूर किया जा रहा है।
दिल्ली में बारातों के लिए बैंक्वेट हॉल की बुकिंग 1,000 से 1,400 रुपये प्रति प्लेट के हिसाब से होती है। ज्यादातर हॉल में 400 से 600 मेहमान आ जाते हैं। मेहमान, खानपान और सजावट मिलाकर ज्यादातर बुकिंग 3 लाख से 15 लाख रुपये में होती हैं। ऑल इंडिया टेंट डीलर वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन और दिल्ली में केटरिंग तथा सजावट का कारोबार करने वाले अनिल कुमार आजाद कहते हैं कि काम पहले से बढ़ गया है मगर लोग खुलकर खर्च नहीं कर रहे हैं। खर्च बचाने के लिए सजावट कम कराई जा रही है, मेहमान कम बुलाए जा रहे हैं और खानपान के आइटम तथा मिठार्ठ आदि भी पहले की तुलना में कम रखे जा रहे हैं।
5 लाख करोड़ कारोबार की आस
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का अनुमान है कि 14 अप्रैल से 9 जुलाई तक चलने वाले शादियों के सीजन में देश भर में 40 लाख शादियां हो सकती हैं, जिनसे 5 लाख करोड़ रुपये का कारोबार मिलने की संभावना है। दिल्ली में ही इस सीजन में 3 लाख से ज्यादा शादियां हो सकती हैं, जिनसे 1 लाख करोड़ रुपये का कारोबार मिल सकता है। शादियों में बारातघर का कारोबार ही नहीं बढ़ता, गहने, साडिय़ां, लहंगे, रेडीमेड परिधान, फुटवियर, शादी के कार्ड, मेवे, मिठाई, फल, पूजा के सामान, किराना, बिजली के सामान तथा उपहारों का कारोबार भी बहुत बढ़ जाता है। कैट के मुताबिक 5 लाख शादियों में लगभग 2 लाख रुपये, 10 लाख शादियों में 5 लाख रुपये और इतनी ही शादियों में 10 लाख रुपये प्रति शादी खर्च होने का अनुमान है। 5 लाख शादियां ऐसी होंगी, जिनमें से हरेक में 15 लाख रुपये खर्च होंगे। 5 लाख शादियां ऐसी भी होंगी, जिनमें 20 लाख प्रति शादी तक खर्च हो सकते हैं। 4 लाख शादी में 25 लाख रुपये और 50 हजार शादियों में लगभग 50 लाख रुपये प्रति शादी खर्च होंगे। 1 करोड़ रुपये या इससे अधिक खर्च वाली शादियों की संख्या 50,000 रह सकती है।